राधा चालीसा लिरिक्स Radha Chalisa Lyrics PDF Fayde, Download Radha Chalisa Complete Lyrics, Radha Chalisa Hindi
भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। भारत के लोग बहुत ही धार्मिक होते हैं। धर्म में उनकी आस्था ही उनके जीवन का मुख्य आधार होती है। हिंदू धर्म में बहुत से देवताओं के साथ ही देवियों की भी पूजा की जाती है। इनमें राधारानी बहुत ही महत्वपूर्ण है। श्री कृष्ण जी की पूजा राधे रानी की पूजा के बिना अधूरी मानी जाती है। श्री कृष्ण जी और राधा जी ने पृथ्वी पर अवतार पृथ्वी वासियों को प्रेम सिखाने के लिए ही लिया था। राधा रानी प्रेम का प्रतीक है। इनके चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में प्रेम की कमी नहीं होती है।
श्री राधा चालीसा Radha Chalisa Lyrics
।।दोहा।।
।।दोहा।।
श्री राधे वुषभानुजा , भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी , प्रानावौ बारम्बार ।।
जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम ।
चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम ।।
।।चौपाई।।
जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा, कीरति नंदिनी शोभा धामा ।।
नित्य बिहारिनी रस विस्तारिणी, अमित मोद मंगल दातारा ।।1।।
राम विलासिनी रस विस्तारिणी, सहचरी सुभग यूथ मन भावनी ।।
करुणा सागर हिय उमंगिनी, ललितादिक सखियन की संगिनी ।।2।।
दिनकर कन्या कुल विहारिनी, कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनी ।।
नित्य श्याम तुमररौ गुण गावै,राधा राधा कही हरशावै ।।3।।
वृन्दाविपिन विहारिणी , प्रानावौ बारम्बार ।।
जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम ।
चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम ।।
।।चौपाई।।
जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा, कीरति नंदिनी शोभा धामा ।।
नित्य बिहारिनी रस विस्तारिणी, अमित मोद मंगल दातारा ।।1।।
राम विलासिनी रस विस्तारिणी, सहचरी सुभग यूथ मन भावनी ।।
करुणा सागर हिय उमंगिनी, ललितादिक सखियन की संगिनी ।।2।।
दिनकर कन्या कुल विहारिनी, कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनी ।।
नित्य श्याम तुमररौ गुण गावै,राधा राधा कही हरशावै ।।3।।
मुरली में नित नाम उचारें, तुम कारण लीला वपु धारें ।।
प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी, श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ।।4।।
नवल किशोरी अति छवि धामा, द्दुति लधु लगै कोटि रति कामा ।।
गोरांगी शशि निंदक वंदना, सुभग चपल अनियारे नयना ।।5।।
जावक युत युग पंकज चरना, नुपुर धुनी प्रीतम मन हरना ।।
संतत सहचरी सेवा करहिं, महा मोद मंगल मन भरहीं ।।6।।
रसिकन जीवन प्राण अधारा, राधा नाम सकल सुख सारा ।।
अगम अगोचर नित्य स्वरूपा, ध्यान धरत निशिदिन ब्रज भूपा ।।7।।
उपजेउ जासु अंश गुण खानी, कोटिन उमा राम ब्रह्मिनी ।।
नित्य धाम गोलोक विहारिन , जन रक्षक दुःख दोष नसावनि ।।8।।
शिव अज मुनि सनकादिक नारद, पार न पाँई शेष शारद ।।
राधा शुभ गुण रूप उजारी, निरखि प्रसन होत बनवारी ।।9।।
ब्रज जीवन धन राधा रानी, महिमा अमित न जाय बखानी ।।
प्रीतम संग दे ई गलबाँही , बिहरत नित वृन्दावन माँहि ।।10।।
राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा, एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ।।
श्री राधा मोहन मन हरनी, जन सुख दायक प्रफुलित बदनी ।।11।।
कोटिक रूप धरे नंद नंदा, दर्श करन हित गोकुल चंदा ।।
