माता पार्वती चालीसा लिरिक्स फायदे लाभ विधि Parvati Chalisa Lyrics Benefits Hindi
माता पार्वती दुर्गा देवी का ही रूप है। दुर्गा देवी सारे संसार की रचयिता हैं। सारे जग की पालनहार हैं। शिव पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है। घर में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है और समृद्धि आती है। श्रावण मास में पार्वती जी का व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। पार्वती चालीसा का पाठ करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। घर में धनधान्य की प्रचुरता रहती है। समाज में प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती हैं। श्रावण मास में सोमवार के दिन शिवजी के व्रत किए जाते हैं वैसे ही श्रावण में मंगलवार को मंगला गौरी के व्रत किए जाते हैं और पार्वती चालीसा का पाठ किया जाता है जो पारिवारिक जीवन के लिए अत्यंत लाभदायक है।
पार्वती चालीसा का पाठ करते समय ध्यान देने योग्य बातें : ऐसे करें पार्वती चालीसा का पाठ, महत्त्व फायदे हिंदी में Parvati Chalisa Benefits in Hindi
पार्वती चालीसा का पाठ अत्यंत सौभाग्य दायक है। पार्वती चालीसा का पाठ करने के लिए सुबह स्नान आदि से निवृत होकर लाल वस्त्र धारण करें।
मंदिर में लाल कपड़ा बिछाकर पार्वती माता की तस्वीर या मूर्ति रखें।
तांबे के कलश में पानी भरकर रखें।
पार्वती माता को रोली और अक्षत से तिलक लगाएं। स्वयं भी तिलक लगाएं।
सभी साज सिंगार करके माता पार्वती की पूजा करें। पार्वती माता सौभाग्य दायिनी है, इसलिए इनकी पूजा सौभाग्य में वृद्धि करती है।
पार्वती चालीसा का पाठ करते समय लाल आसन पर बैठें।
पार्वती चालीसा का पाठ करते समय गाय के घी से दीपक जलाएं।
पार्वती माता को लाल गुलाब के फूल अर्पित करें। पार्वती माता को लाल चुनड़ चढ़ाएं।
सुहागन की चीजें जैसे- सिंदूर, मेहंदी, बिंदी,चूड़ियां, काजल,चुनरी आदि पार्वती माता को चढ़ाएं।
अब पार्वती माता के चालीसा का पाठ करें।
मंदिर में लाल कपड़ा बिछाकर पार्वती माता की तस्वीर या मूर्ति रखें।
तांबे के कलश में पानी भरकर रखें।
पार्वती माता को रोली और अक्षत से तिलक लगाएं। स्वयं भी तिलक लगाएं।
सभी साज सिंगार करके माता पार्वती की पूजा करें। पार्वती माता सौभाग्य दायिनी है, इसलिए इनकी पूजा सौभाग्य में वृद्धि करती है।
पार्वती चालीसा का पाठ करते समय लाल आसन पर बैठें।
पार्वती चालीसा का पाठ करते समय गाय के घी से दीपक जलाएं।
पार्वती माता को लाल गुलाब के फूल अर्पित करें। पार्वती माता को लाल चुनड़ चढ़ाएं।
सुहागन की चीजें जैसे- सिंदूर, मेहंदी, बिंदी,चूड़ियां, काजल,चुनरी आदि पार्वती माता को चढ़ाएं।
अब पार्वती माता के चालीसा का पाठ करें।
दोहा
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।
गणपति जननी पार्वती अम्बे शक्ति! भवानि॥
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।
गणपति जननी पार्वती अम्बे शक्ति! भवानि॥
॥चौपाई॥
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे,
पंच बदन नित तुमको ध्यावे।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो,
सहसबदन श्रम करत घनेरो।।
तेऊ पार न पावत माता,
स्थित रक्षा लय हिय सजाता।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे,
अति कमनीय नयन कजरारे।।
ललित ललाट विलेपित केशर,
कुंकुंम अक्षत शोभा मनहर।
कनक बसन कंचुकि सजाए,
कटी मेखला दिव्य लहराए।।
कंठ मदार हार की शोभा,
जाहि देखि सहजहि मन लोभा।
बालारुण अनंत छबि धारी,
आभूषण की शोभा प्यारी।।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन,
तापर राजति हरि चतुरानन।
इन्द्रादिक परिवार पूजित,
जग मृग नाग यक्ष रव कूजित।।
गिर कैलास निवासिनी जय जय,
कोटिक प्रभा विकासिनी जय जय।
त्रिभुवन सकल कुटुंब तिहारी,
अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी।।
हैं महेश प्राणेश तुम्हारे,
त्रिभुवन के जो नित रखवारे।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब,
सुकृत पुरातन उदित भए तब।।
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी,
महिमा का गावे कोउ तिनकी।
सदा श्मशान बिहारी शंकर,
आभूषण हैं भुजंग भयंकर।।
कण्ठ हलाहल को छबि छायी,
नीलकण्ठ की पदवी पायी।
