भारत के राष्ट्रीय पक्षी के बारे में जानिये Bharat Ka Rashtriy Pakshi Mor

भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है। मोर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक और पहचान है। भारत के अतिरिक्त नीला मोर श्रीलंका और म्यांमार का भी राष्ट्रीय पक्षी है। मोर भारत की धार्मिक और सामजिक विरासत की भी पहचान हैं। भारतीय मोर (पावो क्रिस्टेटस) भारत का राष्ट्रीय पक्षी है जो रंगों की छँटा को बिखेरता है। इसे प्रायः नाचते हुए, पंख फैलाये हुए प्रदर्शित किया जाता है। आइये इस पोस्ट में हम मोर के विषय में अधिक जानकारी (Information About Peacock In Hindi) प्राप्त करते हैं।

भारत के राष्ट्रीय पक्षी के बारे में जानिये Indian National Bird

भारतीय मोर हंस के आकार का का होता है। मोर एक बड़ा पक्षी होता है, जिसकी ऊंचाई लगभग 1 मीटर तक हो सकती है और वजन लगभग 10 किलोग्राम तक हो सकता है। इसकी आँख के नीचे सफेद धब्‍बा और लंबी पतली गर्दन होती है। भारतीय मोर की प्रजाति का नर मादा से अधिक रंगीन होता है जिसका चमकीला नीला सीना और गर्दन भी होती है। मादा भूरे रंग की होती है, नर से थोड़ा छोटा और इसमें पंखों का गुच्‍छा नहीं होता है। भारतीय प्रजाति के मोर का वैज्ञानिक नाम ‘पावो क्रिस्टेटस’ है जो की फैसियानिडाई परिवार का सदस्य है। । आपको बता दें की मोर या मयूर (Peacock) पक्षियों के पैवोनिनाए उपकुल के अंतर्गत तीन जातियों का सामूहिक नाम है। मोर पक्षी अत्यंत ही सुन्दर, चौकन्ना, शर्मीला और चतुर पक्षी है। 
 
Bharat Ka Rashtriy Pakshi Mor
 
मोर खुले वन क्षेत्रों, ग्रामीण अंचल और खेतों में पाए जाते हैं, ये शहरों में रहने के आदि नहीं होते हैं। मोर शर्मीले और एकांत में ही रहना पसंद करते हैं।  बसन्त और बारिश के मौसम में मोर प्रणय निवेदन के लिए अपने पंखों को खोल कर नाचता है। इसके पंख और गर्दन की खूबसूरती के कारण इसे पक्षियों का राजा कहते हैं। भारत सरकार के द्वारा 26 जनवरी,1963 को मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था। 

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मोर का महत्त्व धार्मिक द्रष्टि से

मोर ना केवल अपनी सुन्दरता की वजह से लोकप्रिय है अपितु इसका धार्मिक महत्त्व भी है। मोर पंख को अत्यंत ही शुभ माना जाता है और मंदिरों में मोर पंख का झाड़ा लगाया जाता है। मोर के पंख एक छत्र की तरह खुलते हैं, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाता है। इसे शुभ माना जाता है. महाकवि कालिदास ने महाकाव्य ‘मेघदूत’ में मोर की महिमा का चित्रण किया गया है। श्री कृष्ण जी की लीलाओं के साथ हम मोर देखते हैं और उनके साथ मोरपंख का भी चित्रण किया जाता है। प्रसिद्ध सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के सिक्कों पर भी मोर की आकृति चित्रित थी। हिन्दू धर्म में मोर को आकर्षक, सौन्दर्य और संयम का प्रतीक माना गया है। मोर को धर्मिक रूप से महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व जैसे होली और जन्माष्टमी पर भी विशेष दर्जा दिया गया है। बौद्ध धर्म में मोर को सुंदरता, विविधता और शांति के प्रतीक के रूप में बताया गया है. घर में मोरपंख रखना शुभ और अच्छे भविष्य को लाने वाला माना जाता है। घर में नेगेटिव एनर्जी को भी मोरपंख दूर करते हैं। इसकी सहायता से कीट पतंगे भी दूर रहते हैं और सांप आदि भी घर से दूर ही रहते हैं।

