भोग रखा रहा फूल मुरझा गए
भोग रखा रहा फूल मुरझा गए
आप आए नहीं और सुबह हो गई,
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई।
भोग रखा रहा, फूल मुरझा गए,
आरती भी धरी की धरी रह गई।।
(1)
मुझसे रूठे हो क्यों, आप आते नहीं,
कोई अपराध मेरा बताते नहीं।
देखते-देखते साँसे रुकने लगी,
क्या बुलाने में मेरे, कमी रह गई?
आप आए नहीं और सुबह हो गई।।
(2)
हाल बेहाल है, आप आओ हरि,
मन की मोती की माला गले में पड़ी।
वरना मन के यह मोती बिखर जाएँगे,
कौन सी भावना की, कमी रह गई?
आप आए नहीं और सुबह हो गई।।
(3)
ध्यान भी हो गया, ज्ञान भी हो गया,
सारे जग से यह मन, अब अलग हो गया।
इतना होते हुए भी, ना तुम्हें पा सकी,
इच्छा दर्शन की मन में, बनी रह गई।।
आप आए नहीं और सुबह हो गई।।
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई।
भोग रखा रहा, फूल मुरझा गए,
आरती भी धरी की धरी रह गई।।
(1)
मुझसे रूठे हो क्यों, आप आते नहीं,
कोई अपराध मेरा बताते नहीं।
देखते-देखते साँसे रुकने लगी,
क्या बुलाने में मेरे, कमी रह गई?
आप आए नहीं और सुबह हो गई।।
(2)
हाल बेहाल है, आप आओ हरि,
मन की मोती की माला गले में पड़ी।
वरना मन के यह मोती बिखर जाएँगे,
कौन सी भावना की, कमी रह गई?
आप आए नहीं और सुबह हो गई।।
(3)
ध्यान भी हो गया, ज्ञान भी हो गया,
सारे जग से यह मन, अब अलग हो गया।
इतना होते हुए भी, ना तुम्हें पा सकी,
इच्छा दर्शन की मन में, बनी रह गई।।
आप आए नहीं और सुबह हो गई।।
।। भोग रखा रहा फूल मुरझा गए।। BHOG RAKHA RAHA PHOOL MURJHA GAYE ।। #sumansharmabhajan