झल उठा झोली जली खपरा फूटिम फूटि हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

झल उठा झोली जली खपरा फूटिम फूटि Jhal Utha Jholi Jali Kabir Ke Dohe Hindi Me

झल उठा झोली जली, खपरा फूटिम फूटि।
जोगी था सो रमि गया, आसणि रही बिभूति.

Jhal Utha Jholi Jali, Khapara Futam Futi,
Jogi Tha So Rami Gaya, Aasani Rahi Bibhuti.
 
झल उठा झोली जली, खपरा फूटिम फूटि। जोगी था सो रमि गया, आसणि रही बिभूति.

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Word meaning Hindi

  • झल - ज्वाला, आग की लपट।
  • उठा-अग्नि का लगना, अग्नि प्रज्वलीत हुई।
  • झोली-भिक्षा मांगने का थैला जिसमे भिक्षा से मिले हुए प्रदार्थों/भोजन को रखा जाता है।
  • जली-जल गई।
  • खपरा- खप्पर।
  • फूटिम फूटि- घमासान।
  • जोगी- साधू।
  • सो- वही।
  • रमि गया- रम गया, घुल मिल गया।
  • आसणि- आसन।
  • बिभूति- राख या क्षार।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha/Sakhi Hindi meaning

ज्ञान विरह की अग्नि प्रज्वलीत होने से उसकी लपट से भिक्षा मांगने की झोली जलकर नष्ट हो गई है और खप्पर टूट फुट गया है। साधू का खपरा भी जल कर नष्ट हो गया है। जहाँ जोगी बैठा था वह जलकर नष्ट हो गया और उसके आसन स्थल पर केवल राख (विभूति) शेष रह गई है। इस साखी का भाव है की जब साधक के हृदय में भक्ति की लपट उठती है तो वह भौतिक विषय वस्तु और विकारों से मुक्त हो जाता है। झोली से आशय सांसारिक और दैहिक आवश्यकताएं, लालसा से है। खप्पर से आशय स्वंय के होने का आशय है। 

इस साखी/दोहे में सांगरूपक और रूपकातिश्योक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है। ज्ञान की अग्नि में समस्त विषय विकार और दैहिक कर्म नष्ट हो जाते हैं। योगी पूर्ण ब्रह्म में रम गया है और विभूति ही अब शेष रही है। ज्ञान से ही पूर्ण ब्रह्म में मिलन का हो पाना सम्भव होता है।
 
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