मोर के विषय में कुछ रोचक जानकारियाँ

  • जगत: जंतु
  • संघ: रज्जुकी (Chordata)
  • वर्ग: पक्षी (Aves)
  • गण: गैलीफोर्मीस (Galliformes)
  • कुल: फेसियेनिडाए (Phasianidae)
  • उपकुल: पैवोनिनाए (Pavoninae)
  • वंश समूह: पैवोनिनी (Pavonini)
  • वंश व जातियाँ: पैवो (Pavo)
  • भारतीय मोर (Indian peafowl)
  • हरा मोर (Green peafowl)
  • ऐफ्रोपैवो (Afropavo)
  • कांगो मोर (Congo peafowl)
  • भारतीय मोर (Indian peafowl): भारतीय मोर या नीला मोर (Pavo cristatus) एक भारतीय पक्षी है जिसकी चोंच और पंख बहुत ही आकर्षक होते हैं। यह जंगली और पालतू दोनों रूप में पाया जाता है और भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है।
  • हरा मोर (Green peafowl): हरा मोर या सुन्दर मोर (Pavo muticus) एक विशालकाय और आकर्षक पक्षी है जो दक्षिण एशिया के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है। इसकी चारों ओर के पंख भारी और आकर्षक होते हैं जो इसे विशेष बनाते हैं।
  • कांगो मोर (Congo peafowl): कांगो मोर (Afropavo congensis) एक विचित्र पक्षी है जो अफ्रीका के कांगो वन्यजीव में पाया जाता है। इसकी पंखडियों की रंगीनी और अनोखी दिखावट इसे विशेष बनाती है।
  • पैवोनिनाए (Pavoninae): पैवोनिनाए एक पक्षी उपकुल है जिसमें पैवो (Pavo) और ऐफ्रोपैवो (Afropavo) जातियाँ होती हैं। ये विश्वासी पक्षी हैं जो विभिन्न भूभागों में पाये जाते हैं और अपनी रंगीन पंखडियों के लिए प्रसिद्ध हैं। 
  • वैज्ञानिक रूप से मोर का वैज्ञानिक नाम "Pavo" है और इसका वैज्ञानिक वर्गीकरण श्रेणी "रज्जुकी (Chordata)" से शुरू होकर "पक्षी (Aves)" तक है। मोर की जन्मगत स्थान दक्षिण एशिया है, जैसे कि भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में पाया जाता है।
Bharat Ka Rashtriy Pakshi Mor

मोर की सुन्दरता

मोर दिखने में तो सुन्दर होता ही इसके साथ ही मोर की ध्वनि को सुन्दरता का प्रतीक मानकर भारतीय गानों में इसका उपयोग किया गया है. मोरनी की चाल को अत्यंत ही सुन्दर कहा गया है. मोर के पंख भी अत्यधिक चमकीले और सुन्दर होते हैं. मोर के पंख में विभिन्न रंगों की रेखाएं होती हैं, जैसे कि हरे, नीले, पीले, लाल, और चमकदार सफेद। मोर के पंख लम्बे और रंगीन होते हैं, जिसमें भी विभिन्न रंगों की पर्णीयाँ होती हैं, जो उसे और अधिक सुन्दर बनाती हैं। मोर की आँखें मोटी और सफेद रंग की होती हैं, जो उसकी सुंदरता को और बढ़ाती हैं।

मोर के विषय में कुछ महत्पूर्ण तथ्य

  1. मोर भारत, श्रीलंका और म्यांमार का भी राष्ट्रिय पक्षी है। 
  2. मोर भारत में प्रधान रूप से उत्तर प्रदेश , हरियाणा , राजस्थान, पंजाब, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि में पाया जाता है.
  3. मोर को 1963 में राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था.
  4. उड़ने वाले पक्षियों में मोर सबसे बड़े पक्षियों में से एक है. इसका वजन और आकार बड़ा होता है, इसलिए यह लगातार उड़ नहीं सकता है. मोर जमीन पर रहते हैं और वृक्ष के ऊपर भी लेकिन यह अंडे जमीन पर ही देते हैं.
  5. मोर को कलापी, शिखी, नीलकंठ, ध्वजी, शिखावल, सारंग आदि भी कहा जाता है। 
  6. मोर लगभग 20 साल से अधिक की आयु तक जीवित रह सकते हैं.
  7. मोर को दुनिया भर में सबसे सुंदर पक्षियों में से माना गया है और इसे पक्षियों का राजा भी कहा जाता है। 
  8. प्रधान रूप से मोर भारत में हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, वृंदावन और तमिलनाडु में ज्यादा पाए जाते हैं।
  9. मादा मोर को मोरनी कहा जाता है।
  10. नर मोर की लंबाई उसकी पीछे के पंखों सहित लगभग साढ़े 5 फीट तक हो सकती हैं। 
  11. मोर का वजन 4 से 6 किलोग्राम होता है, जबकि मोरनी नर मोर से काफी छोटी, तकरीबन 1 मीटर तक लंबी होती है। सांप मोर के पास नहीं जाते हैं और ऐसा माना जाता है की इनकी दुश्मनी होती हैं.
  12. मोर का वर्णन पंचतंत्र से लेकर पौराणिक कथाओं तक, प्राप्त होता है। मोर के पंखों का गाढ़ा नीला और हरा रंग इस पक्षी की को अधिक सुन्दर बनाता है।
  13. मोर के पंख 5-6 फीट तक लंबे हो सकते हैं। 
  14. भिन्न परिस्थितियों में मोर के उड़ने की रफ़्तार १० मील/घंटे तक हो सकती है. 
  15. भारतीय मोर आम तौर पर जंगल, खेत और बगीचों में रहते हैं। 
  16. भारतीय मोर के पंखों को एक विशेष प्रकार के नृत्य के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो उनके संगीत और नृत्यप्रेम की एक विशेषता है।
  17. मोर भारत और श्रीलंका मूल निवासी हैं लेकिन ब्रिटिश लोगों ने इसे पूरे यूरोप और अमेरिका में फैला दिया था। सफेद मोर भारतीय मोर (नीली प्रजाति) की प्रजाती है मोर विख्यात हैं। सफेद मोर जापान के टोक्यो शहर में अधिकता से पाए जाते हैं। 
  18. प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों द्वारा रामायण महाभारत आदि ग्रंथो को मोर के पंख से कलम बनाकर लिखा जाता था। 
  19. सफेद मोर ज्यादातर इंदौर, मैसूर और कई शहरों के चिड़ियाघर में देखे जा सकते हैं। 
  20. मोर दृष्टि, आत्म अभिव्यक्ति, आध्यात्मिकता, जागृति, अखंडता, स्वतंत्रता, मार्गदर्शन, सुरक्षा का प्रतीक कहा जाता है। 
  21. मोर को अंग्रेजी भाषा में इसे ‘ब्ल्यू पीफॉउल’ अथवा ‘पीकॉक’ कहते हैं। 
  22. मोर को संस्कृत भाषा में इसको मयूर और अरबी भाषा में ‘ताऊस’ कहते हैं।
  23. मोर पक्षी एशिया का मूल निवासी हैं और यह प्रधान रूप से भारत, श्रीलंका और बर्मा में अधिकता से पाया जाता है। 
  24. मोरों को इंग्लैंड और जापान में पाला जाता है। 
  25. मोरनी घोंसलों में 4-8 हलके पीले रंग के अंडे देती है जिसकी देखभाल केवल मादा करती हैं। 
  26. मोर भारत में विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीकों से जुड़े हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं में, मोर को युद्ध और विजय के देवता भगवान मुरुगन के वाहन के रूप में माना गया है। मोर को सौंदर्य, दया, और भय से सुरक्षा के प्रतीक के रूप में माना गया है।
  27. मोर के संरक्षण के बावजूद गैर कानूनी शिकार, रहने के लिए जगह की कमी और देखभाल के अभाव में मोरों की संख्या में कमी दर्ज की गई है।

