हिंदी अर्थ : मैं नटखट श्री कृष्ण का वंदन करता हूँ। बृज के आभूषण, समस्त पापों को खंडित करने वाले, समस्त पाप को समाप्त करने वाले, निज भक्तों को हृदय को/चित्त को आनंद से भर देने वाले, परिपूर्ण कर देने वाले ऐसे नंदा हैं जो आनंद देते हैं। श्री कृष्ण के मस्तक पर मोहित कर देने वाले मोर पंख के गुच्छे हैं। श्री कृष्ण मोर पंख से बना मुकुट धारण करते हैं। श्री कृष्ण मधुर वेणु को अपने हाथों में रखते हैं, हाथों में बांसुरी को धारण करते हैं। श्री कृष्ण परम और अनंत प्रेम रस की लहरों/तरंगों के सागर हैं। ऐसे श्री कृष्ण को, नागर को मैं नमन करता हूँ।
श्रीकृष्णाष्टकं शब्दार्थ
भजे-वंदन करना, भजन करना, भक्ति करना। व्रजै-बृज। मण्डनं-यश गान करना, महिमा का बखान करना। समस्त-सभी, पूर्ण सर्वाङ्गीण, सभी। पाप- बुराइयां, संताप आदि। खण्डनं-तोड़ना, समाप्त करना, दूर करना। स्वभक्त- निज भक्त, स्व भक्त। जन -लोग। चित्तरंजनं : चित्त-हृदय, रंजन-उल्लसित, ख़ुशी, हर्षित। नन्दनन्दनम् -आनंदित, खुश। सुपिच्छगुच्छ-मोर पंखों का गुच्छा, समूह। मस्तकं-मस्तक, ललाट। सुनाद-मधुर, सुरीली नाद वाली। वेणुहस्तकं-बांसुरी हाथों में है। हस्त-हाथ। वेणु-बाँसुरी।
हिंदी अर्थ : कामदेव के घमंड/गर्व का नाश करने वाले, गर्व का मोचन (दूर करना) करने वाले विशाल, मोटे मोटे नयन वाले जो चंचलता से भरे हैं, जो गोप और गोपियों के शोक को दूर करने वाले हैं, शोक को दूर करने वाले हैं, ऐसे कमल नयन वाले श्री कृष्ण को मैं नमन करता हूँ, वंदन करता हूँ। मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं हाथों में पहाड़ (गोवर्धन) को धारण करने वाले, जिनकी मुस्कान और रूप अत्यंत ही आकर्षित करने वाला और सुन्दर है। श्री कृष्ण जो आनंद स्वरुप हैं और इंद्र (देव राज इंद्र) के मान (घमंड) को समाप्त करने वाले हैं, और जो हाथियों के राजा के समान हैं, मैं उनका वंदन करता हूँ, नमन करता हूँ।
हिंदी अर्थ : श्री कृष्ण कदम्ब (पेड़) के पुष्पों को कानों में कुण्डल की भाँती धारण करने वाले हैं। जिनके गाल (गण्ड) अत्यंत ही सुन्दर हैं और आकर्षित करने वाले गाल हैं। वह जो मात्र बृज की गोपिकाओं का प्रियतम है, ऐसी दुर्लभ (केवल भक्ति मार्ग से ही प्राप्त किए जा सकते हैं ) श्री कृष्ण को नमन है। माता यशोदा, नंदा, समस्त गोप गोपिकाओ को परम आनंद देने वाले श्री कृष्ण को नमन है। ऐसे श्री कृष्ण जो अपने भक्तों को केवल सुख और आनंद देते हैं, गोप स्वामी, गोप नायक को नमन, वंदन है।
