सोच रही मन में समझ रही मन में
सोच रही मन में समझ रही मन में
सोच रही मन में, समझ रही मन में,
थारो म्हारो न्याय होवे लो सत्संग में।
ओढ़ चुनरिया मैं तो गई सत्संग में,
ओढ़ चुनरिया मैं तो गई सत्संग में,
साँवरियो भिगोई म्हाने हरे-हरे रंग में।
साधारी संगत गुरासा बिराजे,
साधारी संगत गुरासा बिराजे,
कर-कर दर्शन होई रे मगन मैं।
साधारी संगत साँवरियो बिराजे,
साधारी संगत साँवरियो बिराजे,
गाय-गाय हरि गुण, होई रे मगन मैं।
साधारी संगत सखियाँ बिराजे,
साधारी संगत सखियाँ बिराजे,
गाय-गाय हरि गुण, होई रे मगन मैं।
बाई तो मीरा के गिरधर नागर,
बाई तो मीरा के गिरधर नागर,
भवजल पार करे पल छिन में।
थारो म्हारो न्याय होवे लो सत्संग में।
ओढ़ चुनरिया मैं तो गई सत्संग में,
ओढ़ चुनरिया मैं तो गई सत्संग में,
साँवरियो भिगोई म्हाने हरे-हरे रंग में।
साधारी संगत गुरासा बिराजे,
साधारी संगत गुरासा बिराजे,
कर-कर दर्शन होई रे मगन मैं।
साधारी संगत साँवरियो बिराजे,
साधारी संगत साँवरियो बिराजे,
गाय-गाय हरि गुण, होई रे मगन मैं।
साधारी संगत सखियाँ बिराजे,
साधारी संगत सखियाँ बिराजे,
गाय-गाय हरि गुण, होई रे मगन मैं।
बाई तो मीरा के गिरधर नागर,
बाई तो मीरा के गिरधर नागर,
भवजल पार करे पल छिन में।
Soch rahi man main samaj rahi man main
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Author - Saroj Jangir
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