श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान कृष्ण देवकी और वसुदेव के आठवें पुत्र थे। उनका जन्म मथुरा में हुआ था, जब उनके पिता, वसुदेव, उन्हें कंस से बचाने के लिए गोकुल ले गए थे। कंस, देवकी का भाई था, जो एक अत्याचारी राजा था। कंस को भविष्यवाणी में बताया गया था कि उसकी एक बहन के आठवें पुत्र से उसकी मृत्यु होगी। इसलिए, उसने अपनी बहन और उसके बच्चों को मारने की कोशिश की।
गोकुल में, कृष्ण ने एक नंद और यशोदा के पुत्र के रूप में छिपकर अपना बचपन जिया। वह एक चंचल और शरारती बालक थे, लेकिन वे बहुत बुद्धिमान और शक्तिशाली भी थे। उन्होंने कई राक्षसों का वध किया, जिनमें कालिया नाग,पूतना, अघासुर, और बकासुर शामिल हैं। उन्होंने मथुरा में कंस का वध भी किया और द्वापर युग में धर्म की स्थापना की। श्री कृष्ण को प्रेम, करुणा, और दया का प्रतीक माना जाता है। वे सभी के लिए एक आदर्श हैं, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, या वर्ग के हों। उनके जीवन से हमें कई शिक्षाएं मिलती हैं, जैसे कि प्रेम, दया, और करुणा का महत्व, बुराई पर अच्छाई की जीत, और सच्चाई और न्याय के लिए लड़ने की भावना।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे भारत और दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा बड़े उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है। इस दिन, लोग मंदिरों में भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, भजन गाते हैं, और प्रसाद चढ़ाते हैं। घरों में भी भगवान कृष्ण की मूर्तियों की स्थापना की जाती है और उनकी पूजा की जाती है। इस दिन, लोग एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हैं। बच्चे इस दिन माखन-मिश्री खाते हैं और खेलते हैं। इस दिन, कई जगहों पर दही-हांडी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा त्योहार है जो हमें भगवान कृष्ण के जीवन और शिक्षाओं को याद दिलाता है। यह एक ऐसा दिन है जब हम सभी प्रेम, दया, और करुणा को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं।
गोकुल में, कृष्ण ने एक नंद और यशोदा के पुत्र के रूप में छिपकर अपना बचपन जिया। वह एक चंचल और शरारती बालक थे, लेकिन वे बहुत बुद्धिमान और शक्तिशाली भी थे। उन्होंने कई राक्षसों का वध किया, जिनमें कालिया नाग,पूतना, अघासुर, और बकासुर शामिल हैं। उन्होंने मथुरा में कंस का वध भी किया और द्वापर युग में धर्म की स्थापना की। श्री कृष्ण को प्रेम, करुणा, और दया का प्रतीक माना जाता है। वे सभी के लिए एक आदर्श हैं, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, या वर्ग के हों। उनके जीवन से हमें कई शिक्षाएं मिलती हैं, जैसे कि प्रेम, दया, और करुणा का महत्व, बुराई पर अच्छाई की जीत, और सच्चाई और न्याय के लिए लड़ने की भावना।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे भारत और दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा बड़े उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है। इस दिन, लोग मंदिरों में भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, भजन गाते हैं, और प्रसाद चढ़ाते हैं। घरों में भी भगवान कृष्ण की मूर्तियों की स्थापना की जाती है और उनकी पूजा की जाती है। इस दिन, लोग एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हैं। बच्चे इस दिन माखन-मिश्री खाते हैं और खेलते हैं। इस दिन, कई जगहों पर दही-हांडी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा त्योहार है जो हमें भगवान कृष्ण के जीवन और शिक्षाओं को याद दिलाता है। यह एक ऐसा दिन है जब हम सभी प्रेम, दया, और करुणा को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं।
आज भयो ललना जन्माष्टमी भजन लिरिक्स Aaj Bhayo Lalana Lyrics
है आनंद नन्द बाबा के, द्वारे सभी चलना,देखो आज भयो ललना, आज भयो
आज भयो ललना,
ललना, ललना, ललना,
आज भयो ललना,
आज भयो आज भयो ललना।
शुभ घड़ी देखो है कैसी आई,
बज रही आज घर घर बधाई,
शुभ घड़ी देखो है कैसी आई,
बज रही आज घर घर बधाई,
जिसने भी ये खबर सुनी है,
पड़ी उसे कल ना,
देखो आज भयो ललना, आज भयो
आज भयो ललना,
ललना, ललना, ललना,
आज भयो ललना,
आज भयो आज भयो ललना।
मानो सुर गण सब मन में सिहाये,
ज्ञानी सब करने दर्शन है आये,
मानो सुर गण सब मन में सिहाये,
ज्ञानी सब करने दर्शन है आये,
