माता गौरी दुर्गा माता का ही एक रूप है। दुर्गा माता के कई रूप हैं। गौरी माता, उमा देवी, सती देवी, काली माता सभी देवी दुर्गा के ही रूप हैं। गौरी देवी की पूजा करने से सभी संकट कट जाते हैं, सुख समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। माता गौरी घर में सौभाग्य दायक होती है। गौरी चालीसा का पाठ करने से घर में समृद्धि आती है। माता गौरी की कृपा से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
गौरी चालीसा लिरिक्स जाने लाभ, पाठ महत्त्व Gouri Chalisa Lyrics Benefits Hindi
अधिक जानिए गौरी चालीसा के लाभ : यहाँ पढ़िए.
चौपाई ॥
मन मंदिर मेरे आन बसो, आरम्भ करूं गुणगान,
गौरी माँ मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधी न जानती, पर श्रद्धा है आपर,
प्रणाम मेरा स्विकारिये, हे माँ प्राण आधार।
नमो नमो हे गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरनागत न कभी गभराता, गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ, मेरे सकल कलेश मिटाओ।
सार्थक हो जाए जग में जीना, सत्कर्मो से कभी हटु ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो, सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो, मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहु, ससुराल पक्ष का स्नेहा मै पायु।
परम आराध्या आप हो मेरी, फ़िर क्यूं वर मे इतनी देरी,
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो, थोडे में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखना, भक्ति भाव जगाये रखना,
गौरी माता अनसन रहना, कभी न खोयूं मन का चैना।
देव मुनि सब शीश नवाते, सुख सुविधा को वर मै पाते,
श्रद्धा भाव जो ले कर आया, बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा, आगे बढ़ के दिया सहारा,
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे, निराश मन मे आस जगावे।
शिव भी आपका काहा ना टाले, दया द्रष्टि हम पे डाले,
जो जन करता आपका ध्यान, जग मे पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती, उसके सुहाग की रक्षा करती,
दया द्रष्टि जब माँ डाले, भव सागर से पार उतारे।
जपे जो ओम नमः शिवाय, शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,
जिसपे आप दया दिखावे, दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सात गुण की हो दाता आप, हर इक मन की ज्ञाता आप,
काटो हमरे सकल कलेश, निरोग रहे परिवार हमेश।
दुख संताप मिटा देना माँ, मेघ दया के बरसा देना माँ,
जबही आप मौज में आय, हठ जय माँ सब विपदाएं।
जीसपे दयाल हो माता आप, उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ, श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।
अवगुन मेरे ढक देना माँ, ममता आंचल कर देना मां,
कठिन नहीं कुछ आपको माता, जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे, नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,
जितने आपके पावन धाम, सब धामो को मां प्राणम।
आपकी दया का है ना पार, तभी को पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण मे आता, मुक्ति की वो युक्ति पाता।
संतोष धन्न से दामन भर दो, असम्भव को माँ सम्भव कर दो,
आपकी दया के भारे, सुखी बसे मेरा परिवार।
आपकी महिमा अति निराली, भक्तो के दुःख हरने वाली,
मनोकामना पुरन करती, मन की दुविधा पल मे हरती।
चालीसा जो भी पढे सुनाया, सुयोग वर् वरदान मे पाए,
आशा पूर्ण कर देना माँ, सुमंगल साखी वर देना माँ।
गौरी माँ विनती करूँ, आना आपके द्वार,
ऐसी माँ कृपा किजिये, हो जाए उद्धहार।
हीं हीं हीं शरण मे, दो चरणों का ध्यान,
ऐसी माँ कृपा कीजिये, पाऊँ मान सम्मान।
गौरी चालीसा पढ़ते समय ध्यान रखें : How To Chand Gouri Chalisa Hindi
सुबह स्नान आदि से निवृत होकर हल्के रंग के वस्त्र धारण करें।
माता गौरी की पूजा सोमवार को की जाती है, जो कि शिव जी का वार है और शुक्रवार जिसे देवियों की पूजा करने का दिन भी माना गया है को की जाती है। शिव और पार्वती की पूजा करने से जो फल प्राप्त होते हैं, वही फल गौरी माता की पूजा करने से प्राप्त होते हैं। माता गौरी सौभाग्य दायिनी है। मंदिर की साफ सफाई करके लाल कपड़े पर माता गौरी की प्रतिमा या तस्वीर रखें। अब माता गौरी की तस्वीर के आगे गाय के घी का दीपक जलाएं। माता गौरी को सफेद फूल चढ़ाएं। एक तांबे के कलश में पानी भरकर रखें। माता गौरी को रोली और अक्षत से तिलक करें। स्वयं भी तिलक लगाएं। अब गौरी चालीसा का पाठ करें। पाठ संपूर्ण होने पर मिश्री का भोग लगाएं।
गौरी चालीसा का पाठ करने के फायदे Gouri Chalisa Benefits Hindi यहाँ पढ़ें गौरी माता चालीसा के फायदे हिंदी में.
