एकात्मता स्तोत्र मंत्र लिरिक्स Ekatmakta Strot Mantra Lyrics

एकात्मता स्तोत्र मंत्र लिरिक्स Ekatmakta Strot Mantra Lyrics, Devotional Mantra Sanskrit

 
एकात्मता स्तोत्र मंत्र लिरिक्स Ekatmakta Strot Mantra Lyrics

एकात्मता स्त्रोत्र का,
आरम्भिक पाठ इस प्रकार है :

ॐ नमः सच्चिदानंद रूपाय परमात्मने,
ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमंगल्यमूर्तये।

प्रकृतिः पंचाभूतानि ग्रहा लोकाः स्वरास्तथा,
दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुर्वन्तु मंगलम्।

रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम्,
ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्यां वन्दे भारत मातरम्।

महेन्द्रो मलयःसह्यो देवतात्मा हिमालयः,
ध्येयो रैवतको विन्ध्यो गिरिश्चारावलिस्तथा।

गंगा सरस्वती सिन्धुर्ब्रह्मपुत्रश्च गण्डकी,
कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी।

अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवन्तिका,
वैशाली द्वारिका ध्येया पुरी तक्षशिला गया।

प्रयागः पाटलिपुत्रं विजयानगरं महत्,
इन्द्रप्रस्थं सोमनाथस्तथामृतसरः प्रियम्।

चतुर्वेदाः पुराणानि सर्वोपनिषदस्तथा,
रामायणं भारतं च गीता षड्दर्शनानि च।

जैनागमास्त्रिपिटकः गुरुग्रन्थः सतां गिरः,
एष ज्ञाननिधिः श्रेष्ठः श्रद्धेयो हृदि सर्वदा।

अरुन्धत्यनसूय च सावित्री जानकी सती,
द्रौपदी कन्नगे गार्गी मीरा दुर्गावती तथा।

लक्ष्मी अहल्या चन्नम्मा रुद्रमाम्बा सुविक्रमा,
निवेदिता सारदा च प्रणम्य मातृ देवताः।

श्री रामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः,
मार्कंडेयो हरिश्चन्द्र प्रह्लादो नारदो ध्रुवः।

हनुमान्‌ जनको व्यासो वसिष्ठश्च शुको बलिः,
दधीचि विश्वकर्माणौ पृथु वाल्मीकि भार्गवः।

भगीरथश्चैकलव्यो मनुर्धन्वन्तरिस्तथा,
शिबिश्च रन्तिदेवश्च पुराणोद्गीतकीर्तयः।

बुद्ध जिनेन्द्र गोरक्शः पाणिनिश्च पतंजलिः,
शंकरो मध्व निंबार्कौ श्री रामानुज वल्लभौ।

झूलेलालोथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा,
नायन्मारालवाराश्च कंबश्च बसवेश्वरः।

देवलो रविदासश्च कबीरो गुरु नानकः,
नरसी तुलसीदासो दशमेषो दृढव्रतः।

श्रीमच्छङ्करदेवश्च बंधू सायन माधवौ,
ज्ञानेश्वरस्तुकाराम रामदासः पुरन्दरः।

बिरसा सहजानन्दो रमानन्दस्तथा महान्‌,
वितरन्तु सदैवैते दैवीं षड्गुणसंपदम्‌।

रविवर्मा भातखंडे भाग्यचन्द्रः स भोपतिः,
कलावंतश्च विख्याताः स्मरणीया निरंतरम्‌।

भरतर्षिः कालिदासः श्रीभोजो जनकस्तथा,
सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः।

अगस्त्यः कंबु कौन्डिण्यौ राजेन्द्रश्चोल वंशजः,
अशोकः पुश्य मित्रश्च खारवेलः सुनीतिमान्‌।

चाणक्य चन्द्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहनः,
समुद्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेंद्रो बप्परावलः।

लाचिद्भास्कर वर्मा च यशोधर्मा च हूणजित्‌,
श्रीकृष्णदेवरायश्च ललितादित्य उद्बलः।

मुसुनूरिनायकौ तौ प्रतापः शिव भूपतिः,
रणजितसिंह इत्येते वीरा विख्यात विक्रमाः।

वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणादः शुश्रुतस्तथा,
चरको भास्कराचार्यो वराहमिहिर सुधीः।

नागार्जुन भरद्वाज आर्यभट्टो वसुर्बुधः,
ध्येयो वेंकट रामश्च विज्ञा रामानुजायः।

रामकृष्णो दयानंदो रवींद्रो राममोहनः,
रामतीर्थोऽरविंदश्च विवेकानंद उद्यशः।

दादाभाई गोपबंधुः टिळको गांधी रादृताः,
रमणो मालवीयश्च श्री सुब्रमण्य भारती।

सुभाषः प्रणवानंदः क्रांतिवीरो विनायकः,
ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरुः।

संघशक्ति प्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा,
स्मरणीय सदैवैते नवचैतन्यदायकाः।

अनुक्ता ये भक्ताः प्रभुचरण संसक्तहृदयाः,
अनिर्दिष्टाः वीराः अधिसमरमुद्ध्वस्तरि पवः।

समाजोद्धर्तारः सुहितकर विज्ञान निपुणाः,
नमस्तेभ्यो भूयात्सकल सुजनेभ्यः प्रतिदिनम्‌।

इदमेकात्मता स्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत्‌,
स राष्ट्रधर्म निष्ठावानखंडं भारतं स्मरेत्‌।
भारत माता की जय।

 
एकात्मता स्त्रोत्र/ मंत्र महान भारतीय संस्कृति के विविध आयामों को सुन्दर तरीके से चित्रण करता है। इसका प्रारंभ ‘ॐ नमः सच्चिदानंद रूपाय परमात्मने’ से होता है, जो सर्वोच्च सत्य, चेतना और आनंद के रूप में परमात्मा की उपासना का प्रतीक है। यह स्त्रोत्र प्रकृति, पंचभूत, ग्रह-नक्षत्र, दिशा और काल के मंगलमय होने की मंगल कामना है। इस मंत्र में भारत माता की वंदना की गई है, जिसे हिमालय की किरीटिनी और ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्यां कहा गया है।

इस स्त्रोत्र में भारत की पवित्र नदियों, प्राचीन नगरों, वेदों, पुराणों, उपनिषदों, महाकाव्यों और दर्शन शास्त्रों का स्मरण किया गया है। यह भारतीय ज्ञान के विशाल भंडार को प्रकट करता है। इसके अलावा, इसमें अनेक महान व्यक्तित्वों का उल्लेख है जिन्होंने धर्म, दर्शन, विज्ञान, कला, साहित्य और इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इस स्त्रोत्र का पाठ करने वाला व्यक्ति राष्ट्रधर्म के प्रति निष्ठावान होता है और अखंड भारत की स्मृति को जीवंत रखता है।

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एकात्मता मंत्र एक संस्कृत मंत्र है जिसका वाचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में किया जाता है। इस मंत्र का मूल भाव यह है कि प्रभु एक ही है, उसको लोग अलग-अलग नामों से जानते हैं।

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