श्री कृष्ण के 108 नाम और हिंदी अर्थ 108 Names of Shri Krishna hindi meaning
श्री कृष्ण के विभिन्न नामों की महत्ता यह है कि वे उनके व्यक्तित्व और गुणों का वर्णन करते हैं. श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं और वे प्रेम, करुणा, दया और शक्ति के प्रतीक हैं. उनके विभिन्न नामों से पता चलता है कि वे सभी गुणों से संपन्न हैं. श्री कृष्ण के विभिन्न नामों का जाप करने से भक्तों को उनके व्यक्तित्व और गुणों का आशीर्वाद मिलता है. वे प्रेम, करुणा, दया और शक्ति के साथ भर जाते हैं. श्री कृष्ण के विभिन्न नामों का जाप करने से भक्तों को शांति, समृद्धि और मोक्ष मिलता है.
कृष्ण Krishna
जो काला है, जो सुंदर है, जो आकर्षक है, जो विश्व का प्राण है, जो विश्व की आत्मा है. कृष्ण का नाम कई अर्थों से जुड़ा है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- काला
- प्यारा
- मनमोहक
- सुंदर
- दयालु
- करुणावान
- ज्ञानी
- शक्तिशाली
- विजयी
कमलनाथ Kamalnath
कमल का स्वामी, भगवान विष्णु. कमलनाथ भगवान विष्णु का एक नाम है. यह नाम संस्कृत शब्द "कमल" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "कमल" और "नाथ" से, जिसका अर्थ है "स्वामी". इस प्रकार, कमलनाथ का अर्थ है "कमल का स्वामी". भगवान विष्णु को कमल का स्वामी माना जाता है क्योंकि वे अक्सर कमल के फूल के साथ चित्रित किए जाते हैं. कमल को शुद्धता, ज्ञान और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है, और भगवान विष्णु को इन सभी गुणों का प्रतीक माना जाता है.
वासुदेव Vasudev
श्री कृष्ण के पिता, भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण जी के पिता.
वासुदेव श्री कृष्ण के पिता थे. वासुदेव एक यादव राजकुमार थे और वे देवकी के पति थे. श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी के पुत्र थे. श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे.
सनातन Sanatan
शाश्वत, जो सदा रहता है, जो न तो जन्म लेता है और न ही मरता है.
कृष्ण को सनातन इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि वे प्रेम, करुणा और दया के शाश्वत स्त्रोत हैं. वे अपने भक्तों के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं, और वे उन्हें हमेशा प्रेम और समर्थन देते हैं. कृष्ण अपने भक्तों को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करते हैं, जो एक शाश्वत अवस्था है जिसमें कोई जन्म या मृत्यु नहीं है.
वसुदेवात्मज Vasudevatmj
वासुदेव के पुत्र, श्री कृष्ण.
वसुदेवात्मज वासुदेव के पुत्र श्री कृष्ण का एक नाम है. यह नाम संस्कृत शब्द "वासुदेव" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "वासुदेव का पुत्र". वासुदेव श्री कृष्ण के पिता थे, और श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी के पुत्र थे. श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे. वासुदेवात्मज का नाम श्री कृष्ण के लिए एक सम्मानजनक उपाधि है. यह नाम यह दर्शाता है कि श्री कृष्ण वासुदेव के पुत्र थे, जो एक महान राजा और योद्धा थे. यह नाम यह भी दर्शाता है कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार थे, जो ब्रह्मांड के रक्षक हैं.
पुण्य Punya
पुण्यात्मा, जो बहुत ही पवित्र है.
कृष्ण को पुण्यात्मा कहा जाता है क्योंकि वे भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो स्वयं एक पुण्यात्मा हैं. भगवान विष्णु को ब्रह्मांड का सृजनकर्ता और संरक्षक माना जाता है, और वे अनंत काल से अस्तित्व में हैं. वे हमेशा अपने भक्तों की मदद करते हैं और उन्हें सही मार्ग दिखाते हैं. कृष्ण भी भगवान विष्णु के अवतार हैं, और वे भी अपने भक्तों की मदद करते हैं और उन्हें सही मार्ग दिखाते हैं.
लीलामानुष विग्रह Leelamanush Vigrah
मानव रूप में लीला करने वाला, भगवान विष्णु.