- गौरी चालीसा का पाठ करने से घर में संपन्नता आती है।
- धन धान्य की प्रचुरता रहती है।
- माता गौरी शक्ति का रूप है, इसलिए इनके चालीसा का पाठ करने से शक्ति का संचार होता है।
- माता गौरी सौभाग्य दायिनी है।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से सौभाग्य प्राप्त होता है।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से सभी कष्ट मिट जाते हैं।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से घर का वातावरण शांत एवं शुभ रहता है।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार की समस्याओं का निराकरण होता है।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव एवं पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से मन में धार्मिक एवं आध्यात्मिक विचार आते हैं।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति हर क्षेत्र में सफलता की ऊंचाइयों को छूता है।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से दिन दोगुनी रात चौगुनी प्रगति होती है।
- गौरी चालीसा का पाठ करने से मान, सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
- गौरी चालीसा का पाठ करने के साथ ही इनके मंत्रों के जाप भी बहुत चमत्कारी प्रभाव देतें हैं।
माता गौरी के प्रमुख मंत्र Gouri Mata Mantra: जानिये गौरी माता चालीसा और मन्त्र के फायदे हिंदी में.
1. सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
2. श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः,
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।
3.या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्त्यै।
सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
2. श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः,
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।
3.या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्त्यै।
भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Mata Rani Bhajan)
श्री माँ गौरी चालीसा|Shri Maa Gauri Chalisa |श्री माँ गौरी चालीसा पाठ |Shri Maa Gauri Chalisa Path |
जय जय गिरिराज किसोरी
दोहा
जय जय गिरिराज किसोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी॥
जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता॥
चौपाई
देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥
मोर मनोरथ जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबही के॥
हे गिरिराज की पुत्री, हे गौरी, हे माता! तुम शिवजी की प्रिय पत्नी हो और समस्त सृष्टि की आधार हो। तुमसे मेरा मनोरथ जान लो। तुम सदा मेरे हृदय में निवास करो।
दोहा
कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं।
अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥
बेदी ने कहा कि वह अपना मनोरथ नहीं बता सकता क्योंकि वह अभी तक विवाहित नहीं है।
चौपाई
बिनय प्रेम बस भई भवानी।
खसी माल मुरति मुसुकानि॥
सादर सियं प्रसादु सर धरेऊ।
बोली गौरी हरषु हियं भरेऊ॥
भगवान शिव की विनय और प्रेम से पार्वती प्रसन्न हो गईं और मुस्कुरा दीं। सीता ने आदरपूर्वक प्रसाद ग्रहण किया। पार्वती ने कहा कि तुम्हारा मनोरथ अवश्य पूर्ण होगा।
दोहा
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
हे सीता, मेरी असीस सत्य है। तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
चौपाई
नारद बचन सदा सूचि साचा।
सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
नारद मुनि की बातें हमेशा सत्य होती हैं। तुम्हें वह वर मिलेगा जिसे तुम चाहती हो। वह वर सहज सुंदर और करुणानिधान होगा। वह सीता की भावनाओं को समझने वाला होगा।
दोहा
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥
इस प्रकार पार्वती की आशीष सुनकर सीता सहित सभी देवता हर्षित हुए। तुलसीदास ने पार्वती की पूजा की और फिर प्रसन्न मन से मंदिर चले गए।
अर्थ
यह चालीसा भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति में लिखी गई है। इसमें माता पार्वती की महिमा का वर्णन किया गया है। चालीसा के अंत में तुलसीदास ने भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की है।
कहानी
यह चालीसा रामायण के एक प्रसंग पर आधारित है। इस प्रसंग में भगवान राम ने माता पार्वती से वरदान मांगा था कि उन्हें एक ऐसा पति मिले जो करुणानिधान और सीता की भावनाओं को समझने वाला हो। माता पार्वती ने उन्हें वरदान दिया कि उन्हें श्रीराम ही पति मिलेंगे।
दोहा
जय जय गिरिराज किसोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी॥
जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता॥
चौपाई
देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥
मोर मनोरथ जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबही के॥
हे गिरिराज की पुत्री, हे गौरी, हे माता! तुम शिवजी की प्रिय पत्नी हो और समस्त सृष्टि की आधार हो। तुमसे मेरा मनोरथ जान लो। तुम सदा मेरे हृदय में निवास करो।
दोहा
कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं।
अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥
बेदी ने कहा कि वह अपना मनोरथ नहीं बता सकता क्योंकि वह अभी तक विवाहित नहीं है।
चौपाई
बिनय प्रेम बस भई भवानी।
खसी माल मुरति मुसुकानि॥
सादर सियं प्रसादु सर धरेऊ।
बोली गौरी हरषु हियं भरेऊ॥
भगवान शिव की विनय और प्रेम से पार्वती प्रसन्न हो गईं और मुस्कुरा दीं। सीता ने आदरपूर्वक प्रसाद ग्रहण किया। पार्वती ने कहा कि तुम्हारा मनोरथ अवश्य पूर्ण होगा।
दोहा
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
हे सीता, मेरी असीस सत्य है। तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
चौपाई
नारद बचन सदा सूचि साचा।
सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
नारद मुनि की बातें हमेशा सत्य होती हैं। तुम्हें वह वर मिलेगा जिसे तुम चाहती हो। वह वर सहज सुंदर और करुणानिधान होगा। वह सीता की भावनाओं को समझने वाला होगा।
दोहा
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥
इस प्रकार पार्वती की आशीष सुनकर सीता सहित सभी देवता हर्षित हुए। तुलसीदास ने पार्वती की पूजा की और फिर प्रसन्न मन से मंदिर चले गए।
अर्थ
यह चालीसा भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति में लिखी गई है। इसमें माता पार्वती की महिमा का वर्णन किया गया है। चालीसा के अंत में तुलसीदास ने भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की है।
कहानी
यह चालीसा रामायण के एक प्रसंग पर आधारित है। इस प्रसंग में भगवान राम ने माता पार्वती से वरदान मांगा था कि उन्हें एक ऐसा पति मिले जो करुणानिधान और सीता की भावनाओं को समझने वाला हो। माता पार्वती ने उन्हें वरदान दिया कि उन्हें श्रीराम ही पति मिलेंगे।
श्री पार्वती चालीसा Gouri Chalisa Parwati Chalisa
।।दोहा।।जय गिरि तनये दक्षजे शंभु प्रिये गुणखानि ।
गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवानि ।।
।।चौपाई।।
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे । पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो । सहसबदन श्रम करत घनेरो ।।
तेऊ पार न पावत माता । स्थित रक्षा लय हित सजाता ।।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे । अति कमनीय नयन कजरारे ।।
ललित ललाट विलेपित केशर । कुंकुम अक्षत शोभा मनहर ।।
कनक बसन कंचुकी सजाए । कटि मेखला दिव्य लहराए ।।
कंठ मदार हार की शोभा । जाहि देखि सहजहि मन लोभा ।।
बालारुण अनंत छबि धारी । आभूषण की शोभा प्यारी ।।
नाना जड़ित सिंहासन । तापर राजति हरि चतुरानन ।।
इंद्रादिक परिवार पूजित । जग मृग नाग रक्ष रव कूजित ।।
गिर कैलास निवासिनी जय जय । कोटिक प्रभा विकासिन जय जय ।।
त्रिभुवन सकल कुटुम्ब तिहारी । अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ।।
हैं महेश प्राणेश ! तुम्हारे । त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब । सुकृत पुरातन उदित भए तब ।।
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी । महिमा का गावै कोउ तिनकी ।।
सदा श्मशान बिहारी शंकर । आभूषण है भुजंग भयंकर ।।
कण्ठ हलाहल को छबि छाई । नीलकंठ की पदवी पाई ।।
देव मगन के हित अस कीन्हों । विष लै आरपु तिनहि अमि दीन्हों ।।
ताकी तुम पत्नी छवि धारिणि । दूरित विदारिणि मंगल कारिणि ।।
देखि परम सौंदर्य तिहारो । त्रिभुवन चकित बनावन हारो ।।
भय भीता सो माता गंगा । लज्जा मय है सलिल तरंगा ।।
सौत समान शम्भु पहआयी । विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ।।
तेहिकों कमल बदन मुरझायो । लखि सत्वर शिव शीश चढ़ायो ।।
नित्यानंद करी बरदायिनी । अभय भक्त कर नित अनपायिनी ।।
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनि । माहेश्वरी हिमालय नंदिनि ।।
काशी पुरी सदा मन भायी । सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी ।।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री । कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।।
रिपुक्षय कारिणि जय जय अम्बे । वाचा सिद्ध करि अवलम्बे ।।
गौरी उमा शंकरी काली । अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।।
सब जन की ईश्वरी भगवती । प्रतिप्राणा परमेश्वरी सती ।।
तुमने कठिन तपस्या कीनी । नारद सों जब शिक्षा लीनी ।।
अन्न न नीर न वायु अहारा । अस्थि मात्रतन भयौ तुम्हारा ।।
पत्र गहस को खाद्य न भायउ । उमा नाम तब तुमने पायउ ।।
तप बिलोकि रिषि सात पधारे । लगे डिगावन डिगी न हारे ।।