मोर का प्रजनन

मोर का प्रजनन गर्मियों के मार्च और मई के महीनों में होता है। नर मोर अपने पंखों को फैला कर सुन्दर नृत्य करते हैं और मोरनी को रिझाते हैं। मोर ऊँचे स्वर में ध्वनी भी निकालते हैं। मोरनिया अंडे देती हैं जिससे मोर / मोरनी पैदा होते हैं। मोर और मोरनी के मिलन के उपरान्त मोरनी एक बार में ३ से ५ अंडे तक देती है। लगभग एक महीने के उपरान्त अण्डों से चूजे निकलते हैं। नर चूजा और मादा चूजा एक जैसे ही दिखाई देते हैं और एक साल के बाद नर मोर से पंख, पिच्छे के पंख निकलने शुरू होते हैं। आपको बता दें की मोर की ओसत उम्र २० वर्ष तक होती है.

मोर प्रमुखता से कहाँ पाए जाते हैं ?

भारतीय मोर (Indian peafowl): भारतीय मोर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, और श्रीलंका में पाया जाता है।
हिमालयी मोर (Himalayan monal): हिमालयी मोर हिमालयी पर्वतीय क्षेत्रों में, जैसे कि नेपाल, भारत, तिब्बत, भूटान, और पाकिस्तान में पाया जाता है।
अफ्रीकी मोर (African peafowl): अफ्रीकी मोर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में, जैसे कि नाईजीरिया, घाना, केन्या, और उगांडा में पाया जाता है।
ग्रीन मोर (Green peafowl): ग्रीन मोर दक्षिण एशिया में पाया जाता है, जैसे कि इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, और कम्बोडिया में।

मोरों की घटती संख्या

मोर अब भारत के गावों से भी विलुप्त होते जा रहे हैं, इसका कारण है आबादी का बढ़ना, पक्के मकानों का बनाना और खाली जमीन का अभाव. मोर एकांत में रहना पसंद करते हैं लेकिन खाली पड़ी जमीनों को खेती के लिए तैयार किया जा रहा है, इससे मोर को रहने के लिए जमीन ही नहीं बचती हैं। खेतों में भी पुरे वर्ष खेती की जाती है जिसके कारण से मोर को रहने के लिए कोई स्थान शेष नहीं रहता है। इसके अतिरिक्त मोर का अवैध शिकार भी मोर की घटती आबादी का एक कारण हैं। मोर के पंखों के लिए, इसके मांस के लिए इसका शिकार किया जाता है। भारत में इसके शिकार को रोकने के लिए भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत मोर को संरक्षित किया गया है.
 



मोर नृत्य Peacock Dance in All its Glory - मोर - الطاووس

भारत के राष्ट्रीय पक्षी के बारे में जानिये Bharat Ka Rashtriy Pakshi Mor
 

मोर पक्षी की क्या विशेषताएं हैं?

नर मोर के मस्तक पर पर एक विस्मयकारी और अद्भुत कलंगी होती है, जबकि मादा मोर के मस्तक पर छोटी और सुंदर कलंगी होती है। मोर के लम्बे पिछले पंख पर एक गहरी और चटकीली रेखाएं, आकृति होती है, जिनकी संख्या लगभग १५० तक हो सकती है। इसके विपरीत मादा मोर के पंखों में ऐसी सजावटी कलंगी नहीं पाई जाती है। यह एक चमत्कारिक और अद्भुत दृश्य है जो मोर की जीवनशैली और स्वभाव की सुंदरता को दर्शाता है। मोर (Peafowl) पक्षी एक बड़ा, बड़े पंखों वाला भारतीय पक्षी है जो अपनी सुंदरता और ध्वनि के अतिरिक्त सामाजिक और धार्मिक रूप से प्रसिद्द है। पंखों की सुन्दरता: मोर की सबसे विशेष उसके बड़े, रंगीन और चमकीले पंख होते हैं। नर मोर के पंख नीले, हरे, पीले और भूरे रंगों के होते हैं जो उसे अधिक सुन्दर बनाते हैं। मोर की गर्दन भी नीली/हरी चमकीली होती है।
 

मोर की उम्र कितनी होती है?