भगवान विष्णु को ब्रह्मांड का सृजनकर्ता और संरक्षक माना जाता है, और वे अनंत काल से अस्तित्व में हैं. वे हमेशा अपने भक्तों की मदद करते हैं और उन्हें सही मार्ग दिखाते हैं. कृष्ण भी भगवान विष्णु के अवतार हैं, और उन्होंने भी अपने जीवन में कई चमत्कार किए हैं. उन्होंने कई लोगों को दुख से मुक्ति दिलाई है और उन्हें खुशहाल जीवन जीने में मदद की है. कृष्ण ने अपने उपदेशों से लोगों को जीवन के सही अर्थ को समझाया है और उन्हें एक बेहतर इंसान बनने में मदद की है. श्री कृष्ण को लीलामानुष विग्रह इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कई लीलाएं की हैं. उन्होंने गोपियों के साथ रासलीलाएं की हैं, उन्होंने अर्जुन को महाभारत युद्ध में जीत दिलाई है, और उन्होंने कंस का वध किया है. श्री कृष्ण की ये सभी लीलाएं उनके अद्वितीय व्यक्तित्व और शक्तियों का प्रतीक हैं.
श्रीवत्स कौस्तुभधराय Shrivats Koustubhdhray
श्रीवत्स और कौस्तुभ धारण करने वाला, भगवान विष्णु.
श्री कृष्ण को श्रीवत्स कौस्तुभधराय कहा जाता है क्योंकि वे भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो श्रीवत्स और कौस्तुभ धारण करते हैं. श्रीवत्स एक पवित्र चिन्ह है जो भगवान विष्णु की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है. कौस्तुभ एक मणि है जो भगवान विष्णु की सभी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम है.
यशोदावत्सल: यशोदा का प्रिय पुत्र, श्री कृष्ण.
यशोदावत्सल: यशोदा का प्रिय पुत्र, श्री कृष्ण.
हरि Hari
प्रकृति का स्वामी, भगवान विष्णु.
कृष्ण को हरि कहा जाता है क्योंकि वे भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो स्वयं हरि हैं. भगवान विष्णु को ब्रह्मांड का सृजनकर्ता और संरक्षक माना जाता है, और वे अनंत काल से अस्तित्व में हैं. वे हमेशा अपने भक्तों की मदद करते हैं और उन्हें सही मार्ग दिखाते हैं. कृष्ण भी भगवान विष्णु के अवतार हैं, और उन्होंने भी अपने जीवन में कई चमत्कार किए हैं. उन्होंने कई लोगों को दुख से मुक्ति दिलाई है और उन्हें खुशहाल जीवन जीने में मदद की है. कृष्ण ने अपने उपदेशों से लोगों को जीवन के सही अर्थ को समझाया है और उन्हें एक बेहतर इंसान बनने में मदद की है.
चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा Chatarbhujat Chkrasigada
चार भुजाओं में चक्र, तलवार, गदा और शंख धारण करने वाले.
चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा का अर्थ है "चार भुजाओं में चक्र, तलवार, गदा और शंख धारण करने वाला". भगवान विष्णु का वर्णन करता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं. भगवान विष्णु को ब्रह्मांड का संरक्षक माना जाता है, और वे चार भुजाओं में चक्र, तलवार, गदा और शंख धारण करते हैं. इन सभी वस्तुओं का अलग-अलग अर्थ है.
सङ्खाम्बुजा युदायुजाय Sankhambuja Yudayujay
सुदर्शन-चक्र, तलवार, गदा, शंख कमल, कमल का फूल को धारण करने वाले।
"सुदर्शन चक्र, एक तलवार, गदा, शंख-कमल, कमल का फूल और विभिन्न वाटों को धारण करने वाले". यह वाक्यांश भगवान विष्णु का वर्णन करता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं. भगवान विष्णु को ब्रह्मांड का संरक्षक माना जाता है, और वे चार भुजाओं में चक्र, तलवार, गदा और शंख धारण करते हैं.
देवकीनन्दन Devaki Nandan
माता देवकी के प्यारे पुत्र.
भगवान कृष्ण को "देवकीनन्दन" इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे माता देवकी के सबसे प्यारे पुत्र थे. वे माता देवकी के लिए बहुत ही प्यारे थे और माता देवकी ने उन्हें बहुत ही प्यार और देखभाल दी. भगवान कृष्ण ने भी माता देवकी का बहुत सम्मान किया और उन्हें हमेशा खुश रखा.
