राधा कृष्ण का विवाह क्या श्राप के कारण नहीं हो पाया ? Couldn't the marriage of Radha-Krishna happen because of the curse?
राधा और कृष्ण का प्रेम एक अनोखा दिव्य प्रेम है. यह एक ऐसा प्रेम है जो युगों से लोगों को मंत्रमुग्ध करता आया है. राधा और कृष्ण के प्रेम को कई तरह से प्रदर्शित किया गया है, लेकिन सबसे प्रसिद्ध रूप से इसे एक बालक और एक बालिका के प्रेम के रूप में दिखाया गया है. राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी को कई तरह से बताया गया है, लेकिन इसका सबसे सरल अर्थ यह है कि प्रेम एक शक्तिशाली भावना है जो किसी भी उम्र, जाति, या वर्ग से ऊपर है.
राधा कृष्ण का विवाह क्या श्राप के कारण नहीं हो पाया, इसके पीछे एक कहानी है, जो बड़ी ही दिलचस्प है. कहानी के अनुसार श्रीधाम जी (श्री कृष्ण जी के परम भक्त) श्री कृष्ण जी के दर्शन के लिए एक बार गोलोक में जाते हैं, लेकिन बहुत जतन करने के बाद भी उनको भगवान श्री कृष्ण जी के दर्शन नहीं हो पाते हैं. तभी उनको नारद जी बताते हैं की उनको श्री कृष्ण जी के दर्शन इसलिए नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि वे श्री कृष्ण कहकर पुकार रहे हैं. लेकिन गोलोक में "राधा कृष्ण" कहना होता है. जब श्रीधाम किसी तरह से कृष्ण जी से मिलते हैं तो वे देखते हैं की उनके चढ़ाए भोग (माखन) को राधा जी झूठा करके श्री कृष्ण जी को खिला रही थी.
इस पर श्रीधामा जी को बहुत अधिक क्रोध आता है और वे श्री कृष्ण जी से एक प्रश्न पूछते हैं की " ‘प्रेम और भक्ति में क्या श्रेष्ठ है"? इस पर श्री कृष्ण जी विचार करते हैं की इस प्रश्न का क्या जवाब दिया जाय? श्री कृष्ण जी यही सोचते हुए अपने विश्राम गृह में चले जाते हैं और इस प्रश्न के उत्तर के लिए वे राधा रानी जी को याद करते हैं. राधा जी जब विश्राम गृह के पास जाती हैं तो श्रीधामा उन्हें 100 वर्ष तक श्री कृष्ण को भूल जाने और मृत्युलोक में रहने का श्राप देते हैं.
श्रीधामा के श्राप के बाद राधा जी को पृथ्वीलोक में जन्म लेना पड़ता है. जब श्री कृष्ण जी प्रथ्वी लोक में राधा जी से मिलने जाते हैं तो राधा जी को पुरानी कोई भी बात याद नहीं रहती है. गोलोक में श्री कृष्ण जी के उनके प्रेम के विषय में राधा रानी जी को कुछ भी याद नहीं था लेकिन श्री कृष्ण जी अक्सर ही उनके सपने में आते थे. आगे चलकर राधा रानी अपने पिता द्वारा किये गए रिश्ते बाल सखा आयान से विवाह कर लेती हैं और श्री कृष्ण भी वृंदावन से मथुरा प्रस्थान कर जाते हैं.
इसलिए शादी के बंधन में नहीं बंधे राधा-कृष्ण
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा का विवाह यशोदा के भाई आयान गोपा से हुआ था. और राधा जी रिश्ते में श्रीकृष्ण की मामी बन गयी.यही कारण है की राधा जी और कृष्ण जी का विवाह नहीं हो पाया. श्रीकृष्ण के रुक्मणी से विवाह के पीछे एक वजह ये भी बताई जाती है कि उन्होंने रुक्मणी में ही राधा जी का स्वरुप दिखाई दिया था.एक अन्य मान्यता है की राधा जी श्री कृष्ण जी से ११ महीने (कुछ के अनुसार पांच वर्ष) बड़ी थी. लेकिन दोनों में आध्यात्मिक प्रेम था इसलिए वे विवाह के बंधन में नहीं बंध नहीं पाए, लेकिन उनका प्रेम कालातीत है.
क्यों नहीं किया भगवान श्रीकृष्ण ने राधा से विवाह?
शास्त्रों में श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम के बारे में कई मत प्राप्त होते हैं.कुछ लोग मानते हैं कि राधा श्रीकृष्ण की ही एक रूप थी, स्कंद पुराण में श्रीकृष्ण को 'आत्माराम' कहा गया है, जिसका अर्थ है "जो अपनी आत्मा में ही रमण करता है." विद्वानों का मानना है कि यह इस बात का संकेत है कि श्रीकृष्ण और राधा एक ही आत्मा के दो रूप हैं. वे एक ही हैं, और वे कभी भी अलग नहीं हो सकते हैं.
पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम को रहस्य, आध्यात्म और दर्शन से जुड़ा हुआ है. कुछ विद्वानों का मानना है कि श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम एक आध्यात्मिक प्रेम है, जो सांसारिक प्रेम से कहीं अधिक गहरा और पवित्र है. वे मानते हैं कि यह प्रेम हमें मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाता है.
श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम एक अनोखा और अद्भुत प्रेम है. यह एक ऐसा प्रेम है जो युगों से लोगों को मंत्रमुग्ध करता रहा है. यह एक ऐसा प्रेम है जो हमें यह सिखाता है कि प्रेम एक शक्तिशाली भावना है जो किसी भी कठिनाई को पार कर सकती है. यह एक ऐसा प्रेम है जो हमें खुशी, उल्लास और शांति देता है.