हिचकी आवन लागी म्हाने दादी थारे नाम की

हिचकी आवन लागी म्हाने दादी थारे नाम की

मुखड़ा:

हिचकी आवन लागी,
म्हाने दादी थारे नाम की,
आसी-आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी,
म्हारी दादी जी बढ़ासी,
आकर म्हारो मान जी,
आसी-आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी।।
अंतरा 1:

मेहंदी रचाया हाथां,
चूड़ला घलाया,
लाल कुसुंमल माँ ने,
चुनड़ी उड़ाया,
सोणा-सोणा हार मंगाया,
माँ के ताई आज जी,
आसी-आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी।।
अंतरा 2:

जो भी खुवाया म्हे तो,
प्रेम सूँ मखाया,
‘वर्षा’ की आस म्हारी,
दादी जी पुराया,
बुंदिया-भुजिया भोग,
बणायो है टाबरिया आज जी,
आसी-आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी।।
अंतरा 3:

हाथां सूँ ‘स्वाति’ म्हारी,
दादी ने सजाया,
बनड़ी बनाके माँ ने,
चौकी पे बिठाया,
‘हर्ष’ चरणा धोक लगावा,
दादी थारे आज जी,
आसी-आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी।।
 


हिचकी आवन लागि || HICKI AAWAN LAAGI || SWATI AGARWAL
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