स्त्रोत क्या है What is Strotra What is Stotra

स्त्रोत एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "स्तुति" या "प्रशंसा"। यह एक धार्मिक या आध्यात्मिक प्रार्थना है जो किसी देवी-देवता या आध्यात्मिक गुरु की प्रशंसा करती है। स्तोत्र अक्सर काव्यात्मक रूप में होते हैं और उन्हें गाने या पढ़ने के लिए लिखा जाता है। स्तोत्र का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है। वे भक्तों को अपने इष्ट देवता या गुरु से जुड़ने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक तरीका प्रदान करते हैं। स्तोत्र का पाठ करना भक्ति और ध्यान का एक रूप भी है।

स्त्रोत क्या है ? What is Strotra ?

स्त्रोत क्या है What is Strotra What is Stotra
 
स्तोत्र एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "स्तुति," "स्तुति का भजन," "स्तवन।" यह आमतौर पर हिंदू ग्रंथों की एक शैली को संदर्भित करता है जो गाया जाता है यह असंख्य धुनों में से किसी एक में हो सकता है। स्त्रोत कई प्रकार के होते हैं जैसे 108 नाम वाले स्तोत्र, एक देवता के 300 नाम या 1008 नाम भी आमतौर पर मिलते हैं। इनका उपयोग ज्यादातर अनुष्ठान जप या अनुष्ठान पूजा में किया जाता है। एक अन्य प्रकार जिसे सुप्रभा-स्तोत्र कहा जाता है, भी काफी सामान्य और लोकप्रिय है। परंपरा बताती है कि ध्यान या पूजा के बाद इन स्तोत्रों का जाप किया जा सकता है। स्तोत्र और स्तुति प्रार्थना हैं - अक्सर महिमा की प्रार्थना करते हैं और इन्हे गद्य या पद्य में लिखा जा सकता है। स्तोत्र (या स्तोत्रम) की उत्पत्ति वेदों में हुई है, जो कि हिंदू धर्मग्रंथों में सबसे प्राचीन है, विशेष रूप से "ऋग्वेद", और पुराणों में, भारतीय ग्रंथ जो विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करते हैं।
 
भगवान के लिए सामान्य प्रशंसा के अलावा, स्तोत्र रहस्यमय या गहन आध्यात्मिक अनुभवों का वर्णन करते हैं या पापों को क्षमा करने, कठिनाइयों को दूर करने, उच्च ज्ञान प्रदान करने या भौतिक या भावनात्मक सुख प्रदान करने के लिए भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं।
उल्लेखनीय स्तोत्र शिव तांडव स्तोत्रम में शिव की स्तुति और राम रक्षा स्तोत्र भगवान राम की रक्षा के लिए प्रार्थना है।
स्त्रोत और मंत्र में क्या अंतर होता है : स्त्रोत और मंत्र देवताओं को प्रशन्न करते के शक्तिशाली माध्यम हैं। आज हम जानेंगे की मन्त्र और स्त्रोत में क्या अंतर होता है। किसी भी देवता की पूजा करने से पहले उससे सबंधित मन्त्रों को गुरु की सहायता से सिद्ध किया जाना चाहिए।

स्त्रोत : किसी भी देवी या देवता का गुणगान और महिमा का वर्णन किया जाता है। स्त्रोत का जाप करने से अलौकिक ऊर्जा का संचार होता है और दिव्य शब्दों के चयन से हम उस देवता को प्राप्त कर लेते हैं और इसे किसी भी राग में गाया जा सकता है। स्त्रोत के शब्दों का चयन ही महत्वपूर्ण होता है और ये गीतात्मक होता है।

