कबीर यहु घर प्रेम का ख़ाला का घर नाँहि हिंदी मीनिंग Kabir Yahu Ghar Prem Ka Meaning

कबीर यहु घर प्रेम का ख़ाला का घर नाँहि हिंदी मीनिंग Kabir Yahu Ghar Prem Ka Meaning : Kabir Ke Dohe / Hindi Bhavarth/Meaning

कबीर यहु घर प्रेम का, ख़ाला का घर नाँहि।
सीस उतारै हाथि करि, सो पैठे घर माँहि॥ 
 
Kabir Yahu Ghar Prem Ka, Khala Ka Ghar Nahi,
Seesh Utare Hathi Kari So Paidthe Ghar Mahi.
 
कबीर यहु घर प्रेम का ख़ाला का घर नाँहि हिंदी मीनिंग Kabir Yahu Ghar Prem Ka Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीरदास जी इस दोहे में यह बता रहे हैं कि परमात्मा के दर्शन के लिए प्रेम और समर्पण बहुत अधिक महत्त्व रखता है। यह कोई मौसी का घर नहीं है, जहाँ कोई भी बिना समर्पण के / बिना किसी विशेष कारण के प्रवेश पा सकता है। कबीरदास जी ने इस दोहे में "ख़ाला का घर" का प्रयोग एक व्यंग्य के रूप में किया है। मौसी का घर एक ऐसा घर होता है जहाँ कोई भी आसानी से प्रवेश पा सकता है। कोई भी बिना किसी विशेष प्रयोजन के के मौसी के घर जा सकता है। अतः इस दोहे में कबीर साहेब सन्देश देते हैं की केवल इश्वर के नाम का सुमिरन करना ही आवश्यक नहीं है, अपितु इसके साथ ही साधक को भक्ति मार्ग को आत्मसात करके इसके अनुसरण भी करना चाहिए. भक्ति कोई आसान कार्य नहीं है, इसके लिए संसार के बन्धनों को तोड़कर स्वंय को भक्ति मार्ग में समर्पित करना पड़ता है.
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