श्री कृष्णा जी को साँवरा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका रंग सांवला है। हिंदू धर्म में, सांवला रंग अक्सर सुंदरता और आकर्षण का प्रतीक होता है। कृष्णा जी को उनकी सुंदरता और आकर्षण के लिए जाना जाता है।
कृष्णा जी को "साँवरा" कहा जाने का एक और कारण यह है कि वे अक्सर गोकुल के गोपियों के बीच रहते थे। गोपियाएं अक्सर कृष्णा जी की सुंदरता और आकर्षण की प्रशंसा करती थीं। वे कृष्णा जी को "साँवरा" कहकर पुकारती थीं। कृष्णा जी को "साँवरा" कहा जाना एक प्यारा और सम्मानजनक तरीका है। यह उनके सुंदरता, आकर्षण और गोपियों के साथ उनके गहरे संबंध का प्रतीक है।
कृष्णा जी को "साँवरा" कहा जाने का एक और कारण यह है कि वे अक्सर गोकुल के गोपियों के बीच रहते थे। गोपियाएं अक्सर कृष्णा जी की सुंदरता और आकर्षण की प्रशंसा करती थीं। वे कृष्णा जी को "साँवरा" कहकर पुकारती थीं। कृष्णा जी को "साँवरा" कहा जाना एक प्यारा और सम्मानजनक तरीका है। यह उनके सुंदरता, आकर्षण और गोपियों के साथ उनके गहरे संबंध का प्रतीक है।
सांवरी सूरत पे मोहन दिल दीवाना लिरिक्स Sanwari Surat Pe Mohan Lyrics
सांवरी सूरत पे मोहन,दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया मेरा,
दिल दीवाना हो गया।।
एक तो तेरे नैन तिरछे,
दूसरा काजल लगा,
तीसरा नजरें मिलाना,
दिल दीवाना हो गया।
दिल दीवाना हो गया मेरा,
दिल दीवाना हो गया।।
एक तो तेरे होंठ पतले,
दूसरा लाली लगी,
तीसरा तेरा मुस्कुरना,
दिल दीवाना हो गया।
दिल दीवाना हो गया मेरा,
दिल दीवाना हो गया।।
एक तो तेरे हाथ कोमल,
दूसरा मेहंदी लगी,
तीसरा बंसी बजाना,
दिल दीवाना हो गया।
दिल दीवाना हो गया मेरा,
दिल दीवाना हो गया।।
एक तो तेरे पाव नाजुक,
दूसरा पायल बंधी,
तीसरा घुँघरू बजाना,
दिल दीवाना हो गया।
दिल दीवाना हो गया मेरा,
दिल दीवाना हो गया।।
एक तो तेरे भोग छप्पन,
दूसरा माखन धरा,
तीसरा खीचड़े का खाना,
दिल दीवाना हो गया।
दिल दीवाना हो गया मेरा,
दिल दीवाना हो गया।।
एक तो तेरे साथ राधा,
दूसरा रुक्मणी खड़ी,
तीसरा मीरा का आना,
दिल दीवाना हो गया।
दिल दीवाना हो गया मेरा,
दिल दीवाना हो गया।
सांवरी सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया मेरा,
दिल दीवाना हो गया।
एक ऐसा भजन जिसे सुनकर दिल खुश हो जाएगा | Sawali Surat Pe Mohan
श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान कृष्ण देवकी और वसुदेव के आठवें पुत्र थे। उनका जन्म मथुरा में हुआ था, जब उनके पिता, वसुदेव, उन्हें कंस से बचाने के लिए गोकुल ले गए थे। कंस, देवकी का भाई था, जो एक अत्याचारी राजा था। कंस को भविष्यवाणी में बताया गया था कि उसकी एक बहन के आठवें पुत्र से उसकी मृत्यु होगी। इसलिए, उसने अपनी बहन और उसके बच्चों को मारने की कोशिश की। गोकुल में, कृष्ण ने एक नंद और यशोदा के पुत्र के रूप में छिपकर अपना बचपन जिया। वह एक चंचल और शरारती बालक थे, लेकिन वे बहुत बुद्धिमान और शक्तिशाली भी थे। उन्होंने कई राक्षसों का वध किया, जिनमें कालिया नाग,पूतना, अघासुर, और बकासुर शामिल हैं। उन्होंने मथुरा में कंस का वध भी किया और द्वापर युग में धर्म की स्थापना की।