मीराबाई कृष्ण भक्त और कवयित्री थीं। वह बचपन से ही कृष्ण की भक्ति में लीन थीं और उन्होंने अपने जीवन भर कृष्ण के प्रति समर्पण का जीवन व्यतीत किया। मीराबाई ने कृष्ण भक्ति के कई पद और गीत लिखे हैं, जो आज भी लोकप्रिय हैं। उन्हें एक महान संत और भक्ति कवि के रूप में माना जाता है। मीराबाई का जन्म 1498 में राजस्थान के पाली जिले के कुड़की गांव में हुआ था। उनके पिता रतन सिंह एक राजपूत सरदार थे और उनकी माँ वीरकुमारी एक भक्तिन थीं। मीराबाई को बचपन से ही कृष्ण की भक्ति में दीक्षा दी गई थी। मीराबाई का विवाह 1516 में मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से हुआ था। हालांकि, भोजराज की मृत्यु के कुछ समय बाद, मीराबाई ने कृष्ण को अपना पति मान लिया और उनके प्रति समर्पण का जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया।
मीराबाई ने कृष्ण भक्ति के कई पद और गीत लिखे हैं, जो आज भी लोकप्रिय हैं। उनके पदों में कृष्ण की भक्ति और प्रेम की गहरी भावना व्यक्त की गई है। मीराबाई को एक महान संत और भक्ति कवि के रूप में माना जाता है। मीराबाई ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भी कृष्ण की भक्ति नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने प्रेम और समर्पण से कृष्ण को प्रसन्न किया और उनके आशीर्वाद से उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ। मीराबाई को हिंदू धर्म में एक महान संत और भक्ति कवि के रूप में माना जाता है। उनके पद और गीत आज भी कृष्ण भक्तों के बीच लोकप्रिय हैं।
मीराबाई ने कृष्ण भक्ति के कई पद और गीत लिखे हैं, जो आज भी लोकप्रिय हैं। उनके पदों में कृष्ण की भक्ति और प्रेम की गहरी भावना व्यक्त की गई है। मीराबाई को एक महान संत और भक्ति कवि के रूप में माना जाता है। मीराबाई ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भी कृष्ण की भक्ति नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने प्रेम और समर्पण से कृष्ण को प्रसन्न किया और उनके आशीर्वाद से उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ। मीराबाई को हिंदू धर्म में एक महान संत और भक्ति कवि के रूप में माना जाता है। उनके पद और गीत आज भी कृष्ण भक्तों के बीच लोकप्रिय हैं।
मोहन आवो तो सही गिरधर आवो तो सही लिरिक्स Mohan Aao To Sahi Lyrics, Mohan Aao To Sahi Girdhar Aao To Sahi
एकली खड़ी रे मीरा बाई एकली खड़ी,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कवो तो साँवरा मैं मोर मुकट बन जाऊँ,
पैहरन लागे सांवरो रे, मस्तक पर रम जाऊं,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
ये कवो तो संवारा मैं काजलियो बन जाऊँ,
पैहरन लागे सांवरो रे, नैना में रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहवो तो साँवरा, मैं पुष्प हार बन जाऊ,
कंठ में पहरे सांवरो, कंठ में पहरे सांवरो,
हिवडे में रम जाऊ,
मोहन हिवडे में रम जाऊ,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कवो तो साँवरा मैं जल यमुना बन जाऊँ,
न्हावण लागे सांवरो मैं तो अंग अंग रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कवो तो साँवरा मैं पग पायल बन जाऊँ,
नाचण लागे सांवरो मैं तो चरणां में रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
मीरा बाई एकली खड़ी,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहो तो साँवरा म्हे,
मोर मुकुट बन जाऊँ,
पेरण लागो साँवरो रे,
मस्तक पर रम जाऊँ,
वाके मस्तक पर रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहो तो साँवरा म्हे,
काजलियो बन जाऊँ,
नैन लगावे साँवरो रे,
नैणा में रम जाऊँ,
वाके नैणा में रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहो तो साँवरा म्हे,
जल जमुना बन जाऊँ,
नाहवण लागो साँवरो रे,
अंग अंग रम जाऊँ,
वाके अंग अंग रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहो तो साँवरा म्हे,
पुष्प हार बन जाऊँ,
कंठ में पहरे साँवरो रे,
हिवड़ा में रम जाऊँ,
वाके हिवड़ा में रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहो तो साँवरा म्हे,
पग पायल बन जाऊँ,
नाचण लागो साँवरो रे,
चरणा में रम जाऊँ,
वाके चरणा में रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
एकली खड़ी रे,
मीरा बाई एकली खड़ी,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कवो तो साँवरा मैं मोर मुकट बन जाऊँ,
पैहरन लागे सांवरो रे, मस्तक पर रम जाऊं,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
ये कवो तो संवारा मैं काजलियो बन जाऊँ,
पैहरन लागे सांवरो रे, नैना में रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहवो तो साँवरा, मैं पुष्प हार बन जाऊ,
कंठ में पहरे सांवरो, कंठ में पहरे सांवरो,
हिवडे में रम जाऊ,
मोहन हिवडे में रम जाऊ,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कवो तो साँवरा मैं जल यमुना बन जाऊँ,
न्हावण लागे सांवरो मैं तो अंग अंग रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कवो तो साँवरा मैं पग पायल बन जाऊँ,
नाचण लागे सांवरो मैं तो चरणां में रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
द्वितीय लिरिक्स / Second Bhajan Lyrics
एकली खड़ी रेमीरा बाई एकली खड़ी,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहो तो साँवरा म्हे,
मोर मुकुट बन जाऊँ,
पेरण लागो साँवरो रे,
मस्तक पर रम जाऊँ,
वाके मस्तक पर रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहो तो साँवरा म्हे,
काजलियो बन जाऊँ,
नैन लगावे साँवरो रे,
नैणा में रम जाऊँ,
वाके नैणा में रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहो तो साँवरा म्हे,
जल जमुना बन जाऊँ,
नाहवण लागो साँवरो रे,
अंग अंग रम जाऊँ,
वाके अंग अंग रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहो तो साँवरा म्हे,
पुष्प हार बन जाऊँ,
कंठ में पहरे साँवरो रे,
हिवड़ा में रम जाऊँ,
वाके हिवड़ा में रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
थे कहो तो साँवरा म्हे,
पग पायल बन जाऊँ,
नाचण लागो साँवरो रे,
चरणा में रम जाऊँ,
वाके चरणा में रम जाऊँ,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी,
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
एकली खड़ी रे,
मीरा बाई एकली खड़ी,
मोहन आवो तो सरी,
गिरधर आवो तो सरी
माधव रा मंदिर में,
मीरा बाई एकली खड़ी।
मोहन आवो तो सही, गिरधर आवो तो सही,
माधव रे मंदिर में, मीरा बाई एकली खड़ी।
मोहन आओ तो सरी Mohan Aao To Sahi | Meera Bhajan मीरा भजन | Bhakti Songs | Meera Bai Ekli Khadi
इस भजन में, मीराबाई अपने प्रिय कृष्ण की प्रतीक्षा में माधव मंदिर में खड़ी हैं। वह कृष्ण को अपने जीवन का सब कुछ मानती हैं और उनसे मिलने के लिए बेताब हैं। भजन के पहले छंद में, मीराबाई कहती हैं कि वह कृष्ण के आने का इंतजार कर रही हैं। वह कहती हैं कि वह कृष्ण के बिना अकेली हैं और उन्हें कृष्ण के बिना कुछ नहीं लगता है।
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