राधा और कृष्ण एक ही हैं। वे एक दूसरे की आत्मा को समझते हैं और एक दूसरे के साथ पूर्ण एकता महसूस करते हैं। उनका प्रेम वासना या शोषण से परे है। यह एक निस्वार्थ और श्रद्धालु प्रेम है। राधा और कृष्ण का प्रेम प्रेम की पराकाष्ठा है। यह प्रेम दुनिया को विकसित और परिष्कृत करने की शक्ति रखता है। यह प्रेम ही है जो लोगों को एक साथ लाता है और दुनिया में शांति और सद्भाव लाता है। श्री कृष्ण के जीवन की घटनाएं हमें प्रेम, नृत्य, संगीत, मुस्कान और हंसी के महत्व के बारे में सिखाती हैं। हमें उनके जीवन से सीखना चाहिए और उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलना चाहिए।
लौट के आजा नंद के दुलारे भजन
बैठी इंतजार में, उम्मीद लगाए, ना जाने मेरो, लाला कब आए।
लौट के आजा नंद के दुलारे, मैया यशोदा तुझको पुकारे, मैया यशोदा तुझको पुकारे।
अक्रूर आया मेरे दिल का, वो टुकड़ा ले गया, चांदनी चकोरी में, चाँद का वो टुकड़ा ले गया, दर्शन को तरसे, दर्शन को तरसे, नैन बिचारे, मैया यशोदा तुझको पुकारे, लौट के आजा नंद के दुलारे, मैया यशोदा तुझको पुकारे, मैया यशोदा तुझको पुकारे।
मधुवन है सुना सुना, सुनी है सारी वो नगरीया, प्यासे है व्याकुल नैना, आ जाओ बांके ओ बिहारी, यादो में तुम्हरी, यादो में तुम्हरी रोए, नैन हमारे, मैया यशोदा तुझको पुकारे, लौट के आजा नंद के दुलारे, मैया यशोदा तुझको पुकारे, मैया यशोदा तुझको पुकारे।
लौट के आजा नंद के दुलारे, मैया यशोदा तुझको पुकारे, मैया यशोदा तुझको पुकारे।
लौट के आजा नंद के दुलारे मैया यशोदा तुझको पुकारे.. साधना जी भारतीय व मुकेश जी यदुवंशी
कृष्ण भगवान का बचपन की लीला का सारांश इस प्रकार है:
कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में कंस के कारावास में हुआ था। कंस को भविष्यवाणी मिली थी कि उसका अंत कृष्ण के हाथों होगा।
कृष्ण का पालन-पोषण गोकुल में यशोदा और नंद ने किया था।
कृष्ण की बाल लीलाओं में कई चमत्कार हुए, जैसे कि पूतना का वध, मक्खन चोरी, कालिया नाग का वध, गोवर्धन पर्वत को उठाना, और अघासुर का वध।
अंततः, कृष्ण ने मथुरा में कंस का वध कर दिया और उग्रसेन को सिंहासन पर बैठाया।
कृष्ण भगवान की बाल लीलाओं में कई महत्वपूर्ण संदेश हैं। ये संदेश हमें बताते हैं कि:
भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
हमें कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं माननी चाहिए।
हमें हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए।
यशोदा ने उद्धव के माध्यम से मथुरा में कृष्ण की माता देवकी को संदेश भेजा कि वह कृष्ण की माया करते हुए रहो। इस संदेश में यशोदा ने अपने वात्सल्य को व्यक्त किया है। वह जानती हैं कि कृष्ण भगवान हैं, लेकिन फिर भी उन्हें अपने बेटे के रूप में ही प्यार करती हैं। देवकी ने भी अपने वात्सल्य में कहा कि कृष्ण को सुबह माखन और मिसरी भाती है। ये दोनों ही खाने की वस्तुएँ हैं जो बच्चों को बहुत पसंद होती हैं। देवकी को यह जानकर खुशी हुई होगी कि कृष्ण को माखन और मिसरी पसंद है।