बताओ कहां मिलेगा श्याम लिरिक्स

बताओ कहां मिलेगा श्याम लिरिक्स

बताओ कहां मिलेगा श्याम,
चरण पादुका लेकर सब से,
पूछ रहे रस खान,
बताओ कहाँ मिलेगा श्याम।

वो नन्हा सा बालक है,
सांवली सी सूरत है,
बाल घुंघराले उसके,
पता मोर मुकुट है,
नयन उसके कजरारे,
हाथ नन्हे से प्यारे,
बंधे पैजनिया पग में,
बड़े दिलकश है नज़र,
घायल कर देती है दिल को,
उसकी एक मुस्कान,
बताओ कहाँ मिलेगा श्याम।

श्री कृष्ण ने देखा, की ये भक्त मुझे,
नन्हे श्याम के रूप में ढूंढ़ रहा है
वो तो मुझे है रूप में पहचान भी नहीं पायेगा
तभी वे एक साधरण व्यक्ति का रूप धारण कर,
खान जी के पास जाकर,
सारी बातों को सुनने के पास उससे खाते हैं।

समझ में आया जिसका,
पता तू पूछ रहा है,
वो है बांके बिहारी,
जिस तू ढूंढ रहा है,
कहीं वो श्याम कहत,
कहीं वो कृष्ण मुरारी
कोई सांवरिया कहता
कोई गोवर्धन धारी
नाम हजारो ही हैं उसके
केई जग में धामी
बताओ कहां मिलेगा श्याम

उस भले व्यक्ति ने खान जी को,
वृंदावन जाने को कहा,
फिर क्या था मानो मुसाफिर,
को मंजिल मिल गई हो
बिना खाए पिए लगातार,
चलते हुए खान साहब,
वृंदावन में कृष्णा के मंदिर,
तक जा पूँछते हैं
पागलो जैसे हालत,
हाथों मैं जूते लिए,
अन्या समुद्र के होने के कारण,
मंदिर के पुजारीयो ने,
उन्हे मंदिर के अंदर,
आने से मन कर दिया
नन्हे श्याम से मिलने की आस में
खान साब फिर रो पड़े।

मुझे ना रोको भाई
मेरी समझो मजबूरी,
श्याम से मिलने दे दो
बहुत है काम जरूरी
सीढ़ियों पे मंदिर के
डाल कर अपना डेरा
कभी तो घर के बाहर,
श्याम आएगा मेरा
इंतजार करते करते हाय
सुबह से हो गई शाम,
बताओ कहां मिलेगा श्याम

खान साब के मन में
नन्हे श्याम से मिलने की आस थी
इसी विश्वास के साथी
वे वही मंदिर के सीढ़ियों पर,
रात भर बैठे रहे
जाग कर रात बिताई,
भोर होने को आई
तबी उसके कानों में,
कोई आहट सी आई
वो आगे पीछे देखे,
वो देखे दाए बाएं,
वो चारो और ही देखे,
नज़र कोई ना आये,
झुकी नज़र तो कदमो में ही,
बैठा नन्हा श्याम
बताओ कहां मिलेगा श्याम।

(हमें नन्हे श्याम की जैसी छवि,
भक्त खान जी ने अपने दिल में बसी थी,
ठीक वैसा ही उन्होनें अपने सामने पाया)

खुशी से गद गद हुआ,
गोद में उसे उठाया,
लगा कर के देखने से
बहुत ही प्यार लुटाया
पादुका पहनाने को,
पाँव जैसे ही उठाया,
नज़र ऐसा देखा
कलेजा मुंह को आया,
कांटे चुभ चुभ कर के घायल
हुए थे नन्हे पाँव,
बताओ कहां मिलेगा श्याम।

खान साब ने श्याम के घायल पौं को देखा
रो रो कर उनसे कहा,
खबर देते तो खुद,
तुम्हारे पास मैं आता,
ना पग मैं छाले पड़ते,
ना चुभाता कोई कांटा
(परन्तु उस मोर मुकुट, बंसीवाले ने, मुस्कुराते हुए खान जी से कहा )

छवि जैसी तू मेरी बस के,
दिल में लाया,
उसी ही रूप में तुमसे,
यहाँ मैं मिलने आया,
गोकुल से मैं पैदल आया,
तेरे लिए बृज धाम,
भाव के भुके हैं भगवान
बताओ कहां मिलेगा श्याम

(इस प्रकृति भक्त और भगवान का मिला शायद ही देखने को मिले जाकी राही भावना जैसी।  हरि मूरत देखी तिन तैसी। अब कन्हैया कहते हैं हे भक्त अपने मुझे बाल रूप में खाली पाव देखा था। उन पथरीले रस्तो पर तभी तो मैं इसी अवस्थ मैं आपसे मिलने के लिए गोकुल से वृंदावन पैदल दौड़ आपके हाथों से चरण पादुका पहचान
मुझे त्रिलोक की सारी खुशी मिल गई)

श्याम की बातें सुनके,
कवि वो हुआ दीवाना,
कहा मुझे भी दे दो,
अपने चरणों में ठिकाना।
तू मालिक है दुनिया का,
ये मैंने जान लिया है,
लिखूंगा कविता तेरी,
आज से ठान लिया है,
श्याम प्रेम रास बरसा सोना,
खान बना रसखान,
भाव के भूखे हैं भगवान,
कांटो पर चल कर के रखते,
अपने भगत का मान,
भाव के भुखे हैं भगवान,
बताओ कहां मिलेगा श्याम।


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)

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