कामदा एकादशी व्रत कथा कहानी Kamada Ekadashi Ki Vrat Katha Kahani
कामदा एकादशी चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। कामदा एकादशी चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। कामदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसके सभी पापों का नाश होता है।
कामदा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक व्रत रखना चाहिए। द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद, स्नान आदि करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु को तुलसी, फल, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए। पूजा के बाद, भगवान विष्णु की कथा सुननी चाहिए।
कामदा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक व्रत रखना चाहिए। द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद, स्नान आदि करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु को तुलसी, फल, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए। पूजा के बाद, भगवान विष्णु की कथा सुननी चाहिए।
कामदा एकादशी की कहानी Kamada Ekadashi Ki Kahani
बहुत समय पहले की बात है। नागलोक में पुंडरीक नामक एक राजा रहता था। राजा के दरबार में किन्नर एवं गंधर्व बहुतायत में रहते थे। एक दिन गंधर्व ललित राजा के दरबार में गान कर रहा था। अचानक गंधर्व को अपनी पत्नी की याद आ गई। जिससे उसके स्वर, लय और ताल बिगड़ने लग गई। उसकी इस गलती को कर्कट नाम के एक नाग ने जान लिया। कर्कट ने राजा पुंडरीक को यह जानकारी दे दी। राजा को ललित पर बहुत ही क्रोध आया। राजा ने ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया। ललित सहस्त्रों वर्ष तक राक्षस योनि में अनेक लोकों में घूमता रहा। उसकी पत्नी ललिता भी उसी का अनुकरण करती रही। ललित की पत्नी ललिता अपने पति को इस हालत में देखकर बहुत ही दुखी होती थी।एक दिन घूमते घूमते ललित की पत्नी ललिता विंध्य पर्वत पर रहने वाले ऋष्यमूक ऋषि के पास गई। ललिता ने अपने पति के श्राप के उद्धार का उपाय पूछने लगी। ऋष्यमूक ऋषि को उन पर दया आ गई। उन्होंने उन्हें चैत्र शुक्ल पक्ष की कामना एकादशी का व्रत करने का आदेश दिया।
ललिता ने चैत्र शुक्ल पक्ष की कामना एकादशी का व्रत किया। जिसके प्रभाव से ललित का श्राप मिट गया और वह पुनः गंधर्व स्वरूप में आ गए। और दोनों पति-पत्नी सुख पूर्वक रहने लगे।
२ कामदा एकादशी व्रत कथा कहानी
प्राचीन काल में, एक राजा था जिसका नाम पुण्डरीक था। वह बहुत ही क्रूर और अहंकारी था। एक दिन, उसने एक गन्धर्व को अपने राज्य से जाने से मना कर दिया। गन्धर्व ने राजा को शाप दिया कि वह राक्षस योनि में जन्म लेगा।
उसी समय, गन्धर्व की पत्नी ललिता भी वहां थी। वह अपने पति को श्राप से बचाने के लिए बहुत दुखी हुई। उसने ऋष्यमूक ऋषि के आश्रम में जाकर अपने पति के उद्धार का उपाय पूछा।
ऋष्यमूक ऋषि ने उसे बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ललिता ने श्रद्धापूर्वक कामदा एकादशी का व्रत किया। द्वादशी के दिन, उसने ब्राह्मणों को भोजन करवाया और उन्हें दक्षिणा दी। फिर उसने अपने पति को एकादशी का फल दिया। उसके पति को श्राप से मुक्ति मिल गई और वह अपने गन्धर्व रूप को प्राप्त कर लिया। कामदा एकादशी व्रत के प्रभाव से ललिता और उसके पति दोनों को सुख और समृद्धि प्राप्त हुई।
कामदा एकादशी व्रत को सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत माना जाता है। इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उसी समय, गन्धर्व की पत्नी ललिता भी वहां थी। वह अपने पति को श्राप से बचाने के लिए बहुत दुखी हुई। उसने ऋष्यमूक ऋषि के आश्रम में जाकर अपने पति के उद्धार का उपाय पूछा।
ऋष्यमूक ऋषि ने उसे बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ललिता ने श्रद्धापूर्वक कामदा एकादशी का व्रत किया। द्वादशी के दिन, उसने ब्राह्मणों को भोजन करवाया और उन्हें दक्षिणा दी। फिर उसने अपने पति को एकादशी का फल दिया। उसके पति को श्राप से मुक्ति मिल गई और वह अपने गन्धर्व रूप को प्राप्त कर लिया। कामदा एकादशी व्रत के प्रभाव से ललिता और उसके पति दोनों को सुख और समृद्धि प्राप्त हुई।
कामदा एकादशी व्रत को सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत माना जाता है। इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कामदा एकादशी क्या है ?
