इसा आदमी कोण जगत मैं लिरिक्स Esa Aadmi Koun Jagat Me Lyrics Hariyanavi Ragini Lyrics

इसा आदमी कोण जगत मैं लिरिक्स Esa Aadmi Koun Jagat Me Lyrics Hariyanavi Ragini Lyrics

 
इसा आदमी कोण जगत मैं लिरिक्स Esa Aadmi Koun Jagat Me Lyrics Hariyanavi Ragini Lyrics

यह हरियाणवी लोकगीत मुंशी राम जांडली जी के द्वारा रचित है, जो एक रागिनी की तरह से गाया जाता है। इस लोक गीत में सन्देश है की यह जगत छल (धोखा) से भरा पड़ा है। इस संसार में सभी छल करते हैं, कोई आज कर रहा है तो कोई कल कर चुका है। विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से लेखक ने सिद्ध किया है की हर तरफ छल भरा पड़ा है।
इसा आदमी कोण जगत मैं,
जो नहीं किसी तै छल कर ग्यां,
छल की दुनियाँ भरी पड़ी सै
आज करै कोई कल कर ग्या
इस्या आदमी कौण जग़त में,
जो नहीं किसी तै छल कर ग्यां,
छल की दुनिया भरी पड़ी सै,
आज करै कोई कल कर ग्या,
 
हिंदी मीनिंग : ऐसा कौन है इस संसार में जिसने कभी छल नहीं किया हो ? यह दुनियाँ ही छल से भरी पड़ी है। कोई आज छल कर रहा है तो कोई कल कर चुका है।

राजा दशरथ राम चंद्र के,
सर पै ताज धरण लाग्या,
कैकेयी नै छल करया वो,
जंगल बीच फिरण लाग्या,
बणकै मारिच मृग कपट जब,
राम कुटी पे चरण लाग्या,
पड़े अकल पै पत्थर ज्ञानी,
रावण सिया हरण लाग्या,
वा सिया छलै तै लंका जलगी,
खुद करणी का फल भर ग्यां,
राम चंद्र भी छल कर कै भाई,
बाली नै घायल कर ग्या,
इसा आदमी कोण जगत में,
जो नहीं किसी तै छल कर ग्यां,
छल की दुनिया भरी पड़ी सै,
आज करै कोई कल कर ग्या,
छल की दुनिया भरी पड़ी सै,
आज करै कोई कल कर ग्या,
 
हिंदी मीनिंग : राजा रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के समय राजा दशरथ श्री राम के सर पर ताज रखने लगे तो माता कैकई ने छल/धोखे का इस्तेमाल करके राज्याभिषेक के वक्त ही श्री राम जी के साथ धोखा किया। माता कैकई के इस धोखे के कारण श्री राम जी को जंगल जगल भटकना पड़ा। रावण जैसे ज्ञानी ने धोखे का सहारा लिया और मृग मारीच बनकर माता सीता का हरण करने लगा। रावण जैसे ज्ञानी की बुद्धि पर पत्थर पड़ गए, जो उसने माता सीता का हरण करने का मानस बनाया। माता सीता के हरण का परिणाम यह निकला की समस्त लंका ही जल गई। रावण अपनी करनी की सजा को प्राप्त हुआ। आगे लेखक लिखता है की राजा राम ने भी छल का सहारा लिया और बाली को धोखे से घायल कर दिया।

दुर्योधन नै धर्मपुत्र को,
छल का जुआ दिया खिला,
राज पाट धन माल ख़जाना,
माटी के माँह दिया मिला
कौरवों ने पाण्डवों को,
दिसौटा भी दिया दिला
ऐसे तीर चले भाइयो के,
हिन्द का नक्शा दिया हिला,
हो चक्क्रव्यू भी छल तै टूट्याँ,
अभिमन्यु हलचल कर ग्या
अठारह दिन के घोर युद्ध मैं,
अठारहअक्षौहिणी दल मर ग्या
इस्या आदमी कौण जग़त में,
जो नहीं किसी तै छल कर ग्या
छल की दुनिया भरी पड़ी सै
आज करै कोई कल कर ग्या
छल की दुनिया भरी पड़ी सै
आज करै कोई कल कर ग्या
 
