सर मेड़ी पर झुकाना है लिरिक्स Sar Medi Par Jhukana Hai
सर मेड़ी पर झुकाना है, तभी बात बनेगी, सर मेड़ी पर झुकाना है, तभी बात बनेगी, बाबा को मनाना है, तभी बात बनेगी, सर मेड़ी पर झुकाना है,
तभी बात बनेगी।
हरगिज नहीं मानूंगा, चाहे रोके ज़माना मुझे, नंगे पाँव, नंगे पाँव, चले आना है, तभी बात बनेगी, सर मेड़ी पर झुकाना है, तभी बात बनेगी।
Goga Ji Bhajan
जेवर के दुलारे की, मैं महिमा गाऊंगा, डमरू भी, डमरू भी, डमरू भी बजाना है, तभी बात बनेगी, सर मेड़ी पर झुकाना है, तभी बात बनेगी।
गोरख टीला पे मैं, गोरखनाथ मनाऊंगा,
गंगा में, गंगा में, गंगा में नहाना है, तभी बात बनेगी, सर मेड़ी पर झुकाना है, तभी बात बनेगी।
नीले घोड़े वाले का, मैं दर्शन पाऊंगा, दिल ही में, दिल ही में, दिल ही में इन्हें बसाना है, तभी बात बनेगी, सर मेड़ी पर झुकाना है, तभी बात बनेगी।
सर मेडी पर झुकाना है | Pramod Kumar | Goga Ji Bhajan Goga Ji Bhajan | Goga Ji Bhajan Hindi
गोगाजी महाराज के बारे में : गोगाजी महाराज को हिन्दू और मुसलमानों दोनों के द्वारा बड़ी ही श्रद्धा से पूजा जाता है और ये लोक देवता हैं। राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले में भादरा से लगभग २५ किलोमीटर पर गोगामेड़ी का पवित्र मंदिर है जहाँ वर्ष भर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। रबारी जाती को लोग गोगाजी को गोगा महाराज के नाम से पूजते हैं। गोगाजी महाराज गोरखनाथ जी के परम शिष्य थे। इनका जन्म चूरू जिले के ददरेवा में हुआ था। मुस्लिम धर्म के कायमखानी समाज के लोग इन्हे जाहरपीर के नाम से जानते हैं। भादरा और ददरेवा में बाबा के मंदिर में हिन्दू और मुस्लिम दोनों माथा टेकने आते हैं जो धार्मिक एकता का अनूठा उदाहरण है। लोग इन्हे सापों के देवता के नाम से भी जानते हैं। गावों में गोगामेड़ी का प्रचलन है जो मूल रूप से गोगाजी का मंदिर है जहाँ पर प्रायः गोगाजी का मंदिर और और गुरु गोरक्षनाथ जी की धुनि होती है। गाँव में यदि किसी को सर्प दंश हो जाय तो लोग गोगामेड़ी में झाड़ा लगाकर सापों के देवता गोगाजी की पूजा करते हैं। गोगामेड़ी में एक और हिन्दू पुजारी और दूसरी तरफ मुस्लिम पुजारी रहते हैं जो की एक अनूठी बात हैं।