मन्त्र : मन्त्र को केवल शब्दों का समूह समझना उनके प्रभाव को कम करके आंकना है। मन्त्र तो शक्तिशाली लयबद्ध शब्दों की तरंगे हैं जो बहुत ही चमत्कारिक रूप से कार्य करती हैं। ये तरंगे भटकते हुए मन को केंद्र बिंदु में रखती हैं। शब्दों का संयोजन भी साधारण नहीं होता है, इन्हे ऋषि मुनियों के द्वारा वर्षों की साधना के बाद लिखा गया है। मन्त्रों के जाप से आस पास का वातावरण शांत और भक्तिमय हो जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रिक करके मन को शांत करता है। मन के शांत होते ही आधी से ज्यादा समस्याएं स्वतः ही शांत हो जाती हैं। मंत्र किसी देवी और देवता का ख़ास मन्त्र होता है जिसे एक छंद में रखा जाता है। वैदिक ऋचाओं को भी मन्त्र कहा जाता है। इसे नित्य जाप करने से वो चैतन्य हो जाता है। मंत्र का लगातार जाप किया जाना चाहिए। सुसुप्त शक्तियों को जगाने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं। मंत्र एक विशेष लय में होती है जिसे गुरु के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। जो हमारे मन में समाहित हो जाए वो मंत्र है। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ ही ओमकार की उत्पत्ति हुयी है। इनकी महिमा का वर्णन श्री शिव ने किया है और इनमे ही सारे नाद छुपे हुए हैं। मन्त्र अपने इष्ट को याद करना और उनके प्रति समर्पण दिखाना है। मंत्र और स्त्रोत में अंतर है की स्त्रोत को गाया जाता है जबकि मन्त्र को एक पूर्व निश्चित लय में जपा जाता है।

बीज मंत्र क्या होता है : देवी देवताओं के मूल मंत्र को बीज मन्त्र कहते हैं। सभी देवी देवताओं के बीज मन्त्र हैं। समस्त वैदिक मन्त्रों का सार बीज मन्त्रों को माना गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार सबसे प्रधान बीज मन्त्र ॐ को माना गया है। ॐ को अन्य मन्त्रों के साथ प्रयोग किया जाता है क्यों की यह अन्य मन्त्रों को उत्प्रेरित कर देता है। बीज मंत्रो से देव जल्दी प्रशन्न होते हैं और अपने भक्तों पर शीघ्र दया करते हैं। जीवन में कैसी भी परेशानी हो यथा आर्थिक, सामजिक या सेहत से जुडी हुयी कोई समस्या ही क्यों ना हो बीज मन्त्रों के जाप से सभी संकट दूर होते हैं।

स्त्रोत और मंत्र जाप के लाभ : चाहे मन्त्र हो या फिर स्त्रोत इनके जाप से देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में मन्त्रों की महिमा का विस्तार से वर्णन है। श्रष्टि में ऐसा कुछ भी नहीं है जो मन्त्रों से प्राप्त ना किया जा सके, आवश्यक है साधक के द्वारा सही जाप विधि और कल्याण की भावना। बीज मंत्रों के जाप से विशेष फायदे होते हैं। यदि किसी मंत्र के बीज मंत्र का जाप किया जाय तो इसका प्रभाव और अत्यधिक बढ़ जाता है। वैज्ञानिक स्तर पर भी इसे परखा गया है। मंत्र जाप से छुपी हुयी शक्तियों का संचार होता है। मस्तिष्क के विशेष भाग सक्रीय होते है। मन्त्र जाप इतना प्रभावशाली है कि इससे भाग्य की रेखाओं को भी बदला जा सकता है। यदि बीज मन्त्रों को समझ कर इनका जाप निष्ठां से किया जाय तो असाध्य रोगो से छुटकारा मिलता है। मन्त्रों के सम्बन्ध में ज्ञानी लोगों की मान्यता है की यदि सही विधि से इनका जाप किया जाय तो बिना किसी औषधि की असाध्य रोग भी दूर हो सकते हैं। विशेषज्ञ और गुरु की राय से राशि के अनुसार मन्त्रों के जाप का लाभ और अधिक बढ़ जाता है।

भगवान के लिए सामान्य प्रशंसा के अलावा, स्तोत्र रहस्यमय या गहन आध्यात्मिक अनुभवों का वर्णन करते हैं


