गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा कैसे करे Ganesh Chaturthi Par Ganesh Puja Vidhi
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, भक्त भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं और उन्हें विधि-विधान से पूजा करते हैं। गणेश चतुर्थी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में अगरबत्ती, धूप, आरती थाली, सुपारी, पान के पत्ते, मूर्ति पर डालने के लिए कपड़ा, चंदन के लिए अलग से कपड़ा, चंदन, लाल फूल, दूर्वा, मोदक, नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्ती आदि शामिल हैं।
पूजा की विधि में सबसे पहले मूर्ति को कपड़े से ढककर घर में लाना चाहिए। पूजा के दिन मूर्ति को कपड़े से निकाल लें। पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त शुभ माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में शुद्ध होने के बाद पूजा करने से विशेष लाभ होता है।
पूजा में सबसे पहले 'ऊं गं गणपतये नम:' मंत्र का जाप करें। इसके बाद मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर बनाया जाता है। स्नान के बाद मूर्ति को केसरिया चंदन अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और अक्षत, दूर्वा, मोदक आदि अर्पित करें।
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश अपने भक्तों के कल्याण के लिए विशेष रूप से कृपा करते हैं। इसलिए इस दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करने से लाभ अवश्य ही प्राप्त होता है।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में अगरबत्ती, धूप, आरती थाली, सुपारी, पान के पत्ते, मूर्ति पर डालने के लिए कपड़ा, चंदन के लिए अलग से कपड़ा, चंदन, लाल फूल, दूर्वा, मोदक, नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्ती आदि शामिल हैं।
पूजा की विधि में सबसे पहले मूर्ति को कपड़े से ढककर घर में लाना चाहिए। पूजा के दिन मूर्ति को कपड़े से निकाल लें। पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त शुभ माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में शुद्ध होने के बाद पूजा करने से विशेष लाभ होता है।
पूजा में सबसे पहले 'ऊं गं गणपतये नम:' मंत्र का जाप करें। इसके बाद मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर बनाया जाता है। स्नान के बाद मूर्ति को केसरिया चंदन अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और अक्षत, दूर्वा, मोदक आदि अर्पित करें।
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश अपने भक्तों के कल्याण के लिए विशेष रूप से कृपा करते हैं। इसलिए इस दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करने से लाभ अवश्य ही प्राप्त होता है।