साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न लिरिक्स
थामे रहना तू जीवन भर बाबा मेरा हाथ,
साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न,
तेरी रेहमत से ही पाया मैंने इतना प्यार
ढूंढे से भी नहीं मिले गए तुझ जैसा दातार,
बिन बोले तू पद रहता है मेरे दिल की बात,
थामे रहना तू जीवन भर बाबा मेरा हाथ,
साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न,
जीवन पद पे गम की धुप को जब मैं सेह न पाया,
तूने आकर करदी बाबा शीतल प्रेम की छाया,
उमड़ उमड़ कर करदी तूने खुशियों की बरसात,
थामे रहना तू जीवन भर बाबा मेरा हाथ,
साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न,
तुम बिन कैसे जीवन नैया होगी भव से पार,
छोड़ गया जो बीच बावर में तू मेरी पतवार,
तुमसे कहा छुपे है बाबा गिनी के हालत,
थामे रहना तुम जीवन भर बाबा मेरा हाथ,
साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न,
मात पिता तुम मेरे बाबा तू ही मेरा यार,
तुझ बिन मेरा कौन यहाँ पे तू मेरा परिवार,
तुमसे जुड़े हुए है बाबा सोनू के जज्बाद,
थामे रहना तू जीवन भर बाबा मेरा हाथ,
साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न,
साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न,
तेरी रेहमत से ही पाया मैंने इतना प्यार
ढूंढे से भी नहीं मिले गए तुझ जैसा दातार,
बिन बोले तू पद रहता है मेरे दिल की बात,
थामे रहना तू जीवन भर बाबा मेरा हाथ,
साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न,
जीवन पद पे गम की धुप को जब मैं सेह न पाया,
तूने आकर करदी बाबा शीतल प्रेम की छाया,
उमड़ उमड़ कर करदी तूने खुशियों की बरसात,
थामे रहना तू जीवन भर बाबा मेरा हाथ,
साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न,
तुम बिन कैसे जीवन नैया होगी भव से पार,
छोड़ गया जो बीच बावर में तू मेरी पतवार,
तुमसे कहा छुपे है बाबा गिनी के हालत,
थामे रहना तुम जीवन भर बाबा मेरा हाथ,
साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न,
मात पिता तुम मेरे बाबा तू ही मेरा यार,
तुझ बिन मेरा कौन यहाँ पे तू मेरा परिवार,
तुमसे जुड़े हुए है बाबा सोनू के जज्बाद,
थामे रहना तू जीवन भर बाबा मेरा हाथ,
साथ ये छूटे ना श्याम तू रूठे न,
श्री खाटू श्याम जी को हारे का सहारा कहा जाता है। खाटू श्याम जी कथा का उल्लेख महाभारत की कथा में आता है। खाटू श्याम जी का नाम बर्बरीक था और वे घटोत्कच के पुत्र थे। इनकी माता का नाम नाग कन्या मौरवी था। जन्म के समय बर्बरीक का शरीर मानो किसी बब्बर शेर के सामान विशाल काय था इसलिए निका नामकरण बर्बरीक कर दिया गया। बर्बरीक बाल्यकाल से ही शारीरिक शक्ति से भरे थे और शिव के महान भक्त थे। श्री शिव ने ही बर्बरीक की तपस्या से प्रशन्न होकर इन्हे ३ चमत्कारिक शक्तियां आशीर्वाद स्वरुप दी थी। ये तीन शक्तियां उनके बाण ही थे जो स्वंय श्री शिव ने उन्हें दिए थे। उनका दिव्य धनुष भगवान् अग्नि देव के द्वारा दिया गया था। कौरव पांडवो के युद्ध में बर्बरीक ने अपनी माँ का आशीर्वाद लेकर हारने वाले पक्ष की और से लड़ने तय किया जिसके कारन उन्हें हारे का हरीनाम से जाना जाता है।
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Author - Saroj Jangir
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