मैं रोऊँ सब जगत को मोको रोवे न होय हिंदी मीनिंग
मैं रोऊँ जब जगत को, मोको रोवे न होय।
मोको रोबे सोचना, जो शब्द बोय की होय॥
Main Rou Sab Jagat Ko, Moko Rove Na Hoy,
Moko Rove Sochna, Jo Shabad Boy Ki hoy.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ
कबीर साहेब कहते हैं की मैं समस्त जगत के प्रति सचेत होकर विलाप कर रहा हूँ, लेकिन मुझे रोने वाला कोई नहीं है, मेरे प्रति कोई खबर लेने वाला कोई नहीं है। संत शिरोमणि कबीर दास आगे कहते हैं कि मैं तो जग में सबके लिए रोता हूँ, चिंतित हूँ लेकिन मेरा संताप किसी को नहीं दीखता है. मेरी वेदना वही समझ सकता हैं जो मेरे शब्द समझता हैं, शब्द से आशय ज्ञान की वाणी से है। कबीर साहेब समस्त जगत के प्रति रोते हैं, चिंतित हैं और व्यथित हैं लेकिन कोई उनके लिए चिंतिंत नहीं है क्योंकि उनके लिए वही रो सकता है जो शब्द के मूल को समझे।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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