भारत गौरव गान भाग सात विश्वगुरु भारत

भारत गौरव गान भाग सात विश्वगुरु भारत

है भूमण्डल में भारत देश महान
22  आविष्कार
प्रथम जहां पर हुआ कला कौशल,
विज्ञान का आविष्कार,
शकुन्तला का चित्र बनाया था,
दुष्यन्त करो स्वीकार।
युग युग से जो,
आयुर्वेदिक औषध से करता उपचार,
सुशेन वैद्य ने लक्ष्मण में,
कर दिया पुनः प्राण संचार।
रखे हुये थे वैद्य सुभारत के,
कभी यूनानी सरकार,
और अरब भी संस्कृत से ही,
किया हिन्दसा ग्रन्थ प्रसार।
राम, लखन, लव, कुश,
अर्जुन वर्षाए शर से जल, अंगार,
लंका से जब चले राम तो,
विमान पर थे हुए सवार।
यह मिथ्या अपवाद नहीं,
देखो कुबेर के यान,
है भूमण्डल में भारत देश महान।

23  प्राचीन विज्ञान
जहां द्रोण के ब्रह्मशस्त्र थे,
दिव्य दृष्टि संजय के कर,
था मोहन का चक्र सुदर्शन,
गरुड़यान का नभ चक्कर।
लेकर अणुमय अस्त्र कृष्ण ने,
छुपा दिया था सूर्य प्रखर,
जयद्रथ वध के बाद सूर्य को,
पुनः दिखाया था गिरिधर।
मय कृत भव्य भवन अद्भुत,
जैसा है आज कहां भू पर,
दुर्योधन ने जिसमें जाकर,
खाया था चक्कर टक्कर।
होती थी नभ वाणी ज्यों,
रेडियो से सुनते आज खबर,
सागर पर भी नल औ नील ने,
बांध दिया पुल रामेश्वर।
जहां विश्वकर्मा सम,
कारीगर से उठा विज्ञान,
है भूमण्डल में भारत देश महान।

24  कलीकाल विज्ञान
सतयुग, त्रेता, द्वापर में जब,
वायुयान उड़ता था मान,
तो कलयुग में भोज राज में,
उडन खटोला नामक यान।
एक प्रहर में कर आता था,
नभ में अस्सी कोस उड़ान,
विक्रम तख्त निकट गाता था,
एक यन्त्र रामायण गान।
कुंवरसिंह ने लोह सिपाही,
इस विधि करवाया निर्माण,
जो बिजली के बल से गोरों से,
था युद्ध किया घमसान।
जहां तलपदे ने गत् सदी रचा था,
सबसे प्रथम विमान,
रेडियो ध्वनी का यन्त्र प्रसार,
रचा जगदीशचन्द्र ने आन।
जमुना स्तम्भ, मीनार ताज,
और बौद्ध गुफा हैं शान,
है भूमण्डल में भारत देश महान।

25  कला कौशल्य
ललित कला भारत से प्रथम,
कहां उपजी कोई बतला,
सतयुग में नृप हरिश्चन्द्र ने,
लखी नर्तकी नृत्य कला।
त्रेता में रामायण लिख बन गये,
वालमिक कवि पहला,
द्वापर में सु महाभारत लिख,
काव्य कला दे व्यास चला।
कलयुग में दी कालिदास ने,
नाट्य कला लिख शकुन्तला,
और भर्थरी के कवित्त,
कुँजन से पिंगल छन्द फला।
साम-वेदीय गानों से,
संगीत शास्त्र का प्राण पला,
सरस्वती की वीणा से,
वादन का मिला विज्ञान भला।
भरत मुनी नारद थे जग के,
प्रथम नायक विद्वान,
है भूमण्डल में भारत देश महान।

26  संगीतज्ञ
जहां हुए अर्जुन सम गायक,
नृत्यकार यह करो प्रतीत,
विराट-कन्या उत्तरा को जिसने,
सिखलाया नृत्य व गीत।
सरगम, ताल, तराना, तान,
सुस्वर सब रागों में संगीत,
मृदु बेला वीणा, सितार तबला,
मृदंग थे साज सुरीत।
औ मुरलीधर कृष्ण कन्हैया,
माधव थे बंशी से प्रीत,
कली में बैजू, तानसेन ने,
पाई गान कला में जीत।
जहां हुए हैं सहगल और लता,
व रफी संगीत सुमीत,
और गया ओंकारनाथ का,
गान कला में जीवन बीत।
विष्णु दिगम्बर भीमसेन ने,
फूकी सुरों में जान,
है भूमण्डल में भारत देश महान।

27  कलीकाल कविगण
कलयुग में भी कालिदास,
तुलसी सम हुए महा कविवर,
सूरदास, भूषण, रसखान बिहारी,
गंग, कविर सुर नर।
अमीचन्द, केशव सम कविवर,
भारतेन्दु कवि हृदय सुघर,
और विश्व कवि रविन्द्रनाथ गये,
करके निज नाम अमर।
जहां हुई मीरा व सुभद्रा,
कवयित्री जिस धरती पर,
हुए भारती, बंकिम,
मैथिलिशरण राष्ट्र कविवर प्रियवर।
नरसिं वचन कवि पंत, निराला,
नाथूराम, उदयशंकर,
जहां हुए ऊर्दू के कवी गालिब,
और इकबाल बसर।
है प्रकाश कविरत्न, पथिक,
सुखलाल, प्रदीप सुजान,
है भूमण्डल में भारत देश महान।




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