रास केलि करी तुहे रिझावें, मन करो जब अति दुःख पावें ।।12।।
प्रफुलित होत दर्श जब पावें, विविध भांति नित विनय सुनावे ।।
वृन्दारण्य विहारिनी श्यामा, नाम लेत पूरण सब कामा ।।13।।
कोटिन यज्ञ तपस्या करहु, विविध नेम व्रतहिय में धरहु ।।
तऊ न श्याम भक्तहिं अहनावें, जब लगी राधा नाम न गावें ।।14।।
व्रिन्दाविपिन स्वामिनी राधा, लीला वपु तब अमित अगाधा ।।
स्वयं कृष्ण पावै नहीं पारा, और तुम्हैं को जानन हारा ।।15।।
श्री राधा रस प्रीति अभेदा, सादर गान करत नित वेदा ।।
राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं, ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ।।16।।
कीरति हूँवारी लडिकी राधा, सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा ।।
नाम अमंगल मूल नसावन, त्रिविध ताप हर हरी मनभावना ।।17।।
राधा नाम परम सुखदाई, भजतहीं कृपा करहिं यदुराई ।।
यशुमति नंदन पीछे फिरेहै, जी कोऊ राधा नाम सुमिरिहै ।।18।।
रास विहारिनी श्यामा प्यारी, करहु कृपा बरसाने वारी ।।
वृन्दावन है शरण तिहारी, जय जय जय वृषभानु दुलारी ।।19।।
प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी, श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ।।4।।
नवल किशोरी अति छवि धामा, द्दुति लधु लगै कोटि रति कामा ।।
गोरांगी शशि निंदक वंदना, सुभग चपल अनियारे नयना ।।5।।
जावक युत युग पंकज चरना, नुपुर धुनी प्रीतम मन हरना ।।
संतत सहचरी सेवा करहिं, महा मोद मंगल मन भरहीं ।।6।।
रसिकन जीवन प्राण अधारा, राधा नाम सकल सुख सारा ।।
अगम अगोचर नित्य स्वरूपा, ध्यान धरत निशिदिन ब्रज भूपा ।।7।।
उपजेउ जासु अंश गुण खानी, कोटिन उमा राम ब्रह्मिनी ।।
नित्य धाम गोलोक विहारिन , जन रक्षक दुःख दोष नसावनि ।।8।।
शिव अज मुनि सनकादिक नारद, पार न पाँई शेष शारद ।।
राधा शुभ गुण रूप उजारी, निरखि प्रसन होत बनवारी ।।9।।
ब्रज जीवन धन राधा रानी, महिमा अमित न जाय बखानी ।।
प्रीतम संग दे ई गलबाँही , बिहरत नित वृन्दावन माँहि ।।10।।
राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा, एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ।।
श्री राधा मोहन मन हरनी, जन सुख दायक प्रफुलित बदनी ।।11।।
कोटिक रूप धरे नंद नंदा, दर्श करन हित गोकुल चंदा ।।
रास केलि करी तुहे रिझावें, मन करो जब अति दुःख पावें ।।12।।
प्रफुलित होत दर्श जब पावें, विविध भांति नित विनय सुनावे ।।
वृन्दारण्य विहारिनी श्यामा, नाम लेत पूरण सब कामा ।।13।।
कोटिन यज्ञ तपस्या करहु, विविध नेम व्रतहिय में धरहु ।।
तऊ न श्याम भक्तहिं अहनावें, जब लगी राधा नाम न गावें ।।14।।
व्रिन्दाविपिन स्वामिनी राधा, लीला वपु तब अमित अगाधा ।।
स्वयं कृष्ण पावै नहीं पारा, और तुम्हैं को जानन हारा ।।15।।
श्री राधा रस प्रीति अभेदा, सादर गान करत नित वेदा ।।
राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं, ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ।।16।।
कीरति हूँवारी लडिकी राधा, सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा ।।
नाम अमंगल मूल नसावन, त्रिविध ताप हर हरी मनभावना ।।17।।
राधा नाम परम सुखदाई, भजतहीं कृपा करहिं यदुराई ।।
यशुमति नंदन पीछे फिरेहै, जी कोऊ राधा नाम सुमिरिहै ।।18।।
रास विहारिनी श्यामा प्यारी, करहु कृपा बरसाने वारी ।।
वृन्दावन है शरण तिहारी, जय जय जय वृषभानु दुलारी ।।19।।
राधा रानी चालीसा का पाठ करते समय ध्यान रखें.
