श्री राम तारक मंत्र हिंदी में Sri Ram Mantra Hindi श्री राम श्रीरामरक्षास्तोत्रम्मंत्र श्री राम तारक मंत्र हिंदी में
इस मंत्र के जाप से संपूर्ण मन वांछित फल की प्राप्ति होती है। इस मंत्र का १००० जाप विष्णु के जाप नाम तुल्य बताया गया है।
श्री राम राम रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
इस मंत्र को श्री राम तारक मंत्र भी कहा जाता है। और इसका जाप, सम्पूर्ण विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु के 1000 नामों के जाप के समतुल्य है। यह मंत्र श्रीरामरक्षास्तोत्रम् के नाम से भी जाना जाता है।
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स्त्रोत और मंत्र में क्या अंतर होता है :
स्त्रोत और मंत्र देवताओं को प्रशन्न करते के शक्तिशाली माध्यम हैं। आज हम
जानेंगे की मन्त्र और स्त्रोत में क्या अंतर होता है। किसी भी देवता की
पूजा करने से पहले उससे सबंधित मन्त्रों को गुरु की सहायता से सिद्ध किया
जाना चाहिए।
स्त्रोत : किसी
भी देवी या देवता का गुणगान और महिमा का वर्णन किया जाता है। स्त्रोत का
जाप करने से अलौकिक ऊर्जा का संचार होता है और दिव्य शब्दों के चयन से हम
उस देवता को प्राप्त कर लेते हैं और इसे किसी भी राग में गाया जा सकता है।
स्त्रोत के शब्दों का चयन ही महत्वपूर्ण होता है और ये गीतात्मक होता है।
मन्त्र :
मन्त्र को केवल शब्दों का समूह समझना उनके प्रभाव को कम करके आंकना है।
मन्त्र तो शक्तिशाली लयबद्ध शब्दों की तरंगे हैं जो बहुत ही चमत्कारिक रूप
से कार्य करती हैं। ये तरंगे भटकते हुए मन को केंद्र बिंदु में रखती हैं।
शब्दों का संयोजन भी साधारण नहीं होता है, इन्हे ऋषि मुनियों के द्वारा
वर्षों की साधना के बाद लिखा गया है। मन्त्रों के जाप से आस पास का वातावरण
शांत और भक्तिमय हो जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रिक करके मन को
शांत करता है। मन के शांत होते ही आधी से ज्यादा समस्याएं स्वतः ही शांत हो
जाती हैं। मंत्र किसी देवी और देवता का ख़ास मन्त्र होता है जिसे एक छंद
में रखा जाता है। वैदिक ऋचाओं को भी मन्त्र कहा जाता है। इसे नित्य जाप
करने से वो चैतन्य हो जाता है। मंत्र का लगातार जाप किया जाना चाहिए।
सुसुप्त शक्तियों को जगाने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं। मंत्र एक विशेष
लय में होती है जिसे गुरु के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। जो हमारे
मन में समाहित हो जाए वो मंत्र है। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ ही ओमकार
की उत्पत्ति हुयी है। इनकी महिमा का वर्णन श्री शिव ने किया है और इनमे ही
सारे नाद छुपे हुए हैं। मन्त्र अपने इष्ट को याद करना और उनके प्रति
समर्पण दिखाना है। मंत्र और स्त्रोत में अंतर है की स्त्रोत को गाया जाता
है जबकि मन्त्र को एक पूर्व निश्चित लय में जपा जाता है।
बीज मंत्र क्या होता है : देवी
देवताओं के मूल मंत्र को बीज मन्त्र कहते हैं। सभी देवी देवताओं के बीज
मन्त्र हैं। समस्त वैदिक मन्त्रों का सार बीज मन्त्रों को माना गया है।
हिन्दू धर्म के अनुसार सबसे प्रधान बीज मन्त्र ॐ को माना गया है। ॐ को अन्य
मन्त्रों के साथ प्रयोग किया जाता है क्यों की यह अन्य मन्त्रों को
उत्प्रेरित कर देता है। बीज मंत्रो से देव जल्दी प्रशन्न होते हैं और अपने
भक्तों पर शीघ्र दया करते हैं। जीवन में कैसी भी परेशानी हो यथा आर्थिक,
सामजिक या सेहत से जुडी हुयी कोई समस्या ही क्यों ना हो बीज मन्त्रों के
