भोले मेरी कुटिया में आना होगा लिरिक्स Bhole Meri Kutiya Me Lyrics
भोले मेरी कुटिया में आना होगा लिरिक्स Bhole Meri Kutiya Me Lyrics
भोले मेरी कुटिया में आना होगा,डम डम डमरू बजाना होगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा।
सावन के महीने में,
हम बेल पत्ते लायेंगे,
वही बेल हम भोले को चढ़ायेंगे,
थाली में फुल और चन्दन होगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा,
डम डम डमरू बजाना होगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा।
सावन के महीने में,
हम गंगा जल लायेंगे,
वही गंगाजल हम,
भोले को चढ़ायेंगे
फिर तो भजन और किर्तन होगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा,
डम डम डमरू बजाना होगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा।
सावन के महीने में,
हम गंगा रेत लायेंगे,
वही गंगा रेत,
हम शिवलिंग बनायेगे,
फिर तो भोले का,
अभिनन्दन होगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा,
डम डम डमरू बजाना होगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा।
सावन के महीने में,
हम भांग धतुरा लायेंगे,
वही भांग धतुरा,
हम भोले को चढ़ाएंगे,
फिर तो भोले को,
भोग लगाना होगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा,
डम डम डमरू बजाना होगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा।
सावन के महीने में,
हम कांवड़ लेके आयेंगे,
कांवड़ लेके आयेंगे,
हम भोले को मनाएंगे,
फिर तो चरणामृत,
हमको मिलेगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा,
डम डम डमरू बजाना होगा,
भोले मेरी कुटिया में आना होगा।
भोले मेरी कुटिया में आना होगा | Bhole Meri Kutiya Mein Aana Hoga | Sawan Bhajan | Sawan Shiv Bhajan
भोले शिव हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। वे देवों के देव या महेश्वर भी कहलाते हैं। शिव जी को सृष्टि के संहारक और पुनर्निर्माता के रूप में भी माना जाता है। शिव जी को भोले शंकर और भोले बाबा भी कहा जाता है। भोले शंकर इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सरल और दयालु हैं। भोले बाबा इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे श्मशान में रहते हैं।
शिवलिंग: शिवलिंग शिव जी का प्रतीक चिन्ह है। यह उनके लिंग रूप का प्रतिनिधित्व करता है।
त्रिशूल: त्रिशूल शिव जी का शक्तिशाली शस्त्र है। यह उनके तीन गुणों, सृजन, संरक्षण और विनाश का प्रतीक है।
नंदी: नंदी शिव जी का वाहन है। यह शक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
गंगा: गंगा नदी शिव जी के जटाओं से निकलती है। यह पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक है।
शिव जी को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वे सभी देवताओं के मुखिया हैं। शिव जी के भक्त उन्हें अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजते हैं।
- सर्वशक्तिमानता: शिव जी सर्वशक्तिमान हैं। वे ब्रह्मांड के रचयिता, संचालक और संहारक हैं।
- दयालुता: शिव जी अत्यंत दयालु हैं। वे अपने भक्तों पर हमेशा कृपा करते हैं।
- सर्वव्यापकता: शिव जी सर्वव्यापक हैं। वे हर जगह मौजूद हैं।
- ज्ञान: शिव जी अत्यंत ज्ञानी हैं। वे सभी ज्ञान के भंडार हैं।
- शक्ति: शिव जी अत्यंत शक्तिशाली हैं। वे किसी भी प्रकार की बाधा को दूर कर सकते हैं।
शिवलिंग: शिवलिंग शिव जी का प्रतीक चिन्ह है। यह उनके लिंग रूप का प्रतिनिधित्व करता है।
त्रिशूल: त्रिशूल शिव जी का शक्तिशाली शस्त्र है। यह उनके तीन गुणों, सृजन, संरक्षण और विनाश का प्रतीक है।
नंदी: नंदी शिव जी का वाहन है। यह शक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
गंगा: गंगा नदी शिव जी के जटाओं से निकलती है। यह पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक है।
शिव जी को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वे सभी देवताओं के मुखिया हैं। शिव जी के भक्त उन्हें अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजते हैं।