नकटा देव सूंमड़ा पूजारी मीनिंग

नकटा देव सूंमड़ा पूजारी -राजस्थानी कहावत

इस राजस्थानी भाषा की कहावत का अर्थ है की एक जैसा ही होना, सामान स्वभाव का होना. जब दो व्यक्ति जो गुणों के आधार पर एक जैसे हों, व्यंग्य स्वरुप में दोनों ही मूर्ख हो तो इसे नकटा देव और सूमड़ा पुजारी कहा जाता है. आशय है की देवता नकटा हैं, जिनको कोई परवाह नहीं है और ऐसे ही पुजारी भी सूमड़े (झालर ) होते हैं.यह कहावत "जैसा को तैसा" का प्रतीक है। यह ऐसे व्यक्ति या स्थिति को दर्शाती है, जहां जैसा व्यवहार किया जाए, वैसा ही उत्तर मिलता है।
 
नकटा देव सूंमड़ा पूजारी -राजस्थानी कहावत

This proverb signifies the phrase "tit for tat," implying a situation where the response mirrors the action or behavior received.
"जब भंवरलाल ने मेरे साथ चालाकी करी, तो मैंने भी नकटा देव सूंमड़ा पूजारी का पालन करते हुए वैसा ही जवाब दिया।"
जब भंवरलाल ने मेरे साथ चालाकी की, तो मैंने भी "जैसा को तैसा" के अनुसार जवाब दिया।
When Bhanwarlal tried to outsmart me, I followed the principle of "tit for tat" and responded in a similar manner.

The phrase "Nakata Dev Soomda Pujari" vividly encapsulates the idea of reciprocation or equal response. In this context, "Nakata Dev" (a deity with a short or disfigured nose) is served by a "Soomda Pujari" (a priest with a similar characteristic), symbolizing an equal match in behavior or characteristics. It reflects the cultural wisdom that people or actions often receive responses reflecting their nature, promoting fairness and accountability.

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