गुरु दर के पाँच नियम गुरुमुख लिरिक्स Gurudar Ke Panch Niyam Lyrics
गुरु दर के पाँच नियम गुरुमुख लिरिक्स Gurudar Ke Panch Niyam Lyrics, Guru Dar Ke Paanch Niyam Gurumukh Apna Le
गुरु दर के पाँच नियम,
गुरुमुख अपना ले तू,
जन्मों से बिछड़ी रूह,
मालिक से मिला ले तू,
गुरुदर के पाँच नियम,
गुरुमुख अपना ले तू,
जन्मों से बिछड़ी रूह,
मालिक से मिला ले तू।
श्री आरती और पूजा,
सुबह शाम जरूरी है,
मालिक को रिझाये बिना,
तेरी भक्ति अधूरी है,
दुनिया के धंधों से,
सुरती हटा ले तू।
तन मन और नम्रता से,
निष्काम तू कर सेवा,
गुरु कृपा से तुझको,
मिले भक्ति का मेवा,
भक्ति मुक्ति के दाता,
सतगुरु को रिझाले तू।
खुल ज्ञान और चक्षु,
जाकर के सत्संग में,
तन मन है रंग जाता,
गुरु भक्ति के रंग में,
संतो के संगत का,
सदा लाभ उठाले तू।
निष्फल मन से करना,
तू मालिक का सुमिरन,
जब साफ है दिल दर्पण,
कट जाये जन्म मरण,
इस दुर्लभ नर तन को,
अब लेके लगा ले तू।
सतगुरु के ध्यान में ही,
हरदम तेरा ध्यान रहे,
हर पल तेरी जीवा पर,
दास उनका नाम रहे,
धुरधाम के संगी को,
दिल में बसा ले तू।
गुरुदर के पाँच नियम,
गुरुमुख अपना ले तू,
जन्मों से बिछड़ी रूह,
मालिक से मिला ले तू,
गुरुदर के पाँच नियम,
गुरुमुख अपना ले तू,
जन्मों से बिछड़ी रूह,
मालिक से मिला ले तू।
गुरुमुख अपना ले तू,
जन्मों से बिछड़ी रूह,
मालिक से मिला ले तू,
गुरुदर के पाँच नियम,
गुरुमुख अपना ले तू,
जन्मों से बिछड़ी रूह,
मालिक से मिला ले तू।
श्री आरती और पूजा,
सुबह शाम जरूरी है,
मालिक को रिझाये बिना,
तेरी भक्ति अधूरी है,
दुनिया के धंधों से,
सुरती हटा ले तू।
तन मन और नम्रता से,
निष्काम तू कर सेवा,
गुरु कृपा से तुझको,
मिले भक्ति का मेवा,
भक्ति मुक्ति के दाता,
सतगुरु को रिझाले तू।
खुल ज्ञान और चक्षु,
जाकर के सत्संग में,
तन मन है रंग जाता,
गुरु भक्ति के रंग में,
संतो के संगत का,
सदा लाभ उठाले तू।
निष्फल मन से करना,
तू मालिक का सुमिरन,
जब साफ है दिल दर्पण,
कट जाये जन्म मरण,
इस दुर्लभ नर तन को,
अब लेके लगा ले तू।
सतगुरु के ध्यान में ही,
हरदम तेरा ध्यान रहे,
हर पल तेरी जीवा पर,
दास उनका नाम रहे,
धुरधाम के संगी को,
दिल में बसा ले तू।
गुरुदर के पाँच नियम,
गुरुमुख अपना ले तू,
जन्मों से बिछड़ी रूह,
मालिक से मिला ले तू,
गुरुदर के पाँच नियम,
गुरुमुख अपना ले तू,
जन्मों से बिछड़ी रूह,
मालिक से मिला ले तू।
गुरु दर के पाँच नियम,
गुरुमुख अपना ले तू,
जन्मों से बिछड़ी रूह,
मालिक से मिला ले तू,
गुरुदर के पाँच नियम,
गुरुमुख अपना ले तू,
जन्मों से बिछड़ी रूह,
मालिक से मिला ले तू।
गुरुदर के पाँच नियम गुरुमुख अपना ले तू | जन्मों से बिछड़ी रूह मालिक से मिला ले तू
जिससे श्री गुरू महाराज जी का हर एक प्रेमी उनके भजन सुनके तथा उनके प्रेम की लहरों में झूमकर ज्यादा से ज्यादा भजन भक्ति की ओर अपनी सुरती लगाए।
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