जिनके नाम से मैं दिन की शुरुआत

जिनके नाम से मैं दिन की शुरुआत

जिनके नाम से मैं दिन की,
शुरुआत करता हूं,
मैं और किसी की नहीं,
राम की बात करता हूं।

जिनके नाम को प्रेम मैं,
दिन रात करता हूं,
मैं और किसी की नहीं,
राम की बात करता हूं।

श्री राम जानकी जय जय जय,
कृपा निधान की जय जय जय,
श्री राम जानकी जय जय जय,
कृपा निधान की जय जय जय,
जय बोलो लक्ष्मण जी की,
और श्री हनुमान जी जय जय जय,
दर्शन मैं राम परिवार के,
साक्षात करता हूं।

हे रघुपति राघव नमो नमो,
है राज विलोचन नमो नमो,
हे रघुपति राघव नमो नमो,
तेरी जय पुरुषोत्तम नमो नमो,
हे रमित रमन राम नमो नमो,
कौशल्या नंदन नमो नमो,
सब नामों को प्रणाम,
जोड़ के हाथ करता हूं।

मेरी सांसों में है राम राम,
मैं जब भी बोलूं राम राम,
मैं जब सुनता हूं राम राम,
मैं तब भी बोलूं राम राम,
मेरी आंखों में है राम नाम,
जब आंखें खोलो राम राम,
रोशन ऐसे तृष्णा,
मन की शांत करता हूं।

जिनके नाम से मैं दिन की,
शुरुआत करता हूं,
मैं और किसी की नहीं,
राम की बात करता हूं।
 


श्री रामचंद्र जी की पूजा को नियमित रूप से करने से आपको मानसिक शांति, शुभकामनाएँ, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त हो सकती हैं। यहां श्री रामचंद्र जी की पूजा की सामान्य विधि दी गई है:
सामग्री:
  • श्री रामचंद्र जी की मूर्ति या फोटो
  • दीपक (दीया) और घी
  • दूप बत्ती
  • गंध (चंदन)
  • कपूर
  • पुष्प (फूल)
  • नैवेद्य (भोजन)
  • पूजा थाली
  • कलश जल (साफ पानी)
  • अक्षता (चावल की अनाज)
पूजा की विधि:
  1. पूजा का आरंभ करते समय, सबसे पहले अपने हाथों और शरीर को धोकर शुद्धता प्राप्त करें।
  2. श्री रामचंद्र जी की मूर्ति या फोटो को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  3. पूजा थाली पर उन्हें सजाकर रखें।
  4. थाली पर दीपक, दूप बत्ती, गंध, कपूर, पुष्प, अक्षता, नैवेद्य, और कलश जल को रखें।
  5. पूजा की शुरुआत दीपक की आरती से करें। दीपक को पूजा थाली में जलाएं और इसके साथ 'राम आरती' का पाठ करें।
  6. फिर गंध, कपूर, और पुष्पों की पूजा करें। इनको भगवान के पास अर्पित करें।
  7. अक्षता को पूजा थाली में रखें और मन्त्रोच्चारण के साथ उन्हें अर्पित करें।
  8. नैवेद्य को पूजा थाली पर रखें। यह भोजन भगवान को समर्पित करने के लिए होता है।
  9. कलश जल को पूजा थाली में लेकर, कलश पूजा का पाठ करें।
  10. आपकी भक्ति और समर्पण की भावना से श्री रामचंद्र जी को मन में धारण करके मन्त्र जप करें। आप उनके नाम का जाप कर सकते हैं या "ॐ रामाय नमः" मन्त्र का जाप कर सकते हैं।
  11. आपकी आराधना के बाद, आरती करें और उनके प्रति अपनी भक्ति और प्रेम की भावना को व्यक्त करें।
  12. पूजा का प्रसाद नैवेद्य को आप स्वयं भोग कर सकते हैं और उसका बाकी हिस्सा आप परिवार और मित्रों के साथ साझा कर सकते हैं।
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