श्रीशाय: ShriShay
श्री (लक्ष्मी) के निवास, भगवान् श्री विष्णु जी के अवतार के रूप में.
- नन्दगोप प्रियात्मज: नंद गोप के प्यारे पुत्र.
- यमुनावेगा संहार: यमुना नदी की गति को नष्ट करने वाले.
- बलभद्र प्रियनुज: बलराम के प्यारे छोटे भाई.
- पूतना जीवित हर: राक्षसी पूतना को मारने वाले.
- शकटासुर भञ्जन: दानव शकटासुर का संहारक.
- नन्दव्रज जनानन्दिन: नंद और वृन्दावन के लोगों के लिए खुशी लाने वाला.
- सच्चिदानन्दविग्रह – वे भगवान हैं जो अस्तित्व, जागरूकता और आनंद के अवतार हैं.
- नवनीत विलिप्ताङ्ग – वे भगवान हैं जिनका शरीर माखन से लिप्त है.
- नवनीतनटन – वे भगवान हैं जो मक्खन के लिए नाचते हैं.
- मुचुकुन्द प्रसादक – वे भगवान हैं जिन्होंने मुचुकुन्द को धारण किया.
- षोडशस्त्री सहस्रेश – वे भगवान हैं जो 16,000 महिलाओं के प्रभु हैं.
- त्रिभङ्गी – भगवान कृष्ण तीन बलों (गर्दन, कमर और पैर में) के साथ खड़े हैं.
- मधुराकृत – भगवान कृष्ण का रूप आकर्षक है.
- शुकवागमृताब्दीन्दवे – भगवान कृष्ण अमृत का महासागर हैं, जैसा कि सुकदेव (शुका) ने बताया है.
- गोविन्द – भगवान कृष्ण गायों, भूमि और संपूर्ण प्रकृति को प्रसन्न करते हैं.
- योगीपति – भगवान कृष्ण योगियों के भगवान हैं.
- वत्सवाटि चराय – भगवान कृष्ण बछड़ों की देखभाल करते हैं और उन्हें चराते हैं.
- अनन्त – भगवान कृष्ण अनंत हैं.
- धेनुकासुरभञ्जनाय – भगवान कृष्ण आस-दानव धेनुकासुर को हरा देते हैं.
- तृणी-कृत-तृणावर्ताय – भगवान कृष्ण बवंडर दानव त्रिनवार्ता का संहार करते हैं.
- यमलार्जुन भञ्जन – भगवान कृष्ण अर्जुन को हराते हैं, जो भगवान नारा के अवतार थे जो भगवान विष्णु के सबसे अच्छे दोस्त थे.
- उत्तलोत्तालभेत्रे – भगवान कृष्ण धेनुका का संहार करते हैं.
- तमाल श्यामल कृता – भगवान कृष्ण का शरीर तामला के पेड़ की तरह है, बहुत ही काला.
- गोप गोपीश्वर – भगवान कृष्ण गोप और गोपियों के भगवान हैं.
- योगी – भगवान कृष्ण योगियों में श्रेष्ठ हैं; महान योगी हैं.
- कोटिसूर्य समप्रभा – भगवान कृष्ण एक लाख सूर्य के रूप में चमकते हैं.
- इलापति – भगवान कृष्ण ज्ञान के स्वामी हैं.
- परंज्योतिष – भगवान कृष्ण परम ज्योति हैं; पूर्ण प्रकाश हैं.
- यादवेंद्र – भगवान कृष्ण यादव वंश के भगवान हैं.
- यदूद्वहाय – यदुओं के नेता, कृष्ण ने अपने लोगों को राजा कंस की क्रूरता से बचाया.
- वनमालिने – एक चांदी की माला पहने हुए, कृष्ण हमेशा अपने बालों में एक चांदी की माला पहने हुए रहते थे.
- पीतवससे – पीले वस्त्र पहने हुए, कृष्ण हमेशा पीले कपड़े पहने हुए रहते थे.
- पारिजातापहारकाय – पारिजात फूल, कृष्ण ने पारिजात फूल को स्वर्ग से लाया और इसे वृंदावन में लगाया.
- गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे – गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊँगली से उठाने वाले, कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊँगली से उठा लिया और अपने लोगों को बारिश से बचाया.
