बांके बिहारी मंदिर वृन्दावन Banke Bihari Temple Vrindavan
बांके बिहारी मंदिर वृन्दावन Banke Bihari Temple Vrindavan
बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन भारत में कृष्ण के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। श्री स्वामी हरिदास ने बांके बिहारी जी को निधिवन में दर्शन दिए। ठाकुर जी की मूर्ति बहुत पुरानी है और 1863 तक निधिवन में पूजा की गई थी। इस मंदिर का निर्माण 1864 में गोस्वामियों के योगदान से किया गया था। मंदिर के निर्माण के बाद, गोस्वामियों ने मूर्ति को इस मंदिर में स्थानांतरित कर दिया।
बांके का अर्थ है "तीन स्थानों पर झुकना" और बिहारी का अर्थ है "सर्वोच्च भोग"। बांके बिहारी जी की पूजा की जाती है और एक बच्चे के रूप में उनकी देखभाल की जाती है। बांके बिहारी मंदिर में हर त्योहार को मनाने का एक अलग और अनोखा अंदाज है। देवता को कपड़े पहनाए जाते हैं और ऋतु के अनुसार भोजन (भोग, प्रसाद) दिया जाता है। त्योहार के अनुसार मंदिर को रोशनी और विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया जाता है। मंदिर में घंटियाँ या शंख नहीं हैं क्योंकि बांके बिहारी को घंटियाँ या शंख की आवाज़ पसंद नहीं है। यहां केवल 'राधा नाम' का जाप है। जब कोई मंदिर में प्रवेश करता है, तो वह एक अनंत आनंद और शांति महसूस करता है और सभी दुखों को भूल जाता है। जैसे ही कोई ठाकुर जी से मिलता है, वह खुद को ठाकुर जी को समर्पित कर देता है। दयालु ठाकुर जी ने उनकी समस्या को समाप्त कर दिया और उन्हें अपनी दिव्य कृपा से आशीर्वाद दिया कि वह कितनी दूर है।
बांके बिहारी मंदिर की स्थापना 1757 में गोस्वामी राधादामोदर के द्वारा की गई थी। गोस्वामी राधादामोदर एक प्रसिद्ध वैष्णव संत थे। उन्होंने बांके बिहारी की एक सुंदर छवि का निर्माण किया और इसे वृंदावन में स्थापित किया।
मंदिर का निर्माण 1787 में पूरा हुआ था। मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। मंदिर की वास्तुकला हिंदू वास्तुकला की एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
मंदिर के निर्माण के पीछे की कहानी
कहा जाता है कि गोस्वामी राधादामोदर ने एक दिन एक सपना देखा, जिसमें भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया कि वे वृंदावन में प्रकट होना चाहते हैं। गोस्वामी राधादामोदर ने भगवान कृष्ण की इच्छा का पालन किया और एक सुंदर छवि का निर्माण किया। छवि को वृंदावन में स्थापित किया गया था और इसे बांके बिहारी के रूप में जाना जाने लगा।मंदिर की वास्तुकला
बांके बिहारी मंदिर एक दो मंजिला मंदिर है। मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व की ओर है। मंदिर के अंदर एक मुख्य गर्भगृह है, जिसमें भगवान कृष्ण की एक सुंदर छवि स्थित है। छवि को एक सुंदर सिंहासन पर रखा गया है। गर्भगृह के चारों ओर एक परिक्रमा पथ है।
मंदिर के भीतर कई अन्य मंदिर और मंडप भी हैं। इनमें से एक मंदिर राधारानी को समर्पित है। एक अन्य मंदिर श्री कृष्ण के अन्य रूपों को समर्पित है।
मंदिर का महत्व
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर कृष्ण भगवान के प्रेम और करुणा का प्रतीक है। मंदिर दुनिया भर से भक्तों को आकर्षित करता है।
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन में स्थित एक खूबसूरत मंदिर है। यह मंदिर कृष्ण भगवान के प्रेम और करुणा का प्रतीक है। मंदिर दुनिया भर से भक्तों को आकर्षित करता है।
