
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
रंग रंग का फूल खिले भजन प्रहलाद सिंह टिपानिया साखी रंग ही से रंग उपजे, और सब रंग देखा एक । कौन रंग है जीव का, और ताका करो विवेक ।। सब रंग ...
मतकर माया को अहंकार भजन साखी/Sakhi आया है सब जाएगा,और राजा-रंक फ़किर, कोई सिंहासन चड़ चले,और कोई बंधे ज़ंजीर।। पता टूटा डाल से,ले गई पवन उ...
थारा रंग महल में अजब शहर में भजन लिरिक्स प्रहलाद सिंह टिपानिया भजन के बोल (lyrics) साखी - छका सो थका फिर देह धारे नहीं, कर्म और कपट सब दूर क...
गुरु बिना कोई काम न आवे भजन गुरु शब्द है, गुरु समझ है, गुरु मार्गदर्शन है, गुरु के द्वारा शिष्य, अपने लक्ष्य तक पहुँच जाता है, चंदा जाएगा, स...
कोई मत छेड़ो रे यार हमें कोई मत छेड़ो रे भेदी जाणे सर्वगुण, अणभेदी क्या जाण, के जाणे गुरु पारखी, के जिन लागा बाण। जब मैं था तब गुरु नाहीं, अ...
गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे प्रसिद्द भजन गुरु जी बिना कोई काम नी आवे/नहीं आवे स्वर श्री प्रह्लाद सिंह टिपानिया जी। गुरु शब्द है, गुरु समझ ह...
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला आके जरा मिटा दो साहिब तमारी साहिबी, सब घट रही समाय, मेहंदी के रे पात में, लाली लखी नहीं जाय। (साहिब तेरी साहिबी, ...
घणो रिझायो हो दीवानी प्रहलाद सिंह टिपानिया एजी मैं पिया की प्यारणी, और अपना करले री, अरे कलह कल्पना मैट के, और चरणों चित्त दे री। अरे बहुत...
बांऊ अगाड़ी म्हारां वासा भजन बाकी तेग कबीर की, अणि पड़े जो दो टूक, मारा मीर महाबली, ऐसी मूठ अचूक, बाक़ा गढ़का काम का, ना बाकी गढ़ की पोल काछ कबी...
साधो देखा हूँ जग बोराना भजन साखी राम रहीमा एक है, मत समझो कोई दोय, अन्तर टाटी भरम की, यासे सूझे दोय। साधो देखा हूँ जग बोराना, सांच ...
नथ म्हारी दई दो हो गिरधारी भजन अखियाँ प्रेम कसाइयाँ, और जिन जान्यो दुःख पाय, राम सनेही कारणे, और रो रो रात बिताय, (अंषड़िया प्रेम कसाइयाँ, लो...
जावो नुगरी काया भजन आया है सो जाऐगा, राजा रंक फ़कीर कोई सिंहासन चढ़ चले कोई बंधे जंजीर।। ऊंचे महल चुनावते, करते होड़म होड़। अरे ते मंदिर खा...
म्हारा सतगुरु बणिया भेदिया भजन ओ म्हारा सतगुरु बणिया भेदिया है, ओ म्हारी नाड़ी रे पकड़ी हाथ, म्हारां धिन गुरु बणिया भेदिया है, उण नाड़ी में लहा...
गुरु शरण में रहना रे मन तू प्रहलाद सिंह टिपानिया भजन कबीर गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान, गुरु बिन सब निष्फल गया, बाँचो वेद पुराण। त...
पंछिड़ा भाई तू वन वन क्यों डोले रे भजन कबीर गुरु ने गम कही, भेद दिया अरथाय, सुरत कलम के अंतरे, निराधार पद पाय। मानुष जन्म तू खो रहा, भजना था...
कैसे मैं जाऊं सासरिये भजन प्रहलाद सिंह जी के स्वर में यह मीरा भजन है जिसमे बाई मीरा अपने गुरु के आगमन पर अपने हृदय के उदगार प्रकट कर...
चेत रे नर चेत भजन जागो जुगा का भाई जागो जुगा रा जिवडा रे, सुतोडा जागो, सुतोडा जागो रे, मन महीला ने मारो रे, जागों जुगा रा, जागो म्हारा हं...