तब तव जय जय जय उच्चारेउ । सप्तरिषी निज गेह सिधारेउ ।।
सुर विधि विष्णु पास तब आए । वर देने के वचन सुनाए ।।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों । चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों ।।
एवमस्तु कहि ते दोऊ गए । सुफल मनोरथ तुमने लए ।।
करि विवाह शिव सों हे भामा । पुन: कहाई हर की बामा ।।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा । धन जन सुख देइहै तेहि ईसा ।।
।।दोहा।।
कूट चंद्रिका सुभग शिर जयति जयति सुख खानि ।
पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानि ।।
श्री पार्वती जी की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता,
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता ।
अरिकुलपद्म विनासनी जय सेवकत्राता,
जगजीवन जगदंबा हरिहर गुण गाता ।
सिंह का वाहन साजे कुंडल हैं साथा,
देवबंधु जस गावत नृत्य करत ता था ।
सतयुग रूप शील अति सुंदर नाम सती कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन संग राता ।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्थाता,
सहस्त्र भुज तनु धरिके चक्र लियो हाथा ।
सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता,
नंदी भृंगी बीन लही है हाथन मदमाता ।
देवन अरज करत तव चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता ।
श्री “ओम” आरती मैया की जो कोई गाता,
सदा सुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता ।। पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
गौरी चालीसा का महत्व बहुत बड़ा है। यह एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो मां गौरी की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। गौरी चालीसा के पाठ से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
सुख-सौभाग्य में वृद्धि: गौरी चालीसा के पाठ से मां गौरी की कृपा प्राप्त होती है, जो सुख-सौभाग्य की दाता हैं। मां गौरी की कृपा से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
सिद्धि-बुद्धि की प्राप्ति: गौरी चालीसा के पाठ से मां गौरी की कृपा से सिद्धि-बुद्धि प्राप्त होती है। मां गौरी ज्ञान और विवेक की देवी हैं। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति का ज्ञान और विवेक बढ़ता है, जिससे वह अपने जीवन में सफल होता है।
धन-दौलत और तरक्की: गौरी चालीसा के पाठ से मां गौरी की कृपा से धन-दौलत और तरक्की प्राप्त होती है। मां गौरी धन-दौलत और उन्नति की देवी हैं। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति धनवान और सफल होता है।
हर तरह के सुख का भागीदार बनना: गौरी चालीसा के पाठ से मां गौरी की कृपा से व्यक्ति हर तरह के सुख का भागीदार बनता है। मां गौरी सुख-दुख की देवी हैं। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में कोई कष्ट नहीं होता है, और वह हर तरह के सुख का आनंद लेता है।
गौरी चालीसा का पाठ विधिवत तरीके से करना चाहिए। गौरी चालीसा का पाठ करते समय मां गौरी की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठकर करना चाहिए। पाठ को साफ-सुथरे कपड़ों में और एकांत स्थान पर करना चाहिए। पाठ को ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से करना चाहिए।गौरी चालीसा का पाठ करने से मां गौरी की कृपा प्राप्त होती है, और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता आती है।
सिद्धि-बुद्धि की प्राप्ति: गौरी चालीसा के पाठ से मां गौरी की कृपा से सिद्धि-बुद्धि प्राप्त होती है। मां गौरी ज्ञान और विवेक की देवी हैं। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति का ज्ञान और विवेक बढ़ता है, जिससे वह अपने जीवन में सफल होता है।
धन-दौलत और तरक्की: गौरी चालीसा के पाठ से मां गौरी की कृपा से धन-दौलत और तरक्की प्राप्त होती है। मां गौरी धन-दौलत और उन्नति की देवी हैं। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति धनवान और सफल होता है।
हर तरह के सुख का भागीदार बनना: गौरी चालीसा के पाठ से मां गौरी की कृपा से व्यक्ति हर तरह के सुख का भागीदार बनता है। मां गौरी सुख-दुख की देवी हैं। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में कोई कष्ट नहीं होता है, और वह हर तरह के सुख का आनंद लेता है।
गौरी चालीसा का पाठ विधिवत तरीके से करना चाहिए। गौरी चालीसा का पाठ करते समय मां गौरी की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठकर करना चाहिए। पाठ को साफ-सुथरे कपड़ों में और एकांत स्थान पर करना चाहिए। पाठ को ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से करना चाहिए।गौरी चालीसा का पाठ करने से मां गौरी की कृपा प्राप्त होती है, और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता आती है।