हिंदी मीनिंग : छल का सहारा लेकर ही दुर्योधन ने धर्मपुत्र को छल का जुआ खिलवाया। जुए में हार के परिणाम स्वरुप सम्पूर्ण राज पाट, धन दौलत आदि सभी मिट्टी में मिल गए। कौरव और पांडवों के युद्ध में ऐसे तीर चले जिससे पुरे हिन्दुस्तान का नक्शा ही बदल कर रख दिया। युद्ध के दौरान चक्रव्यूह भी छल से ही टूटा था।

कुंती देख मौत अर्जुन की,
सूत्या बेटा दिया जगा,
बोली बेटा कर्ण मेरे और,
झट छाती कै लिया लगा,
वचन भरा कै जान मांग ली,
माता करगी कोट दगा
जान बक्श दी दानवीर नै,
आगै करतस दिए बगा
इंद्रदेव भिखारी बणकै,
सूर्य का कवच कुण्डल हर ग्या,
रथ का पहिया धँसा दिया
वो कृष्ण जी दल दल कर ग्या,
इस्या आदमी कौण जग़त में,
जो नहीं किसी तै छल कर ग्या,
छल की दुनिया भरी पड़ी सै,
आज करै कोई कल कर ग्या,
छल की दुनिया भरी पड़ी सै
आज करै कोई कल कर ग्या 

हिंदी मीनिंग : उल्लेखनीय है की श्री कृष्ण को महाभारत के युद्ध का परिणाम पहले से ही पता था।
कृष्ण जी कुंती के पास जाकर उन्हें कर्ण के द्वारा अर्जुन की जान को बक्श देने की भीख मांग ली। क्योंकि श्री कृष्ण जानते थे की कर्ण युद्ध में सभी पर भारी पड़ने वाला है और वह अर्जुन समेत कई योद्धाओं को समाप्त कर देगा। वही कुंती जिसने स्वंयवर में कर्ण को अपना पुत्र मान लेने से मना कर दिया था, वही कुंती श्री कृष्ण जी के कहने पर कर्ण के पास पहुँच जाती है और सोते हुए कर्ण को जगाती है। वह कर्ण से अर्जुन की सलामती की दुआ माँग लेती है। यहाँ कुंती ने छल का सहारा लेकर अर्जुन नाम के तीर ही जमीन पर फिंकवा दिए। इंद्रदेव ने छल का सहारा लेकर कर्ण से सूर्य का कवच और कुण्डल भिक्षा में ले लेता है। श्री कृष्ण ने छल का सहारा लेकर दलदल पैदा कर कर्ण को धोखे से मरवाते हैं।
 
हरिशचंद्र भी छल कर ग्या,
विश्वामित्र विश्वास नहीं
छल के कारण तीनो बिकगे,
पेट भरण की आस नहीं
फेर ऋषि नै विषयर बणकै के,
डस्या कँवर रोहतास नहीं
कफ़न तलक भी नहीं मिल्या और,
फूंकी बेटे की लाश नहीं,
अठाइस दिन भूखा रह कै,
भंगी कै घर जल भर ग्या,
मुन्सी जाट धर्म कारण,
सत हटकै नै उज्वज कर ग्या,
इस्या आदमी कौण जग़त में,
जो नहीं किसी तै छल कर ग्या
छल की दुनिया भरी पड़ी सै
आज करै कोई कल कर ग्या
छल की दुनिया भरी पड़ी सै
आज करै कोई कल कर ग्या
 
धोखे के सबंध में कवि आगे वर्णन करते हैं की राजा हरिश्चंद्र भी छल का सहारा लेकर विश्वामित्र पे विश्वास नहीं किया जिसके कारण तीनों को बिकना पड़ा और कई तरह के विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ा.


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1 टिप्पणी

  1. Bahut hi badhiya