श्री गणेश जी वाहन चूहा क्यों हैं
एक बार श्री गणेश जी का युद्ध गजमुखासुर नाम के असुर से हुआ। गजमुखासुर को वरदान प्राप्त था की उसका अंत किसी अस्त्र से नहीं होगा इसलिए श्री गणेश जी अपने दांत का एक टुकड़ा तोडा और असुर पर प्रहार किया। गजमुखासुर हार कर मूषक बन कर भागने लगा तो श्री गणेश ने मूषक को अपना वाहन बना कर उसे जीवन दान दे दिया।
श्री गणेश जी के वाहन चूहे के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से सबसे प्रचलित कथा यह है कि एक बार श्री गणेश जी का युद्ध गजमुखासुर नाम के असुर से हुआ। गजमुखासुर को वरदान प्राप्त था कि उसका अंत किसी अस्त्र से नहीं होगा, इसलिए श्री गणेश जी ने अपने दांत का एक टुकड़ा तोड़ा और असुर पर प्रहार किया। गजमुखासुर हार कर मूषक बन कर भागने लगा, तो श्री गणेश जी ने मूषक को अपना वाहन बना कर उसे जीवन दान दे दिया।
इस कथा के अलावा भी अन्य कथाएं हैं, जिनमें चूहे को श्री गणेश जी का वाहन बनाये जाने के पीछे अलग-अलग कारण बताये गए हैं। कुछ कथाओं के अनुसार, चूहे को बुद्धिमान और चतुर प्राणी माना जाता है, इसलिए श्री गणेश जी ने उसे अपना वाहन बनाया। कुछ कथाओं के अनुसार, चूहे को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए श्री गणेश जी ने उसे अपना वाहन बनाया।
गणेश जी के चूहे का वाहन कई प्रतीकात्मक अर्थ रखता है। चूहा बुद्धि, चतुरता, धन और समृद्धि का प्रतीक है। चूहा हमेशा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहता है। यह गुण श्री गणेश जी के भी हैं। श्री गणेश जी एक बुद्धिमान और चतुर देवता हैं। वे हमेशा अपने भक्तों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। चूहे का वाहन श्री गणेश जी के इन गुणों का प्रतीक है।
श्री गणेश जी का वाहन चूहा होने के पीछे कई कथाएं और प्रतीकात्मक अर्थ हैं। सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, गजमुखासुर नामक असुर से युद्ध के दौरान, जिसे वरदान था कि उसका अंत किसी अस्त्र से नहीं होगा, श्री गणेश जी ने अपने टूटे दांत से प्रहार किया। हारकर गजमुखासुर मूषक बनकर भागने लगा, और गणेश जी ने उसे जीवनदान देकर अपना वाहन बना लिया।
इस कथा के अलावा भी अन्य कथाएं हैं, जिनमें चूहे को श्री गणेश जी का वाहन बनाये जाने के पीछे अलग-अलग कारण बताये गए हैं। कुछ कथाओं के अनुसार, चूहे को बुद्धिमान और चतुर प्राणी माना जाता है, इसलिए श्री गणेश जी ने उसे अपना वाहन बनाया। कुछ कथाओं के अनुसार, चूहे को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए श्री गणेश जी ने उसे अपना वाहन बनाया।
गणेश जी के चूहे का वाहन कई प्रतीकात्मक अर्थ रखता है। चूहा बुद्धि, चतुरता, धन और समृद्धि का प्रतीक है। चूहा हमेशा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहता है। यह गुण श्री गणेश जी के भी हैं। श्री गणेश जी एक बुद्धिमान और चतुर देवता हैं। वे हमेशा अपने भक्तों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। चूहे का वाहन श्री गणेश जी के इन गुणों का प्रतीक है।
श्री गणेश जी का वाहन चूहा होने के पीछे कई कथाएं और प्रतीकात्मक अर्थ हैं। सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, गजमुखासुर नामक असुर से युद्ध के दौरान, जिसे वरदान था कि उसका अंत किसी अस्त्र से नहीं होगा, श्री गणेश जी ने अपने टूटे दांत से प्रहार किया। हारकर गजमुखासुर मूषक बनकर भागने लगा, और गणेश जी ने उसे जीवनदान देकर अपना वाहन बना लिया।
इसके अलावा, अन्य कथाओं में चूहा बुद्धि, चतुराई, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चूहा छोटा होने के बावजूद अपने लक्ष्य को हासिल करने में कुशल होता है, जो गणेश जी की बुद्धिमत्ता, चतुराई और विघ्नहर्ता स्वभाव को दर्शाता है। कुछ परंपराओं में चूहा धन और समृद्धि का भी प्रतीक है, जो गणेश जी के धन-धान्य प्रदान करने वाले स्वरूप से जुड़ा है।
