भवन पे हो रही जय जयकार
भवन पे हो रही जय जयकार
भवन पे हो रही जय जयकार,
वरदाती माँ शेरों वाली, बैठी खोल भंडार।
भक्ति भाव की ज्योत जगाते,
दूरदूर से भक्त हैं आते।
कोई चढ़ावे मिश्रीमेवा,
कोई फूलों के हार।
भवन पे हो रही जय जयकार...।।
माँ का पूजन, माँ का वंदन,
सुखदा, सुखला माँ का सुमरिन।
अपने भक्तों का हर सपना,
दाती करे साकार।
भवन पे हो रही जय जयकार...।।
जैसी भी है कर्म कहानी,
विगड़ी बना देगी महारानी।
शांत खड़ा क्या सोच रहा है,
चल दाती के द्वार।
भवन पे हो रही जय जयकार...।।
वरदाती माँ शेरों वाली, बैठी खोल भंडार।
भक्ति भाव की ज्योत जगाते,
दूरदूर से भक्त हैं आते।
कोई चढ़ावे मिश्रीमेवा,
कोई फूलों के हार।
भवन पे हो रही जय जयकार...।।
माँ का पूजन, माँ का वंदन,
सुखदा, सुखला माँ का सुमरिन।
अपने भक्तों का हर सपना,
दाती करे साकार।
भवन पे हो रही जय जयकार...।।
जैसी भी है कर्म कहानी,
विगड़ी बना देगी महारानी।
शांत खड़ा क्या सोच रहा है,
चल दाती के द्वार।
भवन पे हो रही जय जयकार...।।
BHAWAN PE HO RAHI JAI JAIKAR
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Admin - Saroj Jangir
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