जाप से सभी संकट दूर होते हैं।
स्त्रोत और मंत्र जाप के लाभ : चाहे
मन्त्र हो या फिर स्त्रोत इनके जाप से देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती
है। शास्त्रों में मन्त्रों की महिमा का विस्तार से वर्णन है। श्रष्टि में
ऐसा कुछ भी नहीं है जो मन्त्रों से प्राप्त ना किया जा सके, आवश्यक है
साधक के द्वारा सही जाप विधि और कल्याण की भावना। बीज मंत्रों के जाप से
विशेष फायदे होते हैं। यदि किसी मंत्र के बीज मंत्र का जाप किया जाय तो
इसका प्रभाव और अत्यधिक बढ़ जाता है। वैज्ञानिक स्तर पर भी इसे परखा गया है।
मंत्र जाप से छुपी हुयी शक्तियों का संचार होता है। मस्तिष्क के विशेष भाग
सक्रीय होते है। मन्त्र जाप इतना प्रभावशाली है कि इससे भाग्य की रेखाओं
को भी बदला जा सकता है। यदि बीज मन्त्रों को समझ कर इनका जाप निष्ठां से
किया जाय तो असाध्य रोगो से छुटकारा मिलता है। मन्त्रों के सम्बन्ध में
ज्ञानी लोगों की मान्यता है की यदि सही विधि से इनका जाप किया जाय तो बिना
किसी औषधि की असाध्य रोग भी दूर हो सकते हैं। विशेषज्ञ और गुरु की राय से
राशि के अनुसार मन्त्रों के जाप का लाभ और अधिक बढ़ जाता है।
विभिन्न
कामनाओं की पूर्ति के लिए पृथक से मन्त्र हैं जिनके जाप से निश्चित ही लाभ
मिलता है। मंत्र दो अक्षरों से मिलकर बना है मन और त्र। तो इसका शाब्दिक
अर्थ हुआ की मन से बुरे विचारों को निकाल कर शुभ विचारों को मन में भरना।
जब मन में ईश्वर के सम्बंधित अच्छे विचारों का उदय होता है तो रोग और
नकारात्मकता सम्बन्धी विचार दूर होते चले जाते है। वेदों का प्रत्येक श्लोक
एक मन्त्र ही है। मन्त्र के जाप से एक तरंग का निर्माण होता है जो की
सम्पूर्ण वायुमंडल में व्याप्त हो जाता है और छिपी हुयी शक्तियों को जाग्रत
कर लाभ प्रदान करता है।
विभिन्न मन्त्र और उनके लाभ :
- ॐ गं गणपतये नमः : इस मंत्र के जाप से व्यापार लाभ, संतान प्राप्ति, विवाह आदि में लाभ प्राप्त होता है।
- ॐ हृीं नमः : इस मन्त्र के जाप से धन प्राप्ति होती है।
- ॐ नमः शिवाय : यह दिव्य मन्त्र जाप से शारीरिक और मानसिक कष्टों का निवारण होता है।
- ॐ शांति प्रशांति सर्व क्रोधोपशमनि स्वाहा : इस मन्त्र के जाप से क्रोध शांत होता है।
- ॐ हृीं श्रीं अर्ह नमः : इस मंत्र के जाप से सफलता प्राप्त होती है।
- ॐ क्लिीं ॐ : इस मंत्र के जाप से रुके हुए कार्य सिद्ध होते हैं और बिगड़े काम बनते हैं।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय : इस मंत्र के जाप से आकस्मिक दुर्घटना से मुक्ति मिलती है।
- ॐ हृीं हनुमते रुद्रात्म कायै हुं फटः : सामाजिक रुतबा बढ़ता है और पदोन्नति प्राप्त होती है।
- ॐ हं पवन बंदनाय स्वाहा : भूत प्रेत और ऊपरी हवा से मुक्ति प्राप्त होती है।
- ॐ भ्रां भ्रीं भौं सः राहवे नमः : परिवार में क्लेश दूर होता है और शांति बनी रहती है।
- ॐ नम: शिवाय : इस मंत्र के जाप से आयु में वृद्धि होती है और शारीरिक रोग दोष दूर होते हैं।
- ॐ महादेवाय नम: सामाजिक उन्नति और धन प्राप्ति के लिए यह मन्त्र उपयोगी है।
- ॐ नम: शिवाय : इस मंत्र से पुत्र की प्राप्ति होती है।
- ॐ नमो भगवते रुद्राय : मान सम्मान की प्राप्ति होती है और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- ॐ नमो भगवते रुद्राय : मोक्ष प्राप्ति हेतु।
- ॐ महादेवाय नम: घर और वाहन की प्राप्ति हेतु।
- ॐ शंकराय नम: दरिद्रता, रोग, भय, बन्धन, क्लेश नाश के लिए इस मंत्र का जाप करें।
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