- गोपाल – गायों के रक्षक, कृष्ण गायों के एक प्यारे रक्षक थे और वे उन्हें हमेशा खतरे से बचाते थे.
- सर्वपालकाय – सभी जीवों के रक्षक, कृष्ण सभी जीवों के रक्षक थे और वे उन्हें हमेशा नुकसान से बचाते थे.
- अजाय – जीवन और मृत्यु के विजेता, कृष्ण जीवन और मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले एक शक्तिशाली भगवान हैं.
- निरञ्जन – निष्कलंक भगवान, कृष्ण एक निष्कलंक भगवान हैं जो पाप या दोष से मुक्त हैं.
- कामजनक – सांसारिक मन में एक उत्पन्न करने वाली इच्छाएँ, कृष्ण सांसारिक मन में इच्छाओं और लालसाओं को पैदा करने वाले एक शक्तिशाली भगवान हैं.
- कञ्जलोचनाय – सुंदर आंखों वाले, कृष्ण सुंदर आंखों वाले एक सुंदर भगवान हैं.
- मधुघ्ने – दानव मधु के संहारक, कृष्ण दानव मधु को मारने वाले एक शक्तिशाली योद्धा हैं.
- मथुरानाथ – मथुरा के भगवान, कृष्ण मथुरा के भगवान हैं और वे इस शहर के लोगों को प्यार करते हैं.
- द्वारकानायक – द्वारका के नायक, कृष्ण द्वारका के नायक हैं और वे इस शहर के लोगों की रक्षा करते हैं.
- बलि – शक्ति के भगवान, कृष्ण शक्ति के भगवान हैं और वे अपने भक्तों को शक्ति प्रदान करते हैं.
- बृन्दावनान्त सञ्चारिणे – वृंदावन के बाहरी इलाकों के बारे में, कृष्ण वृंदावन के बाहरी इलाकों में रहते हैं और वे अपने भक्तों से प्यार करते हैं.
- तुलसीदाम भूषनाय – तुलसी माला धारण किये हुए, कृष्ण तुलसी माला धारण करते हैं और वे अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं.
- स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे – जिन्होंने स्यामंतका गहना का विनियोजन किया, कृष्ण ने स्यामंतका गहना का विनियोजन किया और उन्होंने इसे देवी पार्वती को दिया.
- नरनारयणात्मकाय – नारा-नारायण, कृष्ण नारायण और नर के अवतार हैं.
- कुब्जा कृष्णाम्बरधराय – कुब्जा कृष्णाम्बरधराय, कृष्ण एक कुब्जा महिला को आशीर्वाद देते हैं और उसे ठीक करते हैं.
- मायिने – जादूगर, माया के भगवान, कृष्ण एक जादूगर हैं और वे अपनी शक्तियों का उपयोग अपने भक्तों की मदद करने के लिए करते हैं.
- परमपुरुष – सर्वोच्च, कृष्ण सर्वोच्च भगवान हैं और वे सभी जीवों के स्वामी हैं.
- मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय – संसारवासी, कृष्ण संसार में रहते हैं और वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं.
- संसारवैरी – भौतिक अस्तित्व के दुश्मन, कृष्ण भौतिक अस्तित्व के दुश्मन हैं और वे अपने भक्तों को मुक्ति प्रदान करते हैं.
- कंसारिर – राजा कंस के शत्रु, कृष्ण राजा कंस के शत्रु हैं और उन्होंने उन्हें मार डाला.
- मुरारी – दानव मुरा के दुश्मन, कृष्ण दानव मुरा के दुश्मन हैं और उन्होंने उसे मार डाला.
- नाराकान्तक – दानव नरका का संहार करने वाले, कृष्ण दानव नरका को मारने वाले एक शक्तिशाली योद्धा हैं.
- अनादि ब्रह्मचारिक – जिसकी सीमा न हो; जिसका आदि न हो; जिसका आदि या आरंभ न हो। जो सदा से बना चला आ रहा हो., कृष्ण एक अनादि ब्रह्मचारी हैं और वे कभी भी विवाह नहीं करेंगे.
- कृष्णाव्यसन कर्शक – द्रौपदी के संकट का निवारण, कृष्ण द्रौपदी के संकट को दूर करने वाले एक दयालु और उदार भगवान हैं.
- शिशुपालशिरश्छेत्त – शिशुपाल का सिर धड़ से अलग करने वाले, कृष्ण शिशुपाल का सिर धड़ से अलग करने वाले एक शक्तिशाली योद्धा हैं.
