लटपटी पेचा बांधा राज मीरा बाई पदावली

लटपटी पेचा बांधा राज लिरिक्स Latpati Pecha Bandha Raaj

लटपटी पेचा बांधा राज॥टेक॥
सास बुरी घर ननंद हाटेली। तुमसे आठे कियो काज॥१॥
निसीदन मोहिके कलन परत है। बनसीनें सार्‍यो काज॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधन नागर। चरन कमल सिरताज॥३॥

मीरा बाई के इस भजन में वे अपने सांसारिक जीवन की कठिनाइयों और अपने आराध्य गिरिधर नागर (कृष्ण) के प्रति अटूट भक्ति का वर्णन करती हैं। वे कहती हैं कि उनके जीवन में उलझनें और बाधाएं हैं, जैसे सास और ननद का कठोर व्यवहार, जिन्होंने उनके लिए समस्याएं खड़ी की हैं। रात-दिन उन्हें कष्ट सहना पड़ता है, लेकिन बंसीधर (कृष्ण) ने उनके सभी कार्य सफल कर दिए हैं। अंत में, मीरा अपने प्रभु गिरिधर नागर के चरण कमलों को सिर का ताज मानकर उनकी भक्ति में लीन हो जाती हैं।
 
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