सखी म्हारो कुण हुयो जो अपराध

सखी म्हारो कुण हुयो जो अपराध

सखी म्हारो कुण हुयो जो अपराध,
घर आया साजन रूठी गया हो।।

सखी, मन दिवला सी दीवळो,
कभी नहीं बाल्यो हो,
हो, आसा नहीं पोयच्या,
कवला सी हाथ,
घर आया साजन रूठी गया हो।।

सखी, मन कांडा सी कांड़ो,
कभी नहीं फोड़यो हो,
हो, आसी नहीं फेंकी घुड़ा पै राख,
घर आया साजन रूठी गया हो।।

सखी, मन पानी पीती गौवाख,
कभी नहीं वालई हो,
हो, असो नहीं मोड़यो,
कन्या को ख्याल,
घर आया साजन रूठी गया हो।।


सखी म्हारो कौन हुयोजो अपराध | जीतू भाई गवली | सिंगाजी भजन | निमाड़ी भजन संग्रह | patel7823

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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