- दुर्यॊधनकुलान्तकृत – दुर्योधन के राजवंश का विनाशक, कृष्ण दुर्योधन के राजवंश को नष्ट करने वाले एक शक्तिशाली योद्धा हैं.
- विदुराक्रूर वरद – दानव नरका का संहार करनेवाला, कृष्ण दानव नरका को मारने वाले एक शक्तिशाली योद्धा हैं.
- विश्वरूपप्रदर्शक – विश्वरूपा का प्रकटीकरण (सार्वभौमिक रूप), कृष्ण विश्वरूपा का प्रकटीकरण करते हैं, जो उनकी सर्वव्यापी शक्ति और ज्ञान का प्रतीक है.
- सत्यवाचॆ – सत्य बोलने वाला, कृष्ण एक सत्यवादी हैं और वे हमेशा सत्य बोलते हैं.
- सत्य सङ्कल्प – सच्चे संकल्प के भगवान, कृष्ण एक सच्चे संकल्प के भगवान हैं और वे हमेशा अपने संकल्पों को पूरा करते हैं.
- सत्यभामारता – सत्यभामा के प्रेमी, कृष्ण सत्यभामा के प्रेमी हैं और वे उसे बहुत प्यार करते हैं.
- जयी – हमेशा विजयी भगवान, कृष्ण हमेशा विजयी होते हैं और वे हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं.
- सुभद्रा पूर्वज – सुभद्रा के भाई, कृष्ण सुभद्रा के भाई हैं और वे उसे बहुत प्यार करते हैं.
- विष्णु – भगवान विष्णु, कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं.
- भीष्ममुक्ति प्रदायक – भीष्म को मोक्ष दिलाने वाले, कृष्ण भीष्म को मोक्ष दिलाते हैं और उन्हें शांति प्रदान करते हैं.
- जगद्गुरू – ब्रह्मांड के पूर्वदाता, कृष्ण ब्रह्मांड के गुरु हैं और वे सभी जीवों को मार्गदर्शन करते हैं.
- जगन्नाथ – ब्रह्मांड के भगवान, कृष्ण ब्रह्मांड के भगवान हैं और वे सभी जीवों को प्रेम और दया करते हैं.
- वॆणुनाद विशारद – बांसुरी संगीत के बजाने में एक विशेषज्ञ, कृष्ण बांसुरी बजाने में एक विशेषज्ञ हैं और वे हमेशा अपने भक्तों के साथ बांसुरी बजाते हैं.
- वृषभासुर विध्वंसि – दानव वृषासुर के संहारक, कृष्ण दानव वृषासुर को मारने वाले एक शक्तिशाली योद्धा हैं.
- बाणासुर करान्तकृत – भगवान जिन्होंने बनसुरा के शस्त्रों को जीत लिया, कृष्ण बनसुरा के शस्त्रों को जीतने वाले एक शक्तिशाली योद्धा हैं.
- युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे – युधिष्ठिर को एक राजा के रूप में स्थापित करने वाले, कृष्ण युधिष्ठिर को एक राजा के रूप में स्थापित करने वाले एक महान राजा हैं.
- बर्हिबर्हावतंसक – मोर पंख सजाये हुए, कृष्ण हमेशा अपने शरीर पर मोर पंख सजाते हैं.
- पार्थसारथी – अर्जुन के रथ चालक, कृष्ण अर्जुन के रथ चालक हैं और वे हमेशा अर्जुन को युद्ध में जीतने में मदद करते हैं.
- अव्यक्त – अनभिव्यक्त, कृष्ण अनभिव्यक्त हैं और वे हमेशा अपने भक्तों के लिए उपलब्ध हैं.
- गीतामृत महोदधी – भगवद्गीता का अमृत युक्त एक महासागर, कृष्ण भगवद्गीता का अमृत युक्त एक महासागर हैं और वे हमेशा अपने भक्तों को ज्ञान प्रदान करते हैं.
- कालीयफणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज – भगवान जिनके कमल के पैर कालिया नाग के हुड से रत्न धारण करते हैं, कृष्ण के कमल के पैर कालिया नाग के हुड से रत्न धारण करते हैं और वे हमेशा अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं.
- दामॊदर – कमर में एक रस्सी के साथ बंधे, कृष्ण कमर में एक रस्सी के साथ बंधे हैं और वे हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं.
