राधारमण हमारौ प्यारो प्यारो भजन
राधारमण हमारौ प्यारो प्यारो भजन
ध्रुवपद
राधारमण हमारो प्यारो-प्यारो,
सखी री, मैं तो देखता रहूँ ॥
याकी सूरत पे जाऊँ बलिहारी,
सखी री, मैं तो देखता रहूँ ॥
अंतरा १
कान कुण्डल की छवि अति प्यारी,
कांधे साजे काजल कमरिया कारी ॥
शीश मुकुट पर मोरपंख सँवारे,
नाक नथुनी की झलक अति न्यारी ॥
हाथ लकुट, अधर बंसी बाजे –
उस छवि को मैं निहारता रहूँ ॥
अंतरा २
वैजयंती माला उर धारी,
हाथ बाजूबंद लरा मोतियारी ॥
जिनके चरणों में पद्म विराजे,
नूपुर की धुन लगत मनोहारी ॥
चाल चपल टेढ़ी-मेढ़ी प्यारी –
उस सूरत को निहारता रहूँ ॥
अंतरा ३
राधारमण सलोने मतवारे,
नैन मिलत ही जादू डारे ॥
वृंदाविपिन किशोरी संग साजे,
रसिक रसिक श्रीश्रीकुंज विहारे ॥
दास "प्रशांत" गुणगान तुम्हारे –
वृंदावन गलिन मन अटका रहूँ ॥
राधारमण हमारो प्यारो-प्यारो,
सखी री, मैं तो देखता रहूँ ॥
याकी सूरत पे जाऊँ बलिहारी,
सखी री, मैं तो देखता रहूँ ॥
अंतरा १
कान कुण्डल की छवि अति प्यारी,
कांधे साजे काजल कमरिया कारी ॥
शीश मुकुट पर मोरपंख सँवारे,
नाक नथुनी की झलक अति न्यारी ॥
हाथ लकुट, अधर बंसी बाजे –
उस छवि को मैं निहारता रहूँ ॥
अंतरा २
वैजयंती माला उर धारी,
हाथ बाजूबंद लरा मोतियारी ॥
जिनके चरणों में पद्म विराजे,
नूपुर की धुन लगत मनोहारी ॥
चाल चपल टेढ़ी-मेढ़ी प्यारी –
उस सूरत को निहारता रहूँ ॥
अंतरा ३
राधारमण सलोने मतवारे,
नैन मिलत ही जादू डारे ॥
वृंदाविपिन किशोरी संग साजे,
रसिक रसिक श्रीश्रीकुंज विहारे ॥
दास "प्रशांत" गुणगान तुम्हारे –
वृंदावन गलिन मन अटका रहूँ ॥
राधारमण हमारो प्यारो प्यारो | Radharaman Humaro Pyaro Pyaro | @PrashantkrishnaChaturvedi #radharaman
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Admin - Saroj Jangir
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