सरस्वती आरती वीणा आरती Om Jai Veene Wali Maiya Aarti

सरस्वती आरती वीणा आरती Om Jai Veene Wali Maiya Aarti

 
सरस्वती आरती वीणा आरती लिरिक्स Om Jai Veene Wali Maiya Lyrics सरस्वती आरती वीणा आरती

ओम जय वीणे वाली, मैया जय वीणे वाली
ऋद्धि-सिद्धि की रहती, हाथ तेरे ताली
ऋषि मुनियों की बुद्धि को, शुद्ध तू ही करती
स्वर्ण की भाँति शुद्ध, तू ही माँ करती॥

ज्ञान पिता को देती, गगन शब्द से तू
विश्व को उत्पन्न करती, आदि शक्ति से तू॥

हंस-वाहिनी दीज, भिक्षा दर्शन की
मेरे मन में केवल, इच्छा तेरे दर्शन की॥

ज्योति जगा कर नित्य, यह आरती जो गावे
भवसागर के दुख में, गोता न कभी खावे॥
 
 
आरती का महत्त्व : पूजा पाठ और भक्ति भाव में आरती का विशिष्ठ महत्त्व है। स्कन्द पुराण में आरती का महत्त्व वर्णित है। आरती में अग्नि का स्थान महत्त्व रखता है। अग्नि समस्त नकारात्मक शक्तियों का अंत करती है। अराध्य के समक्ष विशेष वस्तुओं को रखा जाता है। अग्नि का दीपक घी या तेल का हो सकता है जो पूजा के विधान पर निर्भर करता है। वातावरण को सुद्ध करने के लिए सुगन्धित प्रदार्थों का भी उपयोग किया जाता है। कर्पूर का प्रयोग भी जातक के दोष समाप्त होते हैं। 
 
आरती के दौरान भजन गाने का भी अपना महत्त्व है। आरती की जोत लेने का भी नियम है। आरती की थाली को गोल ॐ के आकार में घुमाना शुभकर माना जाता है। आरती पूर्ण होने के बाद दोनों हाथों से आरती की लौ को लेकर आखों और माथे के ऊपर लगाना लाभकारी माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है की आरती में शामिल होने मात्र से लाभ प्राप्त होता है। 
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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