रघुवर संग जनक लली झुलनवा झूल रही

रघुवर संग जनक लली झुलनवा झूल रही


रघुवर संग जनक लली झुलनवा झूल रही,
रघुवर संग जनक लली झुलनवा झूल रही।

मणियन जड़ित हिलोडें आली,
मनहर डोर विविध रंग वाली,
लगी बिच बिच सुमन कली, झुलनवा झूम रही।
रघुवर संग जनक लली झुलनवा झूम रही।

श्याम घटा छाई मनुहारी,
त्रिबिध सुगंधित बहत बयारी,
कोयल मृद कूक भली, झुलनवा झूल रही।
रघुवर संग जनक लली झुलनवा झूल रही।

नभ चढ़ देव सुमन बरसाये,
झूलन छवि लखि वलि वलि जायें,
सब जय जय करहीं भली, झुलनवा झूल रही।
रघुवर संग जनक लली झुलनवा झूल रही।

हर्षित तुमहु लखहु छवि बांकी,
झूलन झांकी राम सिया की,
दृग पथ हिय उतर चली, झुलनवा झूल रही।
रघुवर संग जनक लली झुलनवा झूल रही।


रघुवर संग जनक लली / झूलागीत / संगीताचार्य बृजेश कुमार jhoola geet #song #folkmusic #bundelilokgeet

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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