देव मगन के हित अस किन्हो,
विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो।।
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी,
दुरित विदारिणी मंगल कारिणी।
देखि परम सौंदर्य तिहारो,
त्रिभुवन चकित बनावन हारो।।
भय भीता सो माता गंगा,
लज्जा मय है सलिल तरंगा।
सौत समान शम्भू पहआयी,
विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी।।
तेहि कों कमल बदन मुरझायो,
लखी सत्वर शिव शीश चढ़ायो।
नित्यानंद करी बरदायिनी,
अभय भक्त कर नित अनपायिनी।।
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनी,
माहेश्वरी, हिमालय नन्दिनी।
काशी पुरी सदा मन भायी,
सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी।।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री,
कृपा प्रमोद सनेह विधात्री।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे,
वाचा सिद्ध करि अवलम्बे।।
गौरी उमा शंकरी काली,
अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली।
सब जन की ईश्वरी भगवती,
पतिप्राणा परमेश्वरी सती।।
तुमने कठिन तपस्या कीनी,
नारद सों जब शिक्षा लीनी।
अन्न न नीर न वायु अहारा,
अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा।।
पत्र घास को खाद्य न भायउ,
उमा नाम तब तुमने पायउ।
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे,
लगे डिगावन डिगी न हारे।।
तब तव जय जय जय उच्चारेउ,
सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ।
सुर विधि विष्णु पास तब आए,
वर देने के वचन सुनाए।।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों,
चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों।
एवमस्तु कही ते दोऊ गए,
सुफल मनोरथ तुमने लए।।
करि विवाह शिव सों भामा,
पुनः कहाई हर की बामा।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा,
धन जन सुख देइहै तेहि ईसा।।
॥ दोहा ॥
कूटि चंद्रिका सुभग शिर,
जयति जयति सुख खानि।
पार्वती निज भक्त हित,
रहहु सदा वरदानि।।
।।इति श्री पार्वती चालीसा।।
श्री पार्वती जी की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता,ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता ।
अरिकुलपद्म विनासनी जय सेवकत्राता,
जगजीवन जगदंबा हरिहर गुण गाता ।
सिंह का वाहन साजे कुंडल हैं साथा,
देवबंधु जस गावत नृत्य करत ता था ।
सतयुग रूप शील अति सुंदर नाम सती कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन संग राता ।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्थाता,
सहस्त्र भुज तनु धरिके चक्र लियो हाथा ।
सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता,
नंदी भृंगी बीन लही है हाथन मदमाता ।
देवन अरज करत तव चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता ।
श्री ओम आरती मैया की जो कोई गाता,
सदा सुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता ।।
पार्वती चालीसा पाठ करने के फायदे Parvati Chalisa Ke Fayde/Laabh पार्वती चालीसा के लाभ
- पार्वती चालीसा का पाठ करने से स्त्रियाँ हमेशा सौभाग्यवती रहती है।
- पार्वती चालीसा का पाठ करने से दांपत्य सुख मिलता है।
- पार्वती चालीसा का पाठ करने से घर में रिद्धि-सिद्धि का वास होता है।
- पार्वती चालीसा का पाठ करने से घर में धन-धान्य की प्रचुरता रहती है।
- पार्वती चालीसा का पाठ करने भगवान शिव और पार्वती माता का आशीर्वाद मिलता है।
- शिव पार्वती की पूजा करने से जीवन में प्रेम बना रहता है।
- पार्वती चालीसा का पाठ करने से घर में प्रेम पूर्ण वातावरण रहता है।
- पार्वती चालीसा का पाठ करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
- माता पार्वती बहुत ही सरल और दयालु स्वभाव की देवी हैं, इनकी कृपा से सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- माता पार्वती का चालीसा पाठ करने से कभी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
- माता पार्वती अपने सभी भक्तों के कष्ट दूर करती हैं। माता पार्वती अपने सभी भक्तों को सुख समृद्धि एवं प्रतिष्ठा प्रदान करती हैं।
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भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Mata Rani Bhajan)