जो मैं होता नीम का पेड़ तुझको छाया करता मैं
जो मैं होता नीम का पेड़ तुझको छाया करता मैं
जो मैं होता नीम का पेड़,
तुझको छाया करता मैं,
तू जो सो जाता, तो साईं, तुझको तकता रहता मैं,
जो मैं होता नीम का पेड़।।
तुझको तकते-तकते साईं, तुझमें ही खो जाता मैं,
तेरी कृपा की ठंडी छाया में, खुद सो जाता मैं,
तेरे चरणों में शीतल जल बनके बहता रहता मैं,
तू जो सो जाता साईं, तुझको तकता रहता मैं,
जो मैं होता नीम का पेड़।।
तेरा ध्यान लगाऊं साईं, तेरी इबादत करूं सदा,
तू न बिछड़ जाए कहीं, इसी बात से डरूं सदा,
तुझको देख-देख हर ग़म को हँसते-हँसते सहता मैं,
तू जो सो जाता साईं, तुझको तकता रहता मैं,
जो मैं होता नीम का पेड़।।
आंख में साईं तेरा चेहरा, होठों पे साईं नाम,
तेरे नाम की माला फेरूं, और नहीं कोई काम,
साईं रब है, साईं खुदा है, सबसे कहता रहता मैं,
तू जो सो जाता साईं, तुझको तकता रहता मैं,
जो मैं होता नीम का पेड़।।
तुझको छाया करता मैं,
तू जो सो जाता, तो साईं, तुझको तकता रहता मैं,
जो मैं होता नीम का पेड़।।
तुझको तकते-तकते साईं, तुझमें ही खो जाता मैं,
तेरी कृपा की ठंडी छाया में, खुद सो जाता मैं,
तेरे चरणों में शीतल जल बनके बहता रहता मैं,
तू जो सो जाता साईं, तुझको तकता रहता मैं,
जो मैं होता नीम का पेड़।।
तेरा ध्यान लगाऊं साईं, तेरी इबादत करूं सदा,
तू न बिछड़ जाए कहीं, इसी बात से डरूं सदा,
तुझको देख-देख हर ग़म को हँसते-हँसते सहता मैं,
तू जो सो जाता साईं, तुझको तकता रहता मैं,
जो मैं होता नीम का पेड़।।
आंख में साईं तेरा चेहरा, होठों पे साईं नाम,
तेरे नाम की माला फेरूं, और नहीं कोई काम,
साईं रब है, साईं खुदा है, सबसे कहता रहता मैं,
तू जो सो जाता साईं, तुझको तकता रहता मैं,
जो मैं होता नीम का पेड़।।
साईं बाबा का बहुत खूबसूरत भजन - Jo Main Hota Neem Ka Ped - Ranjeet Raja #JmdBhakti
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#Song Name: Jo Main Hota Neem Ka Ped
#Singer : Ranjeet Raja
#Singer : Ranjeet Raja
साईं के प्रति भक्त की गहरी भक्ति और उनके प्रेम में डूबने का यह भाव हृदय को एक ऐसी तड़प और समर्पण से भर देता है, जो उसे सदा प्रभु की सेवा और स्मृति में लीन रखता है। नीम के पेड़ की यह कल्पना उस अटल विश्वास को दर्शाती है कि भक्त साईं को अपनी छाया, शीतलता और सेवा अर्पित कर हर पल उनके निकट रहना चाहता है। साईं को तकते-तकते खो जाना, उनकी कृपा की ठंडी छाया में सो जाना, और उनके चरणों में जल बनकर बहना—यह भक्त की पूर्ण समर्पण और प्रेम की भावना को व्यक्त करता है। साईं का ध्यान और इबादत भक्त के जीवन का एकमात्र उद्देश्य बन जाता है, और वह हर गम को हँसते-हँसते सह लेता है, बस उनकी उपस्थिति में।
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Author - Saroj Jangir
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