मोहिनी एकादशी व्रत कथा Mohini Ekadashi Vrat Katha Mhatav Fayde

मोहिनी एकादशी व्रत कथा Mohini Ekadashi Vrat Katha

मोहिनी एकादशी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। वैशाख शुक्ल एकादशी को ही मोहिनी एकादशी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को अमृत से वंचित कर दिया था। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
 
मोहिनी एकादशी व्रत कथा Mohini Ekadashi Vrat Katha Mhatav Fayde
 

मोहिनी एकादशी व्रत कथा Mohini Ekadashi Vrat Katha

प्राचीन समय की बात है। एक राजा था। राजा के कई पुत्र थे। राजा के पुत्रों में से एक राजकुमार बहुत ही व्यभिचारी, दुर्जन संग और बड़ों का अपमान करने वाला था। राजा ने उसके व्यवहार से परेशान होकर उसे राज्य से बाहर निकाल दिया था। वह राजकुमार जाकर वन में रहने लगा और वन के जानवरों को मार कर खाने लगा।
एक दिन पूर्व जन्म के संस्कार के कारण वह एक ऋषि के आश्रम में पहुंचा। ऋषि ने राजकुमार को सत्संगति का महत्व समझाया। इससे राजकुमार का हृदय परिवर्तन हो गया। अब राजकुमार अपने किए गए पाप कर्मों पर पछताने लगा।
ऋषि ने राजकुमार को वैशाख शुक्ल एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। राजकुमार ने वैशाख शुक्ल एकादशी अर्थात मोहिनी एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उस दुष्ट राजकुमार की बुद्धि निर्मल हो गई।
आज भी यह व्रत श्रद्धा के साथ किया जाता है। यह माना जाता है की जो भी व्यक्ति यह व्रत करता है उसकी बुद्धि निर्मल हो जाती है और उसे सत्संगति का महत्व पता चल जाता है।
 

मोहिनी एकादशी क्या है ? Mohini Ekadashi Kya Hoti Hai ?

वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके असुरों से अमृत छीन लिया था। इसलिए इस दिन का व्रत करने से मोह माया से मुक्ति मिलती है और पापों से छुटकारा मिलता है। मोहिनी एकादशी के व्रत से मनुष्य को अनेक लाभ मिलते हैं। यह व्रत करने से मनुष्य के जीवन में सुख, समृद्धि, और आरोग्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत करने से मनुष्य मोह माया से मुक्ति पाता है और पापों से छुटकारा पाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं।
 
मोहिनी एकादशी के दिन व्रत रखने और विधि-विधान से जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके असुरों से अमृत छीन लिया था। इसलिए इस दिन का व्रत करने से मोह माया से मुक्ति मिलती है और पापों से छुटकारा मिलता है।
 

मोहिनी एकादशी व्रत महत्व (Mohini Ekadashi Importance)

मोहिनी एकादशी व्रत शास्त्रों में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को अमृत से वंचित कर दिया था। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

  • पापों से मुक्ति: इस व्रत के प्रभाव से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
  • मोक्ष की प्राप्ति: इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • शत्रुओं पर विजय: इस व्रत को करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  • घर-परिवार में सुख-शांति: इस व्रत को करने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  • धन, बुद्धि, ऐश्वर्य एवं विद्या की प्राप्ति: इस व्रत को करने से साधक को धन, बुद्धि, ऐश्वर्य एवं विद्या की प्राप्ति होती है।
मोहिनी एकादशी व्रत सभी भक्तों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है। इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने से भक्तों को सभी प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। मोहिनी एकादशी व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मोहिनी एकादशी व्रत की मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को अमृत से वंचित कर दिया था। मोहिनी भगवान विष्णु की एकमात्र स्त्री अवतार हैं।

पुराणों में बताया गया है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन किया गया तो उससे अमृत कलश की प्राप्ति हुई। असुरों ने अमृत कलश को छीन लिया और उसे पीने लगे। भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को मोहित कर दिया। मोहिनी ने असुरों को अमृतपान कराने का बहाना बनाया और देवताओं को अमृतपान करा दिया। असुरों को अमृतपान नहीं करने दिया जा सका और वे सभी मारे गए।

मोहिनी एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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