इसलिए मिलाएं बांके बिहारी से नजरें
कम लोग ही जानते हैं कि बांके बिहारी की मूर्ति बनाई नहीं गई थी बल्कि ये स्वामी हरिदास के अनुरोध पर प्रकट हुई थी ताकि अन्य लोग भी इसके दर्शन कर भगवान के साक्षात दर्शन कर उनका आशीर्वाद ले सकें। कहा जाता है कि ये मूर्ति किसी धातु की नहीं बल्कि लकड़ी की है। भगवान कृष्ण और माता राधा प्रेम के अधीन हैं जो भी इन्हें प्रेम करता है या इनकी इस मूर्ति की आंखों में आंखें डालकर प्रेम पूर्वक निहारता है, भगवान उस भक्त पर कृपा करने से खुदको नहीं रोक पाते।श्री बाँके बिहारी जी मंदिर में झांकी का अर्थ
श्री बिहारी जी के सामने एक दरबाजे पर एक पर्दा लगा रहता है। और वो पर्दा एक-दो मिनट के अंतराल पर बन्द एवं खोला जाता है।एकबार एक भक्त एकतक देखता रहा कि उसकी भक्ति के बसीभूत होकर श्री बिहारी जी भाग गए। पुजारी जी ने जब मंदिर के कपाट खोले तो उन्हें बिहारी जी नही दिखाई दिए। पता चला की वे अपने एक भक्त की गवाही देने अलीगढ़ चले गए है। तभी से ऐसा नियम बना दिया कि झलक दर्शन में ठाकुर जी का पर्दा खुलता एवं बन्द होता रहेगा।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे।
प्यारी बंशी मेरो मन मोहे।
देखि छवि बलिहारी जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
चरणों से निकली गंगा प्यारी।
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
दास अनाथ के नाथ आप हो।
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ हो।
हरि चरणों में शीश नवाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
श्री हरि दास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देखि युगल छवि बलि-बलि जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ।
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
हे! बांके बिहारी गिरधारी, हो प्यार तुम्हारे चरणों में.
नटवर, मधुसुदन, बनवारी, हो प्यार तुम्हारे चरणों में |
मैं जग से ऊब चुका मोहन, सब जग को परख चुका सोहन
अब शरण तिहारी गिरधारी, हो प्यार तुम्हारे चरणों में.||1||
भाई, सुत, नार, कुटुम्बी जन, मैं मेरे के सब बंधन
सब स्वार्थ के ये सब संसारी, हो प्यार तुम्हारे चरणों में ||2||
पापी या जापी नर-नारी, इन चरणों से जिनकी यारी
उनके हरि हो तुम भयहारी, हो प्यार तुम्हारे चरणों में ||3||
मैं सुख में रहु चाहे दुःख में रहु, काँटों में रहु या फूलो में रहु
वन में, घर में, जहाँ भी रहू, हो प्यार तुम्हारे चरणों में ||4||
नख कुंद कांती कस्तूरी सम, चर्चित चन्दन अर्पित मम मन
तेरे चरणों की बलिहारी, हो प्यार तुहारे चरणों मैं ||5||
मन के मंदिर में आओ तुम, नस नस में श्याम समाओ तुम
तुमरे हैं हम, हमरे हो तुम, हो प्यार तुम्हारे चरणों में ||6||
इस जीवन के तुम जीवन हो, हे श्याम तुम्ही मेरे धन हो
सुख शांति मूल तप चिंतन हो, हो प्यार तुम्हारे चरणों में ||7||
हे! बांके बिहारी गिरधारी, हो प्यार तुम्हारे चरणों में.
नटवर, मधुसुदन, बनवारी, हो प्यार तुम्हारे चरणों में |
वायु द्वारा: वृंदावन से केवल 67 किमी दूर निकटतम हवाई अड्डा आगरा है। निकटतम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली है, जो प्रमुख एयरलाइनों के साथ दुनिया के लगभग हर महत्वपूर्ण शहर से जुड़ा हुआ है। भारत के अन्य महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों जैसे दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और चेन्नई आदि के लिए नियमित उड़ानें हैं।