- दानवॆन्द्र विनाशक – असुरों के भगवान का नाश करने वाला: The destroyer of the demon king
- नारायण – जो भगवान विष्णु है: The one who is Narayana, another name of Vishnu
- परब्रह्म – परम ब्रह्म: The Supreme Being
- पन्नगाशन वाहन – जिसका वाहक (गरुड़) देवराज सर्प है: The one whose vehicle is Garuda, the king of snakes
- जलक्रीडा समासक्त गॊपीवस्त्रापहाराक – भगवान जो गोपी के कपड़े छिपाते थे जबकि वे यमुना नदी में खेलते थे: The Lord who used to steal the clothes of the gopis (milkmaids) while they were playing in the Yamuna river
- पुण्य श्लॊक – प्रभु किसकी स्तुति करता है श्रेष्ठ गुणगान करता है: The Lord who is praised in the holy scriptures
- तीर्थकरा – पवित्र स्थानों के निर्माता: The creator of holy places
- वॆदवॆद्या – वेदों का स्रोत: The source of the Vedas
दयानिधि Dayanidhi
करुणा का खजाना: The treasure of compassion
श्री कृष्ण दयानिधि हैं, वे अपने भक्तों पर दया करके उनके दुर्भाग्य को दूर करते हैं, वे हारे के सहारे हैं और यही कारण है की उनको सम्पूर्ण पुरुष कहते हैं, वे अपने भक्तों के साथ ही अपने मित्र सुदामा पर भी दया करते हैं।
सर्वभूतात्मका Sarvbhutatmka
तत्वों की आत्मा: The soul of all beings, सम्पूर्ण जगत में कृष्ण व्याप्त हैं, वे आत्मा रूप में कण कण में व्याप्त हैं।
सर्वग्रहरुपी Sarvgrahrupi
सम्पूर्णता: The embodiment of the universe श्री कृष्ण सम्पूर्ण हैं, वे आदि और अनादि से ऊपर हैं।
परात्पराय Paratpray
महानतम से महान: The greatest of the great, श्री कृष्ण सम्पूर्ण पुरुष हैं, वे अपने कर्मों और वचनों में सर्वोच्च हैं.
श्री कृष्ण अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्र Shree Krishna Ashtottarshat Naam Stotra
श्री गोपालकृष्णाय नमः |||| श्री शेष उवाच ||
ॐ अस्य श्री कृष्ण अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रस्य |
श्री शेष ऋषिः | अनुष्टुप् छन्दः |श्री कृष्णो देवता |
श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनाम जपे विनियोगः ||
ॐ श्री कृष्णः कमलानाथो वासुदेवः सनातनः |
वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः || १ ||
श्री वत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः |
चतुर्भुजात्तचक्रासिगदा शङ्खाद्युदायुधः || २ ||
देवकीनन्दनः श्रीशो नन्दगोपप्रियात्मजः |
यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः || ३ ||
पुतनाजीवितहरः शकटासुरभञ्जनः |
नन्दव्रजजनानन्दी सच्चिदानन्दविग्रहः || ४ ||
नवनीतविलिप्ताङ्गो नवनीतनटोऽनघः |
नवनीतनवाहारो मुचुकुन्दप्रसादकः || ५ ||
षोडशस्त्री सहस्त्रेश स्त्रिभङ्गि मधुराकृतिः |
शुकवागमृताब्धीन्दुर्गोविन्दो गोविदाम्पतिः || ६ ||
वत्सवाटचरोऽनन्तो धेनुकासुरभञ्जनः |
तृणिकृततृणावर्तो यमलार्जुनभञ्जनः || ७ ||
उत्तानतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः |
गोपगोपीश्वरो योगी सूर्यकोटिसमप्रभः || ८ ||
इलापतिः परञ्जयोतिर्यादवेन्द्रो यदूद्वहः |
वनमाली पीतवासाः पारिजातापहारकः || ९ ||
गोवर्धनाचलोद्धर्ता गोपालः सर्वपालकः |
अजो निरञ्जनः कामजनकः कञ्जलोचनः || १० ||
मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली |
वृन्दावनान्तसञ्चारी तुलसीदामभूषणः || ११ ||
श्यमन्तकमणेर्हर्ता नरनारायणात्मकः |
कुब्जाकृष्णाम्बरधरो मायी परमपुरुषः || १२ ||
मुष्टिकासुरचाणूरमहायुद्धविशारदः |
संसारवैरी कंसारिर्मुरारिर्नरकान्तकः || १३ ||
अनादिब्रह्मचारी च कृष्णाव्यसनकर्षकः |
शिशुपालशिरश्छेत्ता दुर्योधनकुलान्तकः || १४ ||
विदुराक्रूरवरदो विश्वरुपप्रदर्शकः |
सत्यवाक् सत्यसङ्कल्पः सत्यभामारतो जयी || १५ ||
सुभद्रापूर्वजो विष्णुर्भीष्ममुक्तिप्रदायकः |
जगद्गरुर्जगन्नाथो वेणुनादविशारदः || १६ ||
वृषभासुरविध्वंसी बाणासुरबलान्तकः |
युधिष्ठिरप्रतिष्ठाता बर्हिबर्हावतंसकः || १७ ||
पार्थसारथिरव्यक्तो गीतामृतमहोदधिः |
कालीयफणिमाणिक्यरञ्जितश्रीपदाम्बुजः || १८ ||
दामोदरो यज्ञभोक्ता दानवेन्द्रविनाशकः |
नारायणः परम्ब्रह्म पन्नगाशनवाहनः || १९ ||
जलक्रीडासमासक्त गोपीवस्त्रापहारकः |
पुण्यश्लोकस्तीर्थपादो वेदवेद्यो दयानिधिः || २० ||
सर्वतीर्थात्मकः सर्वग्रहरुपी परात्परः |
एवं श्री कृष्णदेवस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतम् || २१ ||
कृष्णनामामृतं नाम परमानन्दकारकम् |
अत्युपद्रवदोषध्नं परमायुष्यवर्धनम् || २२ ||
श्री कृष्ण को गोविंद क्यों कहते हैं?
भगवान कृष्ण को गोविंद इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे गायों के चरवाहे थे. वे गोकुल में पैदा हुए थे और बचपन में गायों को चराने के लिए जंगल में जाते थे. वे गायों को बहुत प्यार करते थे और उनका ध्यान रखते थे. वे गायों को गाते और नृत्य करते हुए चराते थे. गायों को कृष्ण के प्रेम और देखभाल से बहुत आनंद आता था.एक दिन, कृष्ण गायों को चराते हुए जंगल में गए. उन्होंने देखा कि एक असुर गायों को चुरा रहा है. कृष्ण ने असुर को गायों को छोड़ने के लिए कहा, लेकिन असुर ने नहीं माना. कृष्ण ने असुर से लड़ाई की और उसे पराजित कर दिया. गायों को बचाने के लिए कृष्ण ने जो साहस और वीरता दिखाई, उसके लिए उन्हें गोविंद कहा जाने लगा.
गोविंद का अर्थ है "गायों का स्वामी". भगवान कृष्ण गायों के स्वामी हैं और वे उन्हें बहुत प्यार करते हैं. वे गायों के लिए एक आदर्श चरवाहे हैं और वे हमेशा उनकी देखभाल करते हैं. गायों को कृष्ण के प्रेम और देखभाल से बहुत आनंद आता है.
कृष्ण को गिरधर क्यों कहा जाता है ?
भगवान कृष्ण को गिरधर इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपनी उँगलियों से गोवर्धन पहाड़ को उठाया था. यह घटना कृष्ण के बाल्यकाल में घटित हुई थी. जब कृष्ण गोकुल में रहते थे, तब भगवान इंद्र बारिश के देवता थे. इंद्र बहुत घमंडी थे और वे लोगों को परेशान करते थे. एक दिन, इंद्र ने गोकुल पर बारिश करना शुरू कर दिया. बारिश बहुत जोरदार थी और लोगों को बहुत परेशानी हो रही थी. कृष्ण ने लोगों की मदद करने के लिए फैसला किया. उन्होंने अपनी उँगलियों से गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और लोगों को बारिश से बचा लिया. लोगों को कृष्ण के इस कार्य से बहुत खुशी हुई और उन्होंने उन्हें गिरधर कहा.गिरधर का अर्थ है "पहाड़ उठाने वाला". भगवान कृष्ण एक महान शक्तिशाली देवता हैं और वे हमेशा लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं. वे एक आदर्श देवता हैं और वे हमें सिखाते हैं कि हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए.