श्री कृष्ण को क्यों कहते हैं सम्पूर्ण पुरुष Why is Shri Krishna called complete Man in Hindi

श्री कृष्ण को क्यों कहते हैं सम्पूर्ण पुरुष Why is Shri Krishna called complete Man in Hindi

श्रीकृष्ण को "एक पूर्ण पुरुष" कहने का कारण उनके व्यक्तिगत गुण, चरित्र, धर्मपरायणता और अलौकिक व्यक्तित्व, अद्वितीयता और पूर्णता है। श्री कृष्ण जी ने मानव रूप में सभी सांसारिक दायित्वों का निर्वहन किया, प्रेम की दिव्य परिभाषा को गढ़ा, सत्य और धर्म को पुनः स्थापित किया. यह कहने का एक महत्वपूर्ण कारण है कि श्री कृष्ण जी ने अपने जीवन में विभिन्न लीलाओं को करके धर्म को स्थापित किया और सत्य, मानवता का सन्देश भी आम लोगों तक अपनी बाल सुलभ लीलाओं के माध्यम से दिया. श्री कृष्ण भगवान् श्री विष्णु के अवतार हैं और विष्णु के 24 अवतारों में से श्रीकृष्ण का स्थान 22वां और दस अवतारों के क्रम में 8वां अवतार है।
 
श्री कृष्ण को क्यों कहते हैं सम्पूर्ण पुरुष Why is Shri Krishna called complete Man in Hindi

 

श्री कृष्ण का चरित्र है एक पूर्ण पुरुष का

श्री कृष्ण राधा जी से प्रेम किया और प्रेम की निष्काम भावना को जन जन तक बड़ी ही सरलता से पंहुचा दिया तो वहीँ पर वे युद्ध के माध्यम से सत्य को स्थापित करते हैं, अपने जीवन के सभी रिश्ते नातों निर्वहन करते हैं, सुदामा के माध्यम से मित्रता को परिभाषित करते हैं, अतः एक सम्पूर्ण चरित्रवान व्यक्ति के गुणों को वे अपने अवतार के माध्यम से लोगों तक दिलचस्पी के साथ सरलता से पंहुचाते हैं. वे ज्ञानी थे, गीता के माध्यम से गूढ़ ज्ञान की बातों को लोगों के समक्ष रखा। वे प्रेमी हैं, तो वे योगी भी हैं। युद्ध की बात करें तो वे सुदर्शन चक्र धारी और धर्नुविद्य, अस्त विद्या, परा विद्या में निपुण हैं। गोपियों के माध्यम से वे प्रेम का सन्देश देते हैं। उनकी 8 पत्नियां थीं- रुक्मिणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, मित्रवंदा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी, जिनके माध्यम से वे एक सफल वैवाहिक जीवन को स्थापित करते हैं। भाई के रूप में वे बलराम से अपना संबध निभाते हैं। वे श्रेष्ठ पुत्र भी हैं। 

महान नीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ और योद्धा

कृष्ण एक कुशल योद्धा, राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ थे. उन्होंने महाभारत युद्ध को जिस तरह प्रबंधित किया, उसे कई प्रकार से समझा जा सकता है. उन्होंने पांडवों को युद्ध में जीत दिलाने में मदद की, और उन्होंने युद्ध के बाद भी उन्हें शांति और समृद्धि स्थापित करने में मदद की.

रणनीति: कृष्ण ने युद्ध के लिए एक रणनीति विकसित की जो पांडवों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद थी. उन्होंने पांडवों को एक मजबूत गठबंधन बनाने में मदद की, और उन्होंने उन्हें युद्ध के मैदान में अपनी सेना का सबसे अच्छा उपयोग करने के लिए सलाह दी.

कूटनीति: कृष्ण ने कूटनीति का उपयोग करके भी पांडवों की मदद की. उन्होंने कौरवों के साथ बातचीत की, और उन्होंने उन्हें युद्ध से बचने के लिए मनाने की कोशिश की. हालांकि, कौरव नहीं माने, और युद्ध हुआ.
 
नेतृत्व: कृष्ण एक महान नेता थे. उन्होंने पांडवों को एकजुट रखा, और उन्होंने उन्हें युद्ध में जीतने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने पांडवों को सही निर्णय लेने में मदद की, और उन्होंने उन्हें युद्ध के बाद भी शांति और समृद्धि स्थापित करने में मदद की.

कृष्ण की युद्ध नीति आज भी प्रासंगिक है. यह हमें सिखाती है कि युद्ध को जीतने के लिए रणनीति, कूटनीति और नेतृत्व सभी आवश्यक हैं. यह हमें यह भी सिखाता है कि युद्ध को हमेशा अंतिम विकल्प के रूप में ही इस्तेमाल करना चाहिए.

मूल रूप से, भौतिक दुनिया में निवास करने वाले जीवों का रोग उनके शरीर और मन का आनंद लेने की इच्छा में निहित है। आध्यात्मिक दृष्टि से इसे एक रोग माना जाता है क्योंकि स्वस्थ अवस्था में आत्मा भगवान कृष्ण द्वारा आनंदित होने के लिए है। हमारी चेतन आत्मा कृष्ण के समग्रता का एक शाश्वत अंग है। जब आत्मा समग्रता के साथ सद्भाव में कार्य करती है तो वह पूर्ण होती है। जब आत्मा समग्रता में भाग नहीं लेती है, जब वह स्वयं को केंद्र मानकर कार्य करती है, तो कलह पैदा होती है। 
 

महान संदेशवाहक

भगवद गीता एक हिंदू ग्रंथ है जो महाभारत के महाकाव्य में एक संवाद है. यह संवाद कृष्ण और अर्जुन के बीच होता है, जो कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध में लड़ने वाले दो चचेरे भाई हैं. युद्ध शुरू होने से पहले, अर्जुन को युद्ध में लड़ने का विचार पसंद नहीं है. वह अपने विरोधियों को मारना नहीं चाहता, और वह जानता है कि युद्ध में कई लोग मारे जाएंगे. अर्जुन दुविधा में है, और वह नहीं जानता कि क्या करना है.

कृष्ण अर्जुन को सांत्वना और मार्गदर्शन देते हैं. वह अर्जुन को बताता है कि जीवन एक युद्ध है, और हमें अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए. वह अर्जुन को बताता है कि मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार फल मिलता है, और हमें अपने कर्मों के प्रति निष्ठावान होना चाहिए. वह अर्जुन को बताता है कि मोक्ष ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है, और हमें मोक्ष प्राप्त करने के लिए योग का अभ्यास करना चाहिए.

भगवद गीता एक महान ग्रंथ है जो जीवन के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालता है. यह एक ऐसा ग्रंथ है जो हर किसी के लिए उपयोगी है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो. यह एक ऐसा ग्रंथ है जो हमें जीवन जीने का सही तरीका सिखाता है.

भगवद गीता के कुछ महत्वपूर्ण विचार हैं:
  • जीवन एक युद्ध है.
  • हमें अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए.
  • मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार फल मिलता है.
  • हमें अपने कर्मों के प्रति निष्ठावान होना चाहिए.
  • मोक्ष ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है.
  • हमें मोक्ष प्राप्त करने के लिए योग का अभ्यास करना चाहिए.

भगवद गीता एक महान ग्रंथ है जो हमें जीवन जीने के लिए सही तरीका सिखाता है. यह एक ऐसा ग्रंथ है जो हर किसी के लिए उपयोगी है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो. यह एक ऐसा ग्रंथ है जो हमें जीवन के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालता है.
 

श्रेष्‍ठ गुरु हैं श्री कृष्णा Shri Krishna is the best teacher

कृष्ण एक महान गुरु थे. उन्होंने अपने जीवन में कई लोगों को शिक्षा दी, जिनमें से पांच पांडव और उद्धव प्रमुख हैं. उन्होंने द्रौपदी, राधा और कई गोपिकाओं को भी गुरु बनकर भक्ति मार्ग की शिक्षा दी. अर्जुन ने उन्हें "जगतगुरु" या "दुनिया का गुरु" कहा क्योंकि उन्होंने अपने ज्ञान और मार्गदर्शन के साथ दुनिया को एक बेहतर जगह बना दिया था.

श्रीकृष्ण की शिक्षाओं में शामिल हैं:

  • कर्म योग: कर्म योग का अर्थ है अपने कर्तव्यों को निभाना, चाहे वे कितने भी कठिन हों.
  • ज्ञान योग: ज्ञान योग का अर्थ है ज्ञान प्राप्त करना और उस ज्ञान का उपयोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए करना.
  • भक्ति योग: भक्ति योग का अर्थ है भगवान की भक्ति करना और उनके मार्गदर्शन का पालन करना.
श्रीकृष्ण की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं. वे हमें जीवन के सभी पहलुओं में मार्गदर्शन और प्रेरणा देते हैं. वे हमें सिखाते हैं कि कैसे अपने जीवन को बेहतर बनाना है और कैसे दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना है.

"वासुदेव सुतं देवम कंस चाणूर मर्दनम्,
देवकी परमानन्दं कृष्णम वन्दे जगतगुरु।"


इस श्लोक का अर्थ है:
"मैं वसुदेव के पुत्र, भगवान कृष्ण की वंदना करता हूं, जिन्होंने कंस और चाणूर जैसे असुरों का वध किया और देवकी को परमानंद दिया. मैं उन्हें जगतगुरु या दुनिया का गुरु मानता हूं."
यह श्लोक कृष्ण की महानता और उनकी शिक्षाओं के महत्व को दर्शाता है. उन्होंने अपने जीवन में कई अद्भुत काम किए और उन्होंने दुनिया को एक बेहतर जगह बनाई. उनकी शिक्षाएं आज भी हमें मार्गदर्शन और प्रेरणा देती हैं.

श्रेष्ठ पुत्र हैं कृष्णा Krishna is the best son

श्री कृष्ण एक महान पुत्र थे. उन्होंने अपने पालक माता-पिता नंद और यशोदा को बहुत प्यार किया और उनकी देखभाल की. उन्होंने अपने असली माता-पिता वसुदेव और देवकी को भी बहुत प्यार किया और उन्हें जेल से छुड़ाने के लिए कंस के साथ युद्ध लड़ा. श्री कृष्ण ने अपने सभी सौतेली माता-पिता रोहिणी आदि के साथ भी बहुत अच्छा व्यवहार किया.

श्री कृष्ण एक आदर्श पुत्र थे. उन्होंने अपने माता-पिता का सम्मान किया और उनकी सेवा की. उन्होंने अपने माता-पिता को खुश रखने के लिए अपना सब कुछ किया. श्री कृष्ण एक महान उदाहरण हैं कि एक पुत्र को अपने माता-पिता के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए.

श्री कृष्ण के पालक माता-पिता नंद और यशोदा बहुत खुशकिस्मत थे कि उन्हें श्री कृष्ण जैसा पुत्र मिला. श्री कृष्ण ने उन्हें बहुत प्यार और खुशी दी. श्री कृष्ण के असली माता-पिता वसुदेव और देवकी भी श्री कृष्ण के लिए बहुत खुशकिस्मत थे. श्री कृष्ण ने उन्हें जेल से छुड़ाया और उन्हें एक खुशहाल जीवन दिया. श्री कृष्ण के सभी सौतेली माता-पिता रोहिणी आदि भी श्री कृष्ण के लिए बहुत खुशकिस्मत थे. श्री कृष्ण ने उन्हें बहुत प्यार और सम्मान दिया. श्री कृष्ण एक महान पुत्र थे. उन्होंने अपने माता-पिता को बहुत प्यार और खुशी दी. श्री कृष्ण एक आदर्श पुत्र हैं. हमें श्री कृष्ण से सीखना चाहिए कि एक पुत्र को अपने माता-पिता के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए.

श्री कृष्ण हैं महायोगी Shri Krishna is a great yogi

कृष्ण एक महान योगी थे. उन्होंने योग के कई रूपों का अभ्यास किया, और उन्होंने अपने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा किया. उन्होंने गीता में योग के बारे में बताया है, और उन्होंने बताया है कि योग एक ऐसा मार्ग है जो मनुष्य को मोक्ष तक ले जाता है. कृष्ण एक महान योद्धा भी थे. उन्होंने महाभारत युद्ध में पांडवों की मदद की, और उन्होंने उन्हें युद्ध में जीत दिलाई. उन्होंने अपने युद्ध कौशल का उपयोग करके अन्य लोगों की भी मदद की. कृष्ण एक महान राजा भी थे. उन्होंने द्वारका नगरी की स्थापना की, और उन्होंने वहां एक समृद्ध और शांतिपूर्ण राज्य का निर्माण किया. उन्होंने अपने प्रजा के कल्याण के लिए काम किया, और उन्होंने उन्हें धर्म और कर्म का पालन करने के लिए प्रेरित किया.
कृष्ण एक महान शिक्षक भी थे. उन्होंने अपने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा किया, और उन्होंने उन्हें धर्म, कर्म, ज्ञान, भक्ति, सांख्य आदि का मार्ग दिखाया. उन्होंने अपने ज्ञान के माध्यम से लोगों को मोक्ष तक पहुंचने में मदद की.
कृष्ण एक महान व्यक्ति थे. उन्होंने अपने जीवन में कई महान कार्य किए, और उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दिया. वे एक प्रेरणा हैं, और वे हमेशा हमारे लिए मार्गदर्शक रहेंगे.

श्रेष्ठ मित्र हैं कृष्णा Krishna is the best friend

भगवान श्रीकृष्ण के हजारों सखा और मित्र थे. वे सभी अलग-अलग जाति, धर्म और समुदाय से थे, लेकिन वे सभी एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छे दोस्त थे. श्रीकृष्ण ने सभी को समान रूप से प्यार और सम्मान दिया. वे सभी श्रीकृष्ण के साथ बहुत खुश थे और उन्होंने श्रीकृष्ण से बहुत कुछ सीखा.
श्रीकृष्ण के कुछ सबसे अच्छे दोस्त थे:

अर्जुन: अर्जुन पांडवों में से एक थे और वे श्रीकृष्ण के सबसे अच्छे मित्र भी थे. वे दोनों बहुत ही अच्छे योद्धा थे और उन्होंने महाभारत युद्ध में एक साथ लड़ाई लड़ी
 
सुदामा: सुदामा एक गरीब ब्राह्मण थे और वे श्रीकृष्ण के बचपन के दोस्त थे. श्रीकृष्ण ने सुदामा को बहुत मदद की और उन्होंने उन्हें एक समृद्ध और खुशहाल जीवन दिया. सुदामा एक भगवान के भक्त और श्रीकृष्ण के बहुत अच्छे मित्र थे। उनकी कथा 'कृष्ण-सुदामा की मित्रता' विख्यात है, जिसमें श्रीकृष्ण ने उनके घर जाकर उन्हें धनवान बनाया और उनके प्रेम की महत्वपूर्णता को दिखाया।
 
राधा: राधा एक गोपी थीं और वे श्रीकृष्ण की सबसे प्यारी सखी थीं. वे दोनों बहुत ही प्यारे थे और उन्होंने एक साथ बहुत सारी मस्ती की. श्रीकृष्ण की 8 सखियां, जिनमें राधा और ललिता भी शामिल हैं, भगवान के प्रेम और दिव्य खेल में उनकी साथी थीं। रासलीला में उनकी महत्वपूर्ण भूमिकाएं थीं।

ललिता: ललिता भी एक गोपी थीं और वे श्रीकृष्ण की सबसे अच्छी सखी थीं. वे दोनों बहुत ही सुंदर थीं और उन्होंने एक साथ बहुत मस्ती की.
 
श्रीदामा: श्रीदामा भी एक महत्वपूर्ण सखा थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण के साथ खेले और उनके साथ विभिन्न लीलाओं में भाग लिया।

मधुमंगल:
मधुमंगल भी एक प्रमुख सखा थे, जो श्रीकृष्ण के साथ विभिन्न किस्से और खुशी-खुशी वक्त बिताते थे।

श्रीकृष्ण के सभी दोस्त बहुत ही अच्छे इंसान थे और वे सभी श्रीकृष्ण से बहुत प्यार करते थे. श्रीकृष्ण भी सभी को बहुत प्यार करते थे और उन्होंने सभी को बहुत कुछ सीखा. श्रीकृष्ण के दोस्त एक बहुत ही बड़ा परिवार थे और वे सभी बहुत ही खुश थे.

पूर्ण पुरुष क्या है ?

पूर्ण पुरुष एक पूर्ण प्राणी है, जिसमें तीन रूपों में चेतना होती है: दिव्य साहस की चेतना, मार्गदर्शक शक्ति की चेतना और संवेदनशील बुद्धि की चेतना। एक जो समय के अनुरूप दिव्य निर्णय लेने के लिए आवश्यक साहस की चेतना रखता है। एक जो दूसरों के समय के अनुरूप दिव्य निर्णयों को मार्गदर्शन करने के लिए आवश्यक शक्ति की चेतना रखता है। एक जो उस बुद्धि की चेतना रखता है जो सभी के चेतन निर्णयों को मार्गदर्शन करती है, जो समय के अनुरूप कारण और अंतर्ज्ञान पर भरोसा करने के बजाय बुद्धि पर भरोसा करने का चयन करते हैं। इसलिए, वह एक समय-उपयुक्त कारण प्रदान करने में सक्षम है जो उन लोगों से उचित निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है जिनके पास कारण के लिए खुला दिमाग है।


यह सभी विवरण बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण एक अद्भुत व्यक्ति थे जिनमें अनगिनत गुण और रंग थे। उनकी विविध भूमिकाएं और रिश्ते उनके व्यक्तिगतता और सामाजिकता की व्याख्या करती हैं। उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में उत्तमता की प्रतिमा प्रस्तुत की और मानवता के लिए एक आदर्श जीवन दिखाया। श्रीकृष्ण का व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन हमें उनके शिक्षाओं, योगदानों, और व्यक्तिगत संबंधों के माध्यम से प्रेरित करता है।
 
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