राम किसी को मारे नहीं, और ना हत्यारा राम, अपने आप मर जावसी, भाई कर कर खोटा काम। हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै, दुनियाँदारी अवगुणगारी, ज्याने भेद मति दीजै रै, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै।
इण काया में अष्ट कमल हैं, इण काया में, हो, इण काया में अष्ट कमल, ज्योरी निंगे कराइजे रै, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै, सत री संगत में,
तन में गरीबी, मन में फकीरी, तन में गरीबी, हो, तन में गरीबी मन में फकीरी, दया भावना राखजे रै, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।। ज्ञान झरोखे बैठ सुहागण, झालो दईजे रै, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै, दुनियाँदारी अवगुणगारी, ज्याने भेद मति दीजै रै, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै।
Anil Nagori Bhajan Lyrics Anil Nagori ke Bhajan,Rajasthani Bhajan Lyrics Hindi
त्रिवेणी घर, तीन पदमणी, हो, त्रिवेणी घर, तीन पदमणी, उने जाए बतालाईजे रै, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै, दुनियाँदारी अवगुणगारी, ज्याने भेद मति दीजै रै, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै।
हरी चरणों में शीश झुकाईजे, हरी चरणों में हो शीश झुकाईजे रै,
हरी चरणों में शीश झुकाईजे, गुरु वचनों में रहीजे रै, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै, कहेत कबीर सुणों भाई साधू, शीतल रहीजे रे, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै मीनिंग
राम किसी को मारे नहीं, और ना हत्यारा राम : राम (ईश्वर) किसी को मारता नहीं है और नाहीं राम हत्यारा है।
अपने आप मर जावसी, भाई कर कर खोटा काम : लोग स्वंय ही समाप्त हो जाते हैं, पतन को प्राप्त होते हैं क्योकि वे अनैतिक और गुरे कार्य करते रहते हैं। हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै : हेली से आशय जीवात्मा / मनुष्य से है। कबीर साहेब की वाणी से प्रेरित इन पंक्तियों में सन्देश है की जीवात्मा तुमको निर्भय रहना है। निर्भय तभी रहा जा सकता है जब वह भलाई के मार्ग पर चलते हुए हरी के नाम का नित्य सुमिरण करे। दुनियाँदारी अवगुणगारी ज्याने भेद मति दीजै रै : समस्त संसार का व्यापार, व्यवहार गुणहीन है। इनको अपने मन का भेद कभी मत देना। रहस्य यही है की इस जीवन का उद्देश्य माया का संग्रह नहीं अपितु हरी के नाम का सुमिरण कर भव से पार हो जाना है। इसलिए दुनियादारी में उलझना व्यर्थ है। हेली म्हारी निर्भय रहीजे रै : हरी के नाम का सुमिरण करके निश्चिंत रहना चाहिए। इण काया में अष्ट कमल हैं, ज्योरी निंगे कराइजे रै : इस काय में आठ प्रकार के कमल हैं, जिनका तुमको बोध करना है। निंगे करना से आशय अवलोकन करना, ढूँढना और जाँच पड़ताल करने से है। सत संगत में बैठ सुहागण, साँच कमाइजे रै : सत्य की संगत में बैठकर, संतजनों की संगती करके सत्य को कमाना है, सत्य को प्राप्त करना है। तन में गरीबी, मन में फकीरी, दया भावना राखजे रै : तन में गरीबी और मन में फकीरी को धारण करना है। सांसारिक मोह माया का त्याग करके धन के संग्रह का भाव छोड़ देना है। माया किसी का साथ नहीं देती है। हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।। ज्ञान झरोखे बैठ सुहागण, झालो दईजे रै : ज्ञान के झरोखे में बैठ कर सत्य को इशारा करके ग्रहण करना है। झाला देना से आशय हाथ से इशारा करके दूर किसी को बुलाने से है।
त्रिवेणी घर, तीन पदमणी उने जाए बतालाईजे रै : मनुष्य के शरीर के तीन भाग होते हैं यथा पिंड, ब्रह्माण्ड और ज्ञान का अंग। इन्ही तीनों भागो में आठ कमल भी हैं। इन आठ कमल की साधना करके व्यक्ति शून्य में पहुँचता है। शरीर में जो तीन पदमणी हैं, सूर्य चंद्र और सुषुम्णा, इनसे संवाद स्थापित करना है।
Anil Nagori दुनिया दारी अवगुण गारी हेली म्हारी निर्भय रहजयो अनिल नागौरी
Raam Kisi Ko Maare Nahin, Aur Na Hatyaara Raam, Apane Aap Mar Jaavasi, Bhai Kar Kar Khota Kaam. Heli Mhaari Nirbhay Rahije Rai, Duniyaandaari Avagunagaari, Jyaane Bhed Mati Dijai Rai, Heli Mhaari Nirbhay Rahije Rai.
Author - Saroj Jangir
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