एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की नारी,
गोकुल में आ गये है
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
गोकुल में आ गये है.
पारवती से बोले मैं भी चालु गा तेरे संग में,
राधा संग श्याम नाचे मैं भी नाचूगा तेरे संग में,
रास रचे गा ब्रिज में भारी हमें दिखो प्यारी,
गोकुल में आ गये है.
ओ मेरे भोले स्वामी कैसे ले जाओ तोहे साथ में,
मोहन के सिवा वहा कोई पुरस ना जाये रास में,
हँसी करे गी ब्रिज की नारी मान लो बात हमारी,
गोकुल में आ गये है.
ऐसा बनादो मुझे को कोई न जाने इस राज को,
मैं हु सहेली तेरी इसा बताना ब्रिज राज को,
बना के जुड़ा पेहन के साड़ी चाल चले मत वाली,
गोकुल में आ गये है
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
गोकुल में आ गये है.
पारवती से बोले मैं भी चालु गा तेरे संग में,
राधा संग श्याम नाचे मैं भी नाचूगा तेरे संग में,
रास रचे गा ब्रिज में भारी हमें दिखो प्यारी,
गोकुल में आ गये है.
ओ मेरे भोले स्वामी कैसे ले जाओ तोहे साथ में,
मोहन के सिवा वहा कोई पुरस ना जाये रास में,
हँसी करे गी ब्रिज की नारी मान लो बात हमारी,
गोकुल में आ गये है.
ऐसा बनादो मुझे को कोई न जाने इस राज को,
मैं हु सहेली तेरी इसा बताना ब्रिज राज को,
बना के जुड़ा पेहन के साड़ी चाल चले मत वाली,
गोकुल में आ गये है.
भगवान शिव सृष्टि के रचयिता और संहारक के रूप में पूजनीय हैं, जो अपने भक्तों की हर स्थिति में सहायता करते हैं। उनके अनेक रूप और लीलाएँ हमें यह सिखाती हैं कि वे हमेशा धर्म, भक्ति और न्याय के पक्ष में खड़े रहते हैं।
क्यों कहते हैं शिव जी को भोले भंडारी ?
शिव जी को "भोले भंडारी" के नाम से भी पुकारते हैं , लेकिन क्यों ? कारन नाम से ही स्पष्ट है। शिव जी को भोले भंडारी के नाम से इसलिए जाना जाता है क्यों की वो अपने भक्तों पर बहुत दयालु हैं और जो उन्हें याद करते हैं, भले ही पूजा अर्चना ना ही करते हों, उन पर सदैव बाबा का हाथ होता है और वो उन्हें भी आशीर्वाद देते हैं। शिव जी की पूजा के लिए भी किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं होती हैं। बाबा को मात्रा बेल पत्र और पानी से भी प्रशन्न किया जा सकता है। बाबा के भोले स्वाभाव के कारन ही शिव जी को भोले भंडारी कहा जाता है।
यहाँ ये भी दिलचस्प है की एक और तो शिवजी को सम्पूर्ण श्रस्टि का विनाश करने की ताकत रखने वाला और भूत प्रेत के साथ रहने वाला और शमशान निवासी बताया गया है और वही दूसरी और भक्तों के लिए बाबा भोलेनाथ भी हैं ?
भोलेनाथ
का शाब्दिक अर्थ है बच्चे की तरह से मासूमियत रखने वाला "भोला " . भक्तों
के लिए बाबा के दिल में सदैव आशीर्वाद होता है और किसी तरह से अहंकार नहीं
होता है।
क्या है कहानी बाबा के "भोलेनाथ" बनने की ?
बाबा के भोलेनाथ बनने के पीछे एक कहानी है। एक समय की बात है एक असुर जिसका नाम भस्मासुर था उसने बाबा को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या शुरू कर दी। तपस्या भी ऐसी की उसने रात और दिन एक कर दिए। बाबा ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसके सामने आये और कहा की उसकी क्या मनोकामना है। इस पर भस्मासुर के बाबा से वरदान माँगा की उसे ऐसा वरदान दे की कोई भी उसे छूते ही भस्म हो जाए। बाबा ने दैत्य की इस मनोकामना को पूर्ण कर दिया। लेकिन असुर तो होते ही असुर हैं, भस्मासुर ने सोचा की क्यों ना शिव जी के वरदान की परीक्षा शिव जी से ही ली जाए और शिव जी के समाप्त होते ही उससे श्रेष्ठ इस संसार में कोई नहीं होगा। एक दिन वो भोला भंडारी Ek Din Wo Bhola Bhandari
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Author - Saroj Jangir
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