हिंदी अर्थ : सदा ही पवित्र चरण कमल वाले मेरे(मदीय) मानस (हृदय में ) में स्थापित करने वाले। मैं श्री कृष्ण जिनके चरण कमल अत्यंत ही शुभ हैं उन्हें मेरे हृदय में स्थापित करने वाले, कृष्ण को नमन करता हूँ। जिनके घुंघराले बाल हैं, जिन्होंने घुंघराले बालों को धारण (दधान) किया हुआ है। जिनके बालों में सुन्दर घूंघर हैं। मैंने ऐसे नन्द के शिशु को नमन करता हूँ। जो समस्त दोष, अवगुण का नाश करने वाले हैं और समस्त जन के पोषण करने वाले हैं, जग पालक (nourish) हैं मैं उन्हें नमन करता हूँ। जो समस्त गोप जन के मानस (चित/हृदय) में, नन्द के हृदय में आनंदस्वरूप हैं, मैं ऐसे श्री कृष्ण को नमन करता हूँ। जो समस्त गोप जन के मानस (चित/हृदय) में, नन्द के हृदय में आनंदस्वरूप हैं, मैं ऐसे श्री कृष्ण को नमन करता हूँ।
भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम् । दृगन्तकान्तभंगिनं सदा सदालिसंगिनं दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसम्भवम् ॥ ५॥
हिंदी अर्थ : भूमि के भार को उतारने वाले, दुष्टों को मार कर धरती का बोझ कम करने वाले, भव सागर से पार लगाने वाले, माता यशोदा के किशोर, चित्त, हृदय को चोर लेने वाले, चित्तचोर श्री कृष्ण का वंदन, नमन। सुन्दर मनोहर नयन वाले, जो सदा ही भक्तों के द्वारा पूजित होता है, घिरा हुआ रहता है। निज भक्तों को नित्य ही नवीन दिखने वाले ऐसे नन्द के लाल को नमन।
हिंदी अर्थ : समस्त गुणों से युक्त सुख प्रदान करने वाले, सदैव ही कृपा करने, देवगण के समस्त बाधाओं को दूर करने वाले, गोपनन्दन को नमन है। गोप को नित्य नवीन लगने वाले श्री कृष्ण जो चतुर हैं, मेघ /बादल के रंग के समान सुन्दर, चमकती तड़ित/बिजली के समान पीतांबर धारण करने वाले श्री कृष्ण को नमन।
हिंदी अर्थ : समस्त /सभी गोप गोपिकाओं को आनंदित करने वाले हृदय कमल को प्रफुल्लित करने वाले, हृदय कुञ्ज में खेलने वाले, आनंद से परिपूर्ण और सूर्य के समान प्रकाशित और शोभायमान कृष्ण को नमन। अपने भक्तों की सभी आशाओं को पूर्ण करने वाले और जिनकी एक नजर तीर के समान है, मधुर बाँसुरी को सुनाने वाले, ऐसे कुञ्ज के नायक का वंदन।
हिंदी मीनिंग : हिंदी मीनिंग : चतुर गोप गोपिकाओं के मन रूपी शैया पर वास करने वाले, बृज के भकजनों के विरह अग्नि का पान करने वाले भगवान श्री कृष्ण को नमन है। अपनी किशोर अवस्था से आभा को बांटने वाले, जिनके नेत्रों में काजल शोभित है। भगवान् श्री कृष्ण जो गजराज को मोक्ष प्रदान करने वाले हैं, जो माता लक्ष्मी के साथ (विष्णु रूप में ) विहार करने वाले हैं, ऐसे श्री कृष्ण को नमन।
हिंदी अर्थ : जहाँ पर जैसी भी परिस्थिति में रहूं, मैं वहां पर श्री कृष्ण की सत्कथा का गायन करता रहूं, हे ईश्वर ऐसी कृपा बनी रहे। हे श्री कृष्ण मुझ पर आप ऐसी कृपा करो की मैं हर हालात में आपके यश का गान करता रहूं। जो कोई भी इस अष्टक का गान करता है, वाचन करता है, वह प्रत्येक जन्म में श्री कृष्ण की करुणा और आशीर्वाद को प्राप्त करता है। -श्री खाटू श्याम जी महाराज की जय।
इति श्रीमच्छंकराचार्यकृतं श्रीकृष्णाष्टकं कृष्णकृपाकटाक्षस्तोत्रं च सम्पूर्णम् ॥
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