कामदा एकादशी चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे कामिका एकादशी भी कहा जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। कामदा एकादशी व्रत को सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत माना जाता है। इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कामदा एकादशी चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत माना जाता है। इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।कामदा एकादशी व्रत के नियम
कामदा एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि को सायंकाल से ही उपवास करना शुरू कर देना चाहिए।
कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि
कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:
कामदा एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि को सायंकाल से ही उपवास करना शुरू कर देना चाहिए।
- एकादशी के दिन व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- एकादशी के दिन व्रती को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
- एकादशी के दिन व्रती को हरी सब्जियां, फल, और दूध आदि का सेवन करना चाहिए।
- एकादशी के दिन व्रती को मांस, मछली, अंडा, प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- एकादशी के दिन व्रती को दिनभर भजन, कीर्तन आदि में मन लगाना चाहिए।
- एकादशी के दिन व्रती को द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद ही पारण करना चाहिए।
- इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है।
- इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- इस व्रत को करने से धन, वैभव, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- इस व्रत को करने से आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि
कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:
- दशमी तिथि को सायंकाल से ही व्रती को उपवास करना शुरू कर देना चाहिए।
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- फिर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को फूल, अक्षत, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।
- भगवान विष्णु की आरती करें।
- भगवान विष्णु से अपने मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
- द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करें।
कामदा एकादशी का महत्व
कामदा एकादशी के व्रत से प्राप्त होने वाले पुण्य के बारे में पद्म पुराण में कहा गया है कि इस व्रत को करने से ब्रह्महत्या और अनजाने में किए हुए सभी पापों से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी पिशाचत्व आदि दोषों का भी नाश करने वाली है। कामदा एकादशी के व्रत करने से और कथा सुनने से वाजपेय यज्ञ का पुण्य मिलता है।यह परम पुण्यमयी एकादशी पापरूपी ईधन के लिए तो दावानल ही है।कामदा एकादशी व्रत पूजाविधि
कामदा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस व्रत को फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसके सभी पापों का नाश होता है।कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि
कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि निम्नलिखित है:
- प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करें और साफ वस्त्र पहनें।
- अपने घर में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं।
- भगवान विष्णु को वस्त्र, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप, आदि अर्पित करें।
- भगवान विष्णु की आरती करें।
- कामदा एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें।
- रात्रि में भगवान विष्णु का जागरण करें।
- द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें।
कामदा एकादशी व्रत का पारण
कामदा एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है। द्वादशी तिथि के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करें और व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का पारण करें। व्रत का पारण करने के लिए तुलसी के पत्तों को जल में मिलाकर पीने के बाद फलाहार करें।
कामदा एकादशी व्रत के नियम
कामदा एकादशी व्रत के कुछ नियम निम्नलिखित हैं:
- एकादशी के दिन व्रत रखें और पूरे दिन उपवास करें।
- एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें।
- एकादशी के दिन किसी भी प्रकार का मांस, मछली, अंडा, प्याज, लहसुन आदि का सेवन न करें।
- एकादशी के दिन किसी भी प्रकार का क्रोध, घृणा, ईर्ष्या आदि न करें।
- एकादशी के दिन किसी भी प्रकार के पाप कर्म न करें।
कामदा एकादशी व्रत को विधिवत रूप से करने से व्यक्ति को सभी मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है और उसके सभी पापों का नाश होता है।
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