kailash Kher Bhajan

आदि योगी दूर उस आकाश की गहराइयों

आदि योगी दूर उस आकाश की गहराइयों में   दूर उस आकाश की गहराइयों में, इक नदी से बह रहे हैं आदियोगी, शून्य सन्नाटे टपकते जा रहे हैं, मौन से सब ...

Saroj Jangir