आरती कीजे शैल सुता की, जगदम्बा की आरती कीजे, आरती कीजे जगदम्बा की, आरती कीजे शैल सुता की।।
स्नेह सुधा सुख सुन्दर लीजै, जिनके नाम लेट दृग भीजै, ऐसी वह माता वसुधा की, जगदम्बा की आरती कीजे, आरती कीजे शैल सुता की।।
पाप विनाशिनी कलिमल हारिणी, दयामयी भवसागर तारिणी, शस्त्र धारिणी शैल विहारिणी, बुधिराशी गणपति माता की, जगदम्बा की आरती कीजे, आरती कीजे शैल सुता की।।
सिंहवाहिनी मातु भवानी, गौरव गान करें जग प्राणी, शिव के हृदयासन की रानी, करें आरती मिलजुल ताकि, जगदम्बा की आरती कीजे,
Mata Rani Bhajan lyrics in hindi
आरती कीजे शैल सुता की।।
आरती कीजे शैल सुता की, जगदम्बा की आरती कीजे, आरती कीजे जगदम्बा की, आरती कीजे शैल सुता की।।
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी,कोई तेरा पार न पाया || टेक || पान सुपारी ध्वजा नारियल ले,तेरी भेंट चढ़ाया || सुन || सारी चोली तेरे अंग बिराजे,केसर तिलक लगाया || सुन || ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे,शंकर ध्यान लगाया || सुन || नंगे नंगे पग से तेरे,सम्मुख अकबर आया,सोने का छत्र चढ़ाया || सुन || ऊँचे ऊँचे पर्वत बन्यौ शिवालो,नीचे महल बनाया || सुन ||
सतपुरा द्वापर त्रेता मध्ये,कलयुग राज सवाया || सुन || धुप, दीप नैवेद्य आरती,मोहन भोग लगाया || सुन || ध्यानू भगत मैया तेरा गुण गावे,मनवांछित फल पाया ||
आरती का महत्त्व : पूजा पाठ और भक्ति भाव में आरती का विशिष्ठ महत्त्व है। स्कन्द पुराण में आरती का महत्त्व वर्णित है। आरती में अग्नि का स्थान महत्त्व रखता है। अग्नि समस्त नकारात्मक शक्तियों का अंत करती है। अराध्य के समक्ष विशेष वस्तुओं को रखा जाता है। अग्नि का दीपक घी या तेल का हो सकता है जो पूजा के विधान पर निर्भर करता है। वातावरण को सुद्ध करने के लिए सुगन्धित प्रदार्थों का भी उपयोग किया जाता है। कर्पूर का प्रयोग भी जातक के दोष समाप्त होते हैं। जगदम्बा की आरती कीजै...इस सम्पूर्ण सृष्टि का सृजन, पालन एवं संहार करने वाली आदि शक्ति माता दुर्गा है. मां दुर्गा की असीम कृपा जिस पर होती है, उनके सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यही कारण है कि इस भक्तजन मां शैल सुता की पूजा-अर्चना करते हैं. जिससे उनके जीवन की परेशानी दूर होती है. तो सुबह की शुरुआत करे श्रुति सदोलीकर की आवाज में मां शैल सुता की आरती से.
Friday Special | Aarti KiJai Shail Suta Ki | जगदम्बा की आरती की जै | Shruti Sadolikar | Sahitya Tak
सुन्दर भजन में माँ जगदम्बा की अपार महिमा और उनकी दिव्य कृपा का उदगार है। माँ शैलसुता, जिन्होंने सृष्टि की धारण शक्ति को अपने स्वरूप में समाहित किया, उनके चरणों में श्रद्धा और भक्ति का अनमोल अर्पण किया जाता है। माँ की आरती से भक्तों के जीवन में सुख, स्नेह और समृद्धि का संचार होता है। उनका नाम सुनते ही हृदय भाव-विभोर हो जाता है, और श्रद्धा के अश्रु अपने आप प्रवाहित होने लगते हैं। माँ भवानी संकटों को हरने वाली हैं, जिनकी कृपा से आत्मा पवित्रता और दिव्यता से ओतप्रोत होती है।
माँ सिंहवाहिनी की स्तुति से मन में साहस और आत्मबल उत्पन्न होता है। वे महाकाल की शक्ति स्वरूपा हैं, जो शिवजी के साथ संपूर्ण सृष्टि की कल्याणकारी ऊर्जा को धारण करती हैं। उनके दरबार में वेदों का उच्चारण और देवीभाग्य के भजनों का संकीर्तन वातावरण को दिव्यता से भर देता है।
माँ की आराधना से मनुष्य अपने समस्त कष्टों से मुक्त हो जाता है। उनका आशीर्वाद पापों का नाश करता है और जीवन को प्रकाश और शांति प्रदान करता है। माँ के नाम में जो रम जाता है, उसे संसार के समस्त सुखों से परे एक अनमोल आनंद की प्राप्ति होती है।
ध्यानू भक्त का समर्पण माँ के प्रति उस श्रद्धा का परिचय देता है, जिसमें भक्त अपनी संपूर्ण चेतना माँ के चरणों में अर्पित कर देता है। माँ की कृपा से जीवन का प्रत्येक क्षण मंगलमय हो जाता है, और उनके चरणों में निवेदन से आत्मा परम शांति का अनुभव करती है। उनकी आरती से भक्तों को आनंद, श्रद्धा और समर्पण का दिव्य मार्ग प्राप्त होता है।