मन्त्रों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्त्व Gayatri Mantra Scientific Approach

मन्त्रों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्त्व


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मंत्रों का महत्त्व किसी से छुपा हुआ नहीं है। मंत्र दरअसल ईश्वर की स्तुति का माध्यम हैं जो छोटे होकर भी दिव्य प्रभाव वाले होते हैं। अगर बात वैज्ञानिक दृष्टिकोण की की जाय तो

इसे यूँ समझिए की आज इंसान पर जो भी अध्ययन हुए हैं उनमें यह बात निकल कर सामने आयी है की यदि व्यक्ति प्रसन्न रहता है, मानसिक स्तर पर उसके शांति है तो उसके व्यक्तित्व में स्वतः ही परिवर्तन देखने को मिलेंगे। उसके कार्यों में स्थायित्व होगा और उसके द्वारा किये गए कार्यों का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।

मंत्र सदियों से चले आ रहे हैं और शास्त्रों में इनके गुणों को परिभाषित भी किया गया है इसीलिए सुबह हम हमारे आस पास मन्त्रों के उच्चारण को मंदिरों में सुनते हैं। इन्हे एक लयबद्ध तरीके से बोला जाता है, गाया जाता है। निश्चित छंद और मात्राओं का समूह भी वैज्ञानिक है। इनके साथ प्रयोग में लाये जाने वाले वाद्य यन्त्र भी वैज्ञानिक तौर पर महत्वपूर्ण हैं।

विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के द्वारा मन्त्रों के महत्त्व और प्रभावों पर कई शोध किये गए हैं। मन्त्रों के जाप से होता ये है की मस्तिष्क शांत होता है, उसमे चल रही विद्युत तरंगे शांत होती है और अतिसक्रिय तरंगे भी शांत होती है। ये नींद आने जैसा नहीं है बस मस्तिष्क को शांत करती है। एक शोध के अनुसार लगातार मन्त्रों के जाप करने वाले व्यक्ति की स्मरण शक्ति, निर्णय लेने की ताकत के साथ साथ व्यक्ति विशेष योग्यता का धनि होता है जो उसके रोज मर्रा के कार्यों के उत्कृष्ट परिणाम के रूप में देखे जा सकते है।

मन्त्रों के विशेष ध्वनि और आवृति से शरीर से विषाक्त तत्व बाहर निकलते है जिसे वैज्ञानिक रूप से परखा जा चूका है। मन्त्र मूल रूप से व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करते हैं।

गायत्री मंत्र


ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्


मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या
गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं

  • ॐ = प्रणव
  • भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
  • भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
  • स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
  • तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
  • वरेण्यं = सबसे उत्तम
  • भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
  • देवस्य = प्रभु
  • धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
  • धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी,
  • प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना


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