What is Stotra ? by Param Pujya Guru Rajneesh Rishi Ji

संस्कृत साहित्य में स्तोत्र का अर्थ है "स्तुति" या "प्रशंसा"। यह एक धार्मिक या आध्यात्मिक प्रार्थना है जो किसी देवी-देवता या आध्यात्मिक गुरु की प्रशंसा करती है। स्तोत्र अक्सर काव्यात्मक रूप में होते हैं और उन्हें गाने या पढ़ने के लिए लिखा जाता है। स्तोत्र केवल देवताओं की स्तुति के लिए ही नहीं उपयोग किए जाते हैं, बल्कि भक्ति, आभार और अन्य आध्यात्मिक भावनाओं को व्यक्त करने के लिए भी उपयोग किए जाते हैं। इन्हें आध्यात्मिक अवधारणाओं को सिखाने और नैतिक आचरण को प्रेरित करने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।

संस्कृत साहित्य में कुछ सबसे प्रसिद्ध स्तोत्रों में शामिल हैं:
शिव तांडव स्तोत्र - रावण द्वारा रचित
विष्णु सहस्रनाम - महाभारत से
हनुमान चालीसा - तुलसीदास द्वारा रचित
श्रीमद्भगवद्गीता (यद्यपि यह कड़ाई से एक स्तोत्र नहीं है, इसमें भगवान कृष्ण की प्रशंसा में कई श्लोक हैं)

आज भी हिंदू धर्म में स्तोत्रों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इन्हें पूजा अनुष्ठानों के दौरान जप किया जाता है, भक्तिपूर्ण सभाओं में गाया जाता है, और व्यक्तिगत ध्यान और प्रेरणा के लिए निजी रूप से पढ़ा जाता है। प्रमुख स्तोत्र हैं जो हिंदू धर्म में लोकप्रिय हैं। इन स्तोत्रों को विभिन्न देवताओं की स्तुति के लिए लिखा गया है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र भगवान शिव के तांडव नृत्य की स्तुति करता है। इसे रावण द्वारा रचा गया था।
  • शिवमहिम्न स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। इसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचा गया था।
  • श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र "ओम नमः शिवाय" की स्तुति करता है।
  • श्रीरामरक्षास्तोत्रम् भगवान राम की रक्षा के लिए लिखा गया एक स्तोत्र है। इसे तुलसीदास द्वारा रचा गया था।
  • महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र देवी दुर्गा के महिषासुरमर्दिनी रूप की स्तुति करता है।
  • मारुति स्तोत्र भगवान हनुमान की स्तुति करता है।
  • लांगुलास्त्र स्तोत्र भगवान गणेश के लांगुलास्त्र रूप की स्तुति करता है।
  • अगस्ति लक्ष्मी स्तोत्र देवी लक्ष्मी के अगस्ति रूप की स्तुति करता है।
  • द्वादश स्तोत्र भगवान विष्णु के बारह रूपों की स्तुति करता है।
  • विष्णु सहस्रनाम भगवान विष्णु के एक हजार नामों की स्तुति करता है।
  • लक्ष्मीसहस्रनामस्तोत्र देवी लक्ष्मी के एक हजार नामों की स्तुति करता है।
  • एकात्मता स्तोत्र सभी देवताओं की एकता की स्तुति करता है।
  • नाग स्तोत्र नागों की स्तुति करता है।
  • अपामार्जन स्तोत्र पापों से मुक्ति के लिए लिखा गया एक स्तोत्र है।
  • ऋणमोचक मंगल स्तोत्र ऋणों से मुक्ति के लिए लिखा गया एक स्तोत्र है।
  • एकात्मता स्तोत्र सभी जीवों की एकता की स्तुति करता है।
  • जैन स्तोत्र जैन धर्म के देवताओं और आचार्यों की स्तुति करते हैं।
  • उपसर्गहर स्तोत्र भगवान शिव की कृपा से उपसर्गों से मुक्ति के लिए लिखा गया एक स्तोत्र है।
भक्तामर स्तोत्र भगवान शिव की भक्ति के महत्व की स्तुति करता है।इन स्तोत्रों को विभिन्न तरीकों से पढ़ा जा सकता है। कुछ लोग उन्हें नियमित रूप से पढ़ते हैं, जबकि अन्य उन्हें केवल विशेष अवसरों पर पढ़ते हैं। स्तोत्रों को पढ़ने के लिए कोई सही या गलत तरीका नहीं है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें श्रद्धा और सम्मान के साथ किया जाए।

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