मोर की औसत उम्र 15 से 20 वर्ष के बीच होती है, लेकिन यह प्रकृति, पर्यावरण और जीवनशैली पर निर्भर करता है।  

मोर के मुख्य उपयोग क्या है?

मोर को सुंदरता का प्रतीक माना गया है और यह धार्मिक और सामजिक रूप से भी अहम् है। मोर को श्री कृष्ण जी के साथ जगह मिलना इसी बात का संकेत हैं की मोर अत्यंत ही पवित्र माना गया है। मोर को शुभ, सफलता लाने वाला, अच्छी बरसात का सूचक भी कहा गया है।  

मोर का महत्व क्या है?

मोर का भारतीय संस्कृति में अहम स्थान हैं। मोर को पवित्र और शुभ कहा गया है। मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी भी है। मोर को श्री कृष्ण जी के साथ चित्रित किया गया है जो इसकी धार्मिक महत्ता को प्रदर्शित करता है। मोर का महत्त्व शुभ होने, धार्मिक रूप से है। इसके पंखों को शुभ मानकर घर में रखा जाता है।

मोर क्यों प्रसिद्ध है?

मोर की प्रसिद्धि इसकी सुंदरता के कारण से है और इसे श्री कृष्ण का प्रिय होने के कारण है। मोर की सुंदरता और इसके महत्त्व के कारण से इसे 26 जनवरी 1963 को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया है और इसे संरक्षित करने के काम भी किये जा रहे हैं। अतः मोर अपनी सुंदरता, शांत और शर्मीले स्वभाव के अतिरिक्त धार्मिक रूप से पावन होने के लिए विख्यात है। 

मोर की कितनी प्रजातियां पाई जाती हैं?

मोर की 3 प्रजातियां होती हैं जिसमें पहले भारतीय मोर दूसरा ग्रीन पीफाउल तीसरी काग्रो पीफाउल तथा इनकी जीवन आयु 10 से 15 वर्ष तक होती है।  
भारतीय मोर (Indian Peafowl) - भारतीय मोर जो वैज्ञानिक रूप से Pavo cristatus के नाम से जाना जाता है, भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव के तापमान वाले इलाकों में पाया जाता है। यह अपनी बहुमुखी पंखडियों और नीले, हरे, और बैंगनी रंग के लम्बे पंख लिए हुए होता है।
कॉन्गो मोर (Congo Peafowl) - कॉन्गो मोर जिसका वैज्ञानिक रूप से Afropavo congensis है, आफ्रीका के न्यू गिनी, कांगो और यूगांडा के जंगली क्षेत्रों में पाया जाता है। 
ग्रीन मोर दक्षिण एशिया के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है, जैसे कि इंडोचाइना, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, और वियतनाम। यह एक बहुत आकर्षक पक्षी है जिसे पक्षियों में बड़े आकार, विशाल पंखों  के लिए जाना जाता है। ग्रीन मोर भी एक प्रमुख प्रजाति है जो मोर के रूप में पहचानी जाती है और अपनी अद्भुत सौंदर्य और पंखडियों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
  1. भारतीय मोर (Indian Peafowl) - वैज्ञानिक नाम: Pavo cristatus भारतीय मोर भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, और मालदीव में पाया जाता है।
  2. कॉन्गो मोर (Congo Peafowl) - वैज्ञानिक नाम: Afropavo congensis कॉन्गो मोर आफ्रीका के न्यू गिनी, कांगो, और युगांडा में पाया जाता है।
  3. ग्रीन मोर (Green Peafowl) - वैज्ञानिक नाम: Pavo muticus ग्रीन मोर दक्षिण एशिया के विभिन्न हिस्सों, जैसे कि इंडोचाइना, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, और वियतनाम में पाया जाता है।
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