मेरे राघव के दरबार में सब लोगों का खाता

मेरे राघव के दरबार में सब लोगों का खाता

मेरे राघव के दरबार में, सब लोगों का खाता।
जिसने जैसा कर्म किया है, वैसा ही फल पाता।।

क्या साधु, क्या संत गृहस्थी, क्या राजा, क्या रानी,
प्रभु की बही में लिखी हुई है सबकी कर्म कहानी।
वही सभी के जमा खर्च का, सही हिसाब लगाता।।
मेरे राघव के दरबार में, सब लोगों का खाता।।

बड़े बड़े कानून प्रभु के, बड़ी बड़ी मर्यादा,
किसी को कोड़ी कम नहीं देता, किसी को दमड़ी ज्यादा।
इसी लिए तो दुनिया में ये, जगत सेठ कहलाता।।
मेरे राघव के दरबार में, सब लोगों का खाता।।

नहीं चले उनके घर रिश्वत, नहीं चले चालाकी,
उनके अपने लेन-देन की रीत बड़ी है पाकी।
पुण्य की नैया पार लगाता, पाप की नाव डुबाता।।
मेरे राघव के दरबार में, सब लोगों का खाता।।

करता वही हिसाब सभी का, नित आसन पर डट के,
उनका फैसला कभी न बदले, लाख कोई सर पटके।
समझदार तो चुप ही रहता, मूर्ख शोर मचाता।।
मेरे राघव के दरबार में, सब लोगों का खाता।।

उजली करनी कर ले बंदे, कर्म न करियो काला,
लाख आँख से देख रहा है तुझे देखने वाला।
उनकी तेज़ नज़र से बंदे, कोई नहीं बच पाता।।
मेरे राघव के दरबार में, सब लोगों का खाता।।


मेरे राघव के दरबार में सब लोगों का खाता | Mere Raghav Ke Darbar Me | Ram Bhajan | Rasraj Ji Maharaj

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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