रटले प्यारे शिव भोले ने पार उतरसी रे

रटले प्यारे शिव भोले ने पार उतरसी रे

रट ले प्यारे शिव भोले ने,
पार उतरसी रे,
ओ नीलकंठ महादेव तेरा,
भंडारा भरसी रे,
ओ कैलाशी को वासी,
काम तेरा सारा करसी रे।।

ध्यान लगा तू शिव भोले को,
ओ ही बेड़ा पार करे,
सांची प्रीत लगाके देख ले,
अन्न-धन का भंडार भरे,
झूठ, कपट और मोह-माया न,
छोड़या सरसी रे,
ओ नीलकंठ महादेव तेरा,
भंडारा भरसी रे,
ओ कैलाशी को वासी,
काम तेरा सारा करसी रे।।

तू मन ने समझाले प्यारे,
झूठी दुनियादारी रे,
भजन-भाव है सांचा जग में,
दुनिया ओगणगारी रे,
मन में ज्योत जगा ले शिव की,
कष्ट ओ हरसी रे,
ओ नीलकंठ महादेव तेरा,
भंडारा भरसी रे,
ओ कैलाशी को वासी,
काम तेरा सारा करसी रे।।

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे,
भक्ति में विश्वास करे,
नाथ गुलाब सतसंग में जावे,
बाबो सीर पर हाथ धरे,
"विनय" भाव से भजन सुनावे,
किरपा करसी रे,
ओ नीलकंठ महादेव तेरा,
भंडारा भरसी रे,
ओ कैलाशी को वासी,
काम तेरा सारा करसी रे।।

रट ले प्यारे शिव भोले ने,
पार उतरसी रे,
ओ नीलकंठ महादेव तेरा,
भंडारा भरसी रे,
ओ कैलाशी को वासी,
काम तेरा सारा करसी रे।।


रटले प्यारे शिव भोले न पार उतरसी रे!! संत श्रीगुलाबनाथजी महाराज!! LyricsvinayTamoli@vinay Tamoli8836

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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