जिसने भी ये खबर सुनी है,
पड़ी उसे ना कल ना,
देखो आज भयो ललना, आज भयो
आज भयो ललना,
ललना, ललना, ललना,
आज भयो ललना,
आज भयो आज भयो ललना।
क्षीरसागर को तज जन्म धारा,
छौना मैया यशोदा तुम्हारा,
क्षीरसागर को तज जन्म धारा,
छौना मैया यशोदा तुम्हारा,
नर नारी चर्चा करते है,
इसमें कोई छल ना,
देखो आज भयो ललना, आज भयो
आज भयो ललना,
ललना, ललना, ललना,
आज भयो ललना,
आज भयो आज भयो ललना।
अपना जीवन सफल जो बनाना,
तो नहीं बात ये भूल जाना,
अपना जीवन सफल जो बनाना,
तो नहीं बात ये भूल जाना,
पदरज मल करके मस्तक पर,
देव सभी चलना,
देखो आज भयो ललना, आज भयो
आज भयो ललना,
ललना, ललना, ललना,
आज भयो ललना,
आज भयो आज भयो ललना।
है आनंद नन्द बाबा के, द्वारे सभी चलना,
देखो आज भयो ललना, आज भयो
आज भयो ललना,
ललना, ललना, ललना,
आज भयो ललना,
आज भयो आज भयो ललना
जन्माष्टमी भजन || आज भयो ललना | Aaj Bhayo Lalna | है आनंद नन्द बाबा के || Prakash Rutha And Babban
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भारत और दुनिया भर के हिंदू समुदायों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन, मंदिरों को सजाया जाता है और भजन-कीर्तन और आरती की जाती है। लोग कृष्ण की मूर्तियों की पूजा करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाने के कई कारण हैं। सबसे पहले, यह भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है। कृष्ण को हिंदू धर्म में एक महान योद्धा, एक चतुर रणनीतिकार, एक प्रेमी और एक संत के रूप में जाना जाता है। उनकी कहानियों को हिंदू पौराणिक कथाओं में विस्तृत रूप से वर्णित किया गया है। दूसरा, कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार अन्याय और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है। कृष्ण ने अपने जीवनकाल में कई राक्षसों का वध किया और कंस जैसे क्रूर शासकों को हराया। उन्होंने लोगों को अन्याय और अत्याचार से मुक्त कराया।
तीसरा, कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार प्रेम और करुणा का प्रतीक है। कृष्ण को प्रेम और करुणा के देवता के रूप में पूजा जाता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई लोगों की मदद की और उन्हें दुख और पीड़ा से मुक्त कराया। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार एक ऐसा अवसर है जब हिंदू समुदाय भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाते हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को प्रेम, करुणा और न्याय के मूल्यों के बारे में सिखाता है। कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा त्योहार है जो हिंदू धर्म और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को प्रेम, करुणा और न्याय के मूल्यों के बारे में सिखाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाने के कई कारण हैं। सबसे पहले, यह भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है। कृष्ण को हिंदू धर्म में एक महान योद्धा, एक चतुर रणनीतिकार, एक प्रेमी और एक संत के रूप में जाना जाता है। उनकी कहानियों को हिंदू पौराणिक कथाओं में विस्तृत रूप से वर्णित किया गया है। दूसरा, कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार अन्याय और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है। कृष्ण ने अपने जीवनकाल में कई राक्षसों का वध किया और कंस जैसे क्रूर शासकों को हराया। उन्होंने लोगों को अन्याय और अत्याचार से मुक्त कराया।
तीसरा, कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार प्रेम और करुणा का प्रतीक है। कृष्ण को प्रेम और करुणा के देवता के रूप में पूजा जाता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई लोगों की मदद की और उन्हें दुख और पीड़ा से मुक्त कराया। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार एक ऐसा अवसर है जब हिंदू समुदाय भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाते हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को प्रेम, करुणा और न्याय के मूल्यों के बारे में सिखाता है। कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा त्योहार है जो हिंदू धर्म और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को प्रेम, करुणा और न्याय के मूल्यों के बारे में सिखाता है।