- राधा रानी चालीसा का पाठ करने के लिए सुबह स्नान आदि करके लाल वस्त्र धारण करें।
- मंदिर में साफ सफाई करके लाल कपड़े पर राधा रानी की मूर्ति या तस्वीर रखें।
- राधा रानी की तस्वीर के सामने गाय के घी का दीपक और धूप जलाएं।
- तांबे का एक कलश पानी से भर कर रखें।
- राधा रानी चालीसा का पाठ करते समय लाल आसन पर बैठें।
- शांत और प्रेम भाव से राधा रानी चालीसा का पाठ करें।
- राधा रानी चालीसा का पाठ पूर्ण होने पर उनकी आरती करें।
राधा चालीसा Radha Chalisa
राधा चालीसा का पाठ करने के फायदें Radha Chalisa Fayde Benefits in Hindi
- राधा रानी पृथ्वी पर प्रेम का प्रतीक है।
- ऐसा माना जाता है कि राधा चालीसा का पाठ करने से जीवन में अथाह प्रेम की प्राप्ति होती है।
- राधा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति का मन शांत एवं स्थिर रहता है।
- राधा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति सभी से प्रेम पूर्वक व्यवहार करता है।
- राधा चालीसा का पाठ करने से घर में सुख, समृद्धि एवं संपन्नता का विस्तार होता है।
- राधा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होता है।
- राधा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की पारिवारिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
- राधा चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- राधा रानी और श्री कृष्ण जी प्रेम का प्रतीक है, इसलिए इनकी पूजा करने से सभी जीवों के प्रति प्रेम भाव उत्पन्न होता है।
- राधा रानी का चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति सफल होता है।
- जीवन के हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है।
- राधा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को समाज में पद और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
- राधा रानी जी के मंत्रों का जाप करके भी हम सभी परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं और जीवन में प्रेम का संचार कर सकते हैं। राधा जी के प्रमुख मंत्र इनका 108 बार जाप करना चाहिए।
1. जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए...
भवत बाधाम राधाम सहस निव मूचे सहचरी।
2. सौभाग्य और प्रेम प्राप्ति हेतु राधा जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए.....
राधा रस सुधा सिंधु, राधा सौभाग्य मंजरी
राधा बृजांगना मुख्या राधई वा राध्यते मया।
3. यह राधा जी का सबसे सरल मंत्र है। इसका जाप करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में प्रेम की प्राप्ति होती है। हृदय शांत और प्रेम से पूर्ण रहता है.
ॐ ह्रीं श्रीराधिकायै नम:
भजन श्रेणी : श्री राधेरानी भजन (Radha Rani Bhajan)
॥ दोहा ॥ श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥
।। चौपाई ।।
जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा । कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥
नित्य विहारिणी श्याम अधर । अमित बोध मंगल दातार ॥
रास विहारिणी रस विस्तारिन । सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ॥
नित्य किशोरी राधा गोरी । श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ॥
करुना सागरी हिय उमंगिनी । ललितादिक सखियाँ की संगनी ॥
दिनकर कन्या कूल विहारिणी । कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सवानी ॥
नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें । श्री राधा राधा कही हर्शवाहीं ॥
मुरली में नित नाम उचारें । तुम कारण लीला वपु धरें ॥
प्रेमा स्वरूपिणी अति सुकुमारी । श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ॥
नावाला किशोरी अति चाबी धामा । द्युति लघु लाग कोटि रति कामा ॥
गौरांगी शशि निंदक वदना । सुभाग चपल अनियारे नैना ॥10॥
जावक यूथ पद पंकज चरण । नूपुर ध्वनी प्रीतम मन हारना ॥
सन्तता सहचरी सेवा करहीं । महा मोड़ मंगल मन भरहीं ॥
रसिकन जीवन प्रण अधर । राधा नाम सकल सुख सारा ॥
अगम अगोचर नित्य स्वरूप । ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥
उपजेऊ जासु अंश गुण खानी । कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥
नित्य धाम गोलोक बिहारिनी । जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥
शिव अज मुनि सनकादिक नारद । पार न पायं सेष अरु शरद ॥
राधा शुभ गुण रूपा उजारी । निरखि प्रसन्ना हॉट बनवारी ॥
बृज जीवन धन राधा रानी । महिमा अमित न जय बखानी ॥
प्रीतम संग दिए गल बाहीं । बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥
राधा कृष्ण कृष्ण है राधा । एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ॥
श्री राधा मोहन मन हरनी । जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी ॥
कोटिक रूप धरे नन्द नंदा । दरश कारन हित गोकुल चंदा ॥
रास केलि कर तुम्हें रिझावें । मान करो जब अति दुःख पावें ॥
प्रफुल्लित हों दरश जब पावें । विविध भांति नित विनय सुनावे,
वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्याम । नाम लेथ पूरण सब कम ॥
कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू । विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥
तू न श्याम भक्ताही अपनावें । जब लगी नाम न राधा गावें ॥
वृंदा विपिन स्वामिनी राधा । लीला वपु तुवा अमित अगाध ॥
स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा । और तुम्हें को जननी हारा ॥
श्रीराधा रस प्रीती अभेद । सादर गान करत नित वेदा ॥
राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं । ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥
कीरति कुमारी लाडली राधा । सुमिरत सकल मिटहिं भाव बड़ा ॥
नाम अमंगल मूल नासवानी । विविध ताप हर हरी मन भवानी ॥
राधा नाम ले जो कोई । सहजही दामोदर वश होई ॥
राधा नाम परम सुखदायी । सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥
यदुपति नंदन पीछे फिरिहैन । जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैन ॥
रास विहारिणी श्यामा प्यारी । करुहू कृपा बरसाने वारि ॥
वृन्दावन है शरण तुम्हारी । जय जय जय व्र्शभाणु दुलारी ॥
दोहा ॥
श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर धनश्याम।
कर हूँ निरंतर बास मै, श्री वृन्दावन धाम ॥40॥
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वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥
।। चौपाई ।।
जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा । कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥
नित्य विहारिणी श्याम अधर । अमित बोध मंगल दातार ॥
रास विहारिणी रस विस्तारिन । सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ॥
नित्य किशोरी राधा गोरी । श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ॥
करुना सागरी हिय उमंगिनी । ललितादिक सखियाँ की संगनी ॥
दिनकर कन्या कूल विहारिणी । कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सवानी ॥
नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें । श्री राधा राधा कही हर्शवाहीं ॥
मुरली में नित नाम उचारें । तुम कारण लीला वपु धरें ॥
प्रेमा स्वरूपिणी अति सुकुमारी । श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ॥
नावाला किशोरी अति चाबी धामा । द्युति लघु लाग कोटि रति कामा ॥
गौरांगी शशि निंदक वदना । सुभाग चपल अनियारे नैना ॥10॥
जावक यूथ पद पंकज चरण । नूपुर ध्वनी प्रीतम मन हारना ॥
सन्तता सहचरी सेवा करहीं । महा मोड़ मंगल मन भरहीं ॥
रसिकन जीवन प्रण अधर । राधा नाम सकल सुख सारा ॥
अगम अगोचर नित्य स्वरूप । ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥
उपजेऊ जासु अंश गुण खानी । कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥
नित्य धाम गोलोक बिहारिनी । जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥
शिव अज मुनि सनकादिक नारद । पार न पायं सेष अरु शरद ॥
राधा शुभ गुण रूपा उजारी । निरखि प्रसन्ना हॉट बनवारी ॥
बृज जीवन धन राधा रानी । महिमा अमित न जय बखानी ॥
प्रीतम संग दिए गल बाहीं । बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥
राधा कृष्ण कृष्ण है राधा । एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ॥
श्री राधा मोहन मन हरनी । जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी ॥
कोटिक रूप धरे नन्द नंदा । दरश कारन हित गोकुल चंदा ॥
रास केलि कर तुम्हें रिझावें । मान करो जब अति दुःख पावें ॥
प्रफुल्लित हों दरश जब पावें । विविध भांति नित विनय सुनावे,
वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्याम । नाम लेथ पूरण सब कम ॥
कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू । विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥
तू न श्याम भक्ताही अपनावें । जब लगी नाम न राधा गावें ॥
वृंदा विपिन स्वामिनी राधा । लीला वपु तुवा अमित अगाध ॥
स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा । और तुम्हें को जननी हारा ॥
श्रीराधा रस प्रीती अभेद । सादर गान करत नित वेदा ॥
राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं । ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥
कीरति कुमारी लाडली राधा । सुमिरत सकल मिटहिं भाव बड़ा ॥
नाम अमंगल मूल नासवानी । विविध ताप हर हरी मन भवानी ॥
राधा नाम ले जो कोई । सहजही दामोदर वश होई ॥
राधा नाम परम सुखदायी । सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥
यदुपति नंदन पीछे फिरिहैन । जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैन ॥
रास विहारिणी श्यामा प्यारी । करुहू कृपा बरसाने वारि ॥
वृन्दावन है शरण तुम्हारी । जय जय जय व्र्शभाणु दुलारी ॥
दोहा ॥
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कर हूँ निरंतर बास मै, श्री वृन्दावन धाम ॥40॥
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