समय जो चाहेगा वो होगा और नहीं कुछ होना

समय जो चाहेगा वो होगा और नहीं कुछ होना

समय पाय फल होत है,
समय पाय झरि जाय,
सदा रहे नहिं एक सी,
का रहीम पछताय।।

समय जो चाहेगा वो होगा,
और नहीं कुछ होना,
जितनी राम ने भरदी चाबी,
उतना चले खिलौना,
ये दुनिया समझ न पाई,
ये दुनिया समझ न पाई।।

गंगा या यमुना में जाकर,
मल मल खूब नहाले,
मंदिर या गुरुद्वारे में जाकर,
अपना शीश झुकाले,
पाप कर्म ये नहीं धुलेंगे,
चाहे जितना धोना,
जितनी राम ने भरदी चाबी,
उतना चले खिलौना,
ये दुनिया समझ न पाई,
ये दुनिया समझ न पाई।।

झूठे जग की तृष्णाओं से,
तू अपना मन भरले,
तेरे बस की बात नहीं है,
जी चाहे जो कर ले,
जीवन का ये बोझा प्यारे,
पड़ेगा तुझको ढोना,
जितनी राम ने भरदी चाबी,
उतना चले खिलौना,
ये दुनिया समझ न पाई,
ये दुनिया समझ न पाई।।

समय जो चाहेगा वो होगा,
और नहीं कुछ होना,
जितनी राम ने भरदी चाबी,
उतना चले खिलौना,
ये दुनिया समझ न पाई,
ये दुनिया समझ न पाई।।


जितनी राम ने भर दी चाबी | Raghvendra Manchla | देखें एक मनभावन गीत

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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