श्री जगदम्बा जी की आरती लिरिक्स Jagdamba Mata Aarti Lyrics SHRI JAGDAMBE JI KI AARTI
श्री जगदम्बा माता की आरती हिंदी लिरिक्स
आरती कीजे शैल सुता की,
जगदम्बा की आरती कीजे,
आरती कीजे जगदम्बा की,
आरती कीजे शैल सुता की।।
स्नेह सुधा सुख सुन्दर लीजै,
जिनके नाम लेट दृग भीजै,
ऐसी वह माता वसुधा की,
जगदम्बा की आरती कीजे,
आरती कीजे शैल सुता की।।
पाप विनाशिनी कलिमल हारिणी,
दयामयी भवसागर तारिणी,
शस्त्र धारिणी शैल विहारिणी,
बुधिराशी गणपति माता की,
जगदम्बा की आरती कीजे,
आरती कीजे शैल सुता की।।
सिंहवाहिनी मातु भवानी,
गौरव गान करें जग प्राणी,
शिव के हृदयासन की रानी,
करें आरती मिलजुल ताकि,
जगदम्बा की आरती कीजे,
आरती कीजे शैल सुता की।।
आरती कीजे शैल सुता की,
जगदम्बा की आरती कीजे,
आरती कीजे जगदम्बा की,
आरती कीजे शैल सुता की।।
जगदम्बा की आरती कीजे,
आरती कीजे जगदम्बा की,
आरती कीजे शैल सुता की।।
स्नेह सुधा सुख सुन्दर लीजै,
जिनके नाम लेट दृग भीजै,
ऐसी वह माता वसुधा की,
जगदम्बा की आरती कीजे,
आरती कीजे शैल सुता की।।
पाप विनाशिनी कलिमल हारिणी,
दयामयी भवसागर तारिणी,
शस्त्र धारिणी शैल विहारिणी,
बुधिराशी गणपति माता की,
जगदम्बा की आरती कीजे,
आरती कीजे शैल सुता की।।
सिंहवाहिनी मातु भवानी,
गौरव गान करें जग प्राणी,
शिव के हृदयासन की रानी,
करें आरती मिलजुल ताकि,
जगदम्बा की आरती कीजे,
आरती कीजे शैल सुता की।।
आरती कीजे शैल सुता की,
जगदम्बा की आरती कीजे,
आरती कीजे जगदम्बा की,
आरती कीजे शैल सुता की।।
श्री जगदम्बा जी की आरती-द्वितीय आरती लिरिक्स
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी,कोई तेरा पार न पाया || टेक ||
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले,तेरी भेंट चढ़ाया || सुन ||
सारी चोली तेरे अंग बिराजे,केसर तिलक लगाया || सुन ||
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे,शंकर ध्यान लगाया || सुन ||
नंगे नंगे पग से तेरे,सम्मुख अकबर आया,सोने का छत्र चढ़ाया || सुन ||
ऊँचे ऊँचे पर्वत बन्यौ शिवालो,नीचे महल बनाया || सुन ||
सतपुरा द्वापर त्रेता मध्ये,कलयुग राज सवाया || सुन ||
धुप, दीप नैवेद्य आरती,मोहन भोग लगाया || सुन ||
ध्यानू भगत मैया तेरा गुण गावे,मनवांछित फल पाया ||
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले,तेरी भेंट चढ़ाया || सुन ||
सारी चोली तेरे अंग बिराजे,केसर तिलक लगाया || सुन ||
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे,शंकर ध्यान लगाया || सुन ||
नंगे नंगे पग से तेरे,सम्मुख अकबर आया,सोने का छत्र चढ़ाया || सुन ||
ऊँचे ऊँचे पर्वत बन्यौ शिवालो,नीचे महल बनाया || सुन ||
सतपुरा द्वापर त्रेता मध्ये,कलयुग राज सवाया || सुन ||
धुप, दीप नैवेद्य आरती,मोहन भोग लगाया || सुन ||
ध्यानू भगत मैया तेरा गुण गावे,मनवांछित फल पाया ||
आरती का महत्त्व : पूजा पाठ और भक्ति भाव में आरती का विशिष्ठ महत्त्व है। स्कन्द पुराण में आरती का महत्त्व वर्णित है। आरती में अग्नि का स्थान महत्त्व रखता है। अग्नि समस्त नकारात्मक शक्तियों का अंत करती है। अराध्य के समक्ष विशेष वस्तुओं को रखा जाता है। अग्नि का दीपक घी या तेल का हो सकता है जो पूजा के विधान पर निर्भर करता है। वातावरण को सुद्ध करने के लिए सुगन्धित प्रदार्थों का भी उपयोग किया जाता है। कर्पूर का प्रयोग भी